मार्गशीर्ष का महीना श्रद्धा एवं भक्ति से पूर्ण होता है. मार्गशीर्ष अमावस इस वर्ष 01 दिसंबर 2024 को रहेगी. इस माह में श्रीकृष्ण भक्ति का विशेष महत्व होता है और पितरों की पूजा भी कि जाती है इस दिन पितर पूजा द्वारा पितरों को शांति मिलती है और पितर दोष का निवारण भी होता है. मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बतायी गयी है. पर पितरों की शान्ति के लिये अमावस्या व्रत पूजन का विशेष महत्व है. जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिये कुछ करना चाहते है उन्हें इस माह की अमावस्या को उपवास रख, पूजन कार्य करना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए. इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है. विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं.
गीता में स्वयं भगवान ने कहा है कि महीनों मे ‘मैं मार्गशीर्ष माह हूँ’ तथा सत युग में देवों ने मार्ग-शीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था. मार्गशीर्ष अमावस के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. स्नान के समय नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का उच्चारण करना फलदायी होता है. मार्गशीर्ष माह में पूरे महीने प्रात:काल समय में भजन मण्डलियाँ, भजन, कीर्तन करती हुई निकलती हैं.
मार्गशीर्ष अमावस महत्व | Margashirsha Amavasya Significance
जिस प्रकार कार्तिक ,माघ, वैशाख आदि महीने गंगा स्नान के लिए अति शुभ एवं उत्तम माने गए हैं. उसी प्रकार मार्गशीर्ष माह में भी गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष माह की अमावस का आध्यात्मिक महत्व खूब रहा है. जिस दिन मार्गशिर्ष माह में अमावस तिथि हो, उस दिन स्नान दान और तर्पण का विशेष महत्व रहता है. अमावस तिथि के दिन व्रत करते हुए श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा की जाती है जो अमोघ फलदायी होती है. इस दिन नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है.
अगहन माह | Agahan Maas
समस्त महिनों में मार्गशीर्ष श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है. मार्गशीर्ष माह के संदर्भ में कहा गया है कि इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होता है. ज्योतिष अनुसार इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है जिस कारण से इस मास को मार्गशीर्ष मास कहा जाता है. इसके अतिरिक्त इस महीने को मगसर, अगहन या अग्रहायण माह भी कहा जाता है. मार्गशीर्ष के महीने में स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है. श्रीकृष्ण ने गोपियां को मार्गशीर्ष माह की महत्ता बताई थी तथा उन्होंने कहा था कि मार्गशीर्ष के महीने में यमुना स्नान से मैं सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ अत: इस माह में नदी स्नान का विशेष महत्व माना गया है.