महागौरी पूजन | Maha Gauri Puja | Eighth Day of Navratri | Mahagauri Puja Muhurat

नवरात्रों के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष 11 अक्टूबर 2024 के दिन  महागौरी पूजन संपन्न होगा. माँ महागौरी की पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा देवी का भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों को प्राप्त करता है.

महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाश-मान होता है, इनकी शक्ति अमोघ फल प्रदान करने वाली हैं, देवी गौरी ने देवों की प्रार्थना व भक्तों के उद्धार हेतु शुम्भ निशुम्भ का अंत किया व सृष्टि को दैत्यों के प्रकोप से मुक्त कराया. यही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी पूजित होती हैं. इनका पूजन सौभाग्य में वृद्धि करने वाला होता है.

महागौरी का पौराणिक महत्व | Mythological Importance of Mahagauri

भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान, अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं. गौर वर्ण की होने के कारण इन्हें गौरी नाम प्राप्त हुआ.

महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं.देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..” देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती हैं. जो देवी गौरी की पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है देवी उनके पापों को जला देती हैं और शुद्ध अंत:करण देती हैं. मां अपने भक्तों को अक्षय आनंद और तेज प्रदान करती हैं.

महागौरी पूजा विधि | Maha Gauri Puja Vidhi

नवरात्रे में अष्टमी के दिन का विशेष महत्व होता है. कुछ लोग इस दिन नवरात्रों का समापन करते हं तो कुछ लोग नवमी के दिन. जो लोग अष्टमी पूजन करते हैं उनके लिए गौरी पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है. इस दिन देवी गौरी की पूजा का विधान पूर्ण रुप से भक्ति भाव से भरा होता है. अष्टमी के दिन भी देवी की पंचोपचार सहित पूजा करें. देवी का ध्यान करने के लिए  “सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”.मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.

फल, फूलों की मालाएं, लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग इत्यादि वस्तुओं सहित पूजा करनी चाहिए.  महागौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करा, वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी व काजल इत्यादि श्रंगार की वस्तुएं भेंट करते हैं. महागौरी की मूर्ति को लाल रंग के कपडे से लिपेट कर उन्हें चौकी पर रखा जाता है. सबसे पहले श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है. पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लोंग, पान,चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं. इसके पश्चात कलश का पूजन भी किया जाता है.

महागौरी मंत्र | Maha Gauri Mantra

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

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