ओणम का त्यौहर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है. उत्तर भारत पंचाग अनुसार यह त्यौहार भाद्रपद माह के दौरान आता है. भादो माह की द्वादशी के करीब इस पर्व को मनाया जाता है और दक्षिण भारत के पंचांग अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाने वाला त्यौहार है जो अट्टम से शुरू होकर पोन्नोनम तक दस दिनों तक चलता है. ओणम मनाने की कई मान्यताएं हैं, जिनमें से एक यह है कि इसे नई फसलों के आने की खुशी में मनाया जाता है. तो वहीं एक के अनुसार राजा बलि और वामन देव की कथा के रुप में भी इस दिन को भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है.
ओणम का त्यौहार दक्षिण भारत में, खास तौर पर केरल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. ओणम केरल का आधिकारिक त्यौहार है. ओणम में किसी देवी या देवता की पूजा नहीं की जाती, बल्कि इस त्यौहार में महाबली नामक राक्षस की पूजा की जाती है. लोग अपने घरों के बाहर फूलों की रंगोली बनाकर उनका स्वागत करते हैं.
ओणम : आध्यात्मिक यात्रा का समय
ओणम दक्षिण भारतीयों, खासकर मलयाली और केरलवासियों के लिए एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है. यह त्यौहार राजा महाबली की केरल की वार्षिक यात्रा का प्रतीक है. इस त्यौहार में प्रार्थना, जीवंत सजावट, पारंपरिक व्यंजन, नृत्य और नौका दौड़ जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम और दान-पुण्य के कार्य शामिल हैं. भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा महाबली की परीक्षा लेने के लिए उनके पास गए और महाबली से तीन पग भूमि मांगी. ओणम हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है. यह त्यौहार मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय लोगों द्वारा मनाया जाता है. ओणम फसल कटाई का त्यौहार है जिसे बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. ओणम त्यौहार मलयाली और केरलवासी मनाते हैं. ओणम भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि और श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है.
यह 15 सितंबर, 2024 को मनाया जाएगा.
ओणम 2024: तिथि और समय मुहूर्त
थिरुवोणम नक्षत्रम शुरू होता है – 14 सितंबर, 2024 को रात 08:32 बजे
थिरुवोणम नक्षत्रम समाप्त होता है – 15 सितंबर, 2024 को शाम 06:49 बजे
ओणम त्यौहार से जुड़ी कुछ विशेष बातें
- दक्षिण भारत में राजा महाबली को बहुत उदार माना जाता है.
- मान्यता है कि केरल के राजा बलि के राज्य में लोग बहुत सुखी और समृद्ध थे.
- इस दौरान भगवान विष्णु ने वामन का रूप धारण किया और राजा बलि से दान मांगा.
- भगवान विष्णु ने दान में तीन पग भूमि मांगी.
- श्री हरि ने दो पग में धरती और स्वर्ग नाप लिया, तब राजा ने पूछा कि तीसरा पग कहां रखूं.
- भगवान के इस प्रश्न पर राजा कहते हैं, वामन देव कृपया तीसरा पग मेरे सिर पर रख दीजिए.
- तभ भगवान वामन ने राजा बलि से प्रसन्न होकर पाताल लोक का राजा बना दिया और इसके अलावा उन्होंने उसे हर साल एक बार अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति दी.
- हर साल ओणम के त्यौहार पर राजा बलि धरती पर आते हैं. थिरुवोणम के दिन दैत्यराज महाबली हर मलयाली घर में जाकर अपनी प्रजा से मिलते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं.
- ओणम का त्यौहार मनाने के पीछे यही कारण है.
ओणम : कथा कहानी
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा महाबली बहुत उदार थे और उन्हें केरल का एक महान राजा माना जाता था. उनके शासनकाल में राज्य बहुत समृद्ध और शांतिपूर्ण था. राज्य के लोग खुश थे और वे अपने राजा से प्यार करते थे. लेकिन देवता पृथ्वी से महाबली के शासन को समाप्त करना चाहते थे. वे उससे ईर्ष्या करते थे क्योंकि राजा महाबली ने उन्हें हराकर राजा बन गए थे. उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी और भगवान श्री हरि ने देवताओम को आश्वासन दिया की वह उनकी इस चिंता को शीघ्र दूर कर देंगे.
तब भगवान ने अवतार लिया जो बौने ब्राह्मण के रुप में हुआ जिसे वामन कहा जाता है. भगवान अपने इस अवतार रुप में राजा महाबली के पास उनकी परीक्षा लेने गए और महाबली से तीन पग भूमि मांगते हैं. राजा बली उस समय यज्ञ करके हटे ही थे और यह उनका नियम था की यज्ञ पूजन के बाद जो भी पहला भिक्षु उनके पास आएगा वह उसे उसकी इच्छा हेतु सभी कुछ देने में आगे रहेंगे. वह इस बात पर सहमत हो गए और भगवान विष्णु ने दो पग में सभी लोकों को नाप लिया और फिर उनसे तीसरा पग रखने के लिए जगह मांगी. राजा महाबली ने वामन से तीसरा पग अपने सिर पर रखने का अनुरोध किया जो उन्हें पाताल लोक ले गया. लेकिन इससे भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और वे उनकी भक्ति और उदारता से प्रसन्न हुए. भगवान विष्णु ने राजा महाबली को आशीर्वाद दिया कि वह साल में एक बार अपने राज्य को देखने आ सकेंगे इसलिए केरल के लोग इस ओणम त्योहार को अपने प्रिय राजा महाबली के घर आने के दिन के रूप में मनाते हैं.
ओणम महत्व
ओणम हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह त्योहार मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय लोगों द्वारा मनाया जाता है. यह त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस शुभ दिन पर, लोग अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों की शुभता और दीर्घायु के लिए भगवान वामन और राजा महाबली की पूजा एवं प्रार्थना करते हैं. अच्छी फसल के लिए भूमि के प्रति प्रार्थना करते हैं और भक्ति भाव प्रकट करते हैं. इस पवित्र दिन पर, भक्त अपने घरों को अलग-अलग रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं, रंगों और फूलों से रंगोली बनाते हैं. महिलाएं भगवान वामन और राजा महाबली को चढ़ाने के लिए विशेष व्यंजन और मिष्ठान तैयार किए जाते हैं. इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाते हैं