बुध प्रदोष क्या है और इसका महत्व क्यों है इतना खास

बुध प्रदोषम से मिलता है ज्ञान एवं बुद्धि का आशीर्वाद 

प्रदोष तिथि में रखा जाने वाला व्रत भगवान शिव से संबंधित रहा है. प्रदोष का समय शिव पूजन के लिए अति शुभ एवं विशेष होता है. बुधवार के दिन प्रदोष व्रत का होना बुध प्रदोषम व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव के पूजन के साथ साथ बुध ग्रह की शुभता का भी फल प्राप्त होता है. 

प्रत्येक त्रयोदशी का प्रदोष समय प्रदोष व्रत के नाम से उल्लेखित है. प्रत्येक दिवस में प्रदोष समय व्याप्त रहता है. इसी कारण सातों दिन प्रदोष का समय शिव पूजा पूजा का होता है. इस समय के दौरान भगवान शिव का पूजन विशेष पूजा विधि के द्वारा संपन्न होता है. विशेष रुप से त्रयोदशी तिथि का समय प्रदोष व्रत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है. इस समय के दौरान भगवान शिव के उस स्वरुप का दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त होता है. जो संपूर्ण दिन में केवल इसी समय पर हो पाता है. 

भगवान शिव स्वरुप प्रदोष पूजा 

भगवान शिव हिंदू धर्म में भगवान शिव को सभी से परे मान अगया है. त्रि मूर्ति के स्वरुप में शिव को विनाश एवं निर्माण के मध्य का सेतु माना गया है. भगवान शिव के पूजन के द्वारा जीवन के इसी पक्ष को जानने एवं मौक्ष के संदर्भ को पाने का प्रयास संभव हो पाता है. प्रदोष का स्वरुप हर प्रकार के दोषों से मुक्ति के लिए भी उत्तम होता है. भगवान शिव का निवास कैलाश माना गया है जो अनंत का स्वरुप दर्शाता है. जहां पहुंच कर जीवन के दूसरे पक्ष से साक्षात्कार होता प्रतीत होता है. 

भगवान शिव  को में अपनी पत्नी देवी पार्वती और उनके दो पुत्रों गणपति और कार्तिकेय के साथ पूजा जाता है.  शिव का वाहन नंदी और शिव संहार के देवता हैं. इस कारण भगवान संहारक भी कहा जाता है. वह जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है. शिव नष्ट भी करते हैं और पुन: उत्पन्न भी करता है. वह एक महान योगी हैं और अपनी दया, दया और निष्पक्ष न्याय के लिए जाने जाते हैं. शिव की विशेषताओं में उनके गले में सर्प ‘वासुकी’, उनके माथे पर तीसरी आँख, उनके सिर पर विराजमान अर्धचंद्र और उनके बालों से बहती गंगा से जाना जा सकता है. 

प्रदोष काल में किया जाने वाला भगवान का पूजन जीवन में संपूर्ण शुभता को प्रदान करने वाला माना गया है. भगवान के आशीर्वाद की प्राप्ति इस प्रदोष समय पर पूर्ण होती है. 

बुध प्रदोष व्रत बुध ग्रह शांति का विशेष समय 

प्रदोष व्रत यदि बुधवार के दिन हो तो इस दिन बुध ग्रह शांति पूजा एवं मंत्र जाप करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है. बुध, ज्योतिष में एक विशेष ग्रह के रूप में स्थापित है, यह बुद्धि पर अधिकार रखता है. ज्योतिष में, बुध ग्रह शिक्षा, लेखन क्षमता, व्यापार कौशल, संचार और मौखिक कौशल को नियंत्रित करने वाला ग्रह है. यह व्यक्ति के तर्क, विश्लेषणात्मक कौशल और आपकी बुद्धिमत्ता का भी प्रतिनिधित्व करता है. बुध के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र एकाउंटेंसी, कॉमर्स, गणित, मीडिया एंड कम्युनिकेशन, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट हैं और साथ ही यह आपके मनोविनोद पक्ष का भी सूचक है.

बुध कन्या राशि में 15 डिग्री तक उच्च में स्थित है. कन्या राशि में 15-20 अंश होने पर इसका प्रभाव विशेष लाभकारी माना जाता है 12वें भाव में यह व्यय भाव का प्रतिनिधित्व करता है. यदि यह इस भाव में हो तो इसका प्रभाव हानिकारक या अशुभ होता है. मिथुन राशि में बुध अपना अच्छा प्रभाव दिखाता है. काल पुरुष कुंडली के अनुसार यह ग्रह तीसरे और छठे भाव का स्वामी है. तीसरा घर आपकी संचार शक्ति, भावनात्मक स्थिरता, छोटे भाई-बहन, ताकत, छोटी यात्राओं का प्रतिनिधित्व करता है. छठा भाव अदालती मामलों, मुकदमेबाजी, प्रतियोगिता का प्रतिनिधित्व करता है और इसे संभालने के लिए बुध और इसकी स्थिति से संचालित उत्तम बौद्धिकता की आवश्यकता होती है.

बुध प्रदोष व्रत के लाभ 

यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति को उत्तम कौशल के साथ धन्य कमाने की योग्यता प्रदान करता है. एक हास्य अभिनेता, लेखक, उत्कृष्ट संचार क्षमता और भाई-बहनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध इसी शुभ बुध की देन हैं. बुध अच्छी मात्रा में छोटी यात्रा और यात्रा की इच्छा भी देता है. यह एक ऐसे व्यक्ति को भी दर्शाता जो सभी प्रतिस्पर्धाओं को आत्मविश्वास से पूरा कर सकता है, बुध एक उत्तम गणितीय और तार्किक दिमाग प्रदान करता है.

छठा भाव भी समस्याओं का घर है जिसे दूर करने में बुध मदद कर सकता है. अपने जीवन में बुध के प्रभाव में यदि शुभता की कमी बनी होती है तो वह अपने गुणों को अनुकूल रुप से नही दे पाता है. बुध का कमजोर होना कई तरह की परेशानियों का कारण बन जाता है. बुध के खराब होने के कारण वाणी में अशुभता दिखाई देती है. हकलाना, गूंगापन, कठोरता, जैसी बातें बुध के खराब होने के कारण बनता है. खराब अशुभ बुध तर्क को खराब करता है. नकारात्मक विचारधारा में बढ़ोत्तरी करने वाला होता है. ऎसी स्थिति में बुध प्रदोष के व्रत को करना इस प्रकार के सभी दोषों को शांत कर देने वाला समय होता है. 

बुध प्रदोष मंत्र

बुध प्रदोष के दिन भगवान शिव के मंत्रो उच्चारण के साथ ही बुध मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायी माना गया है जिसके द्वारा बुध ग्रह शांति होती है. इस दिन मंत्रों का उपयोग एवं जाप जीवन में बुध ग्रह ही शुभता प्रदान करने वाला होता है. 

बुध त्वं बुद्धिजनको बोधद: सर्वदा नृणाम्।

तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र: नमो नम:।।

ऊं बुं बुधाय नम:

ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:

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