गुरू नानक जयंती | Guru Nanak Jayanti | Guru Nanak Jayanti 2024
जीवन परिचय | Biography
गुरु नानकदेवजी का प्रकाश ऐसे समय में हुआ था जब देश इतिहास के सबसे अँधेरे युगों में था. उस समय अंधविश्वास एवं आडंबरों का बोलबाला था और धार्मिक कट्टरता तेजी से बढ़ रही थी. श्री गुरु नानकदेव संत, कवि और महान समाज सुधारक थे. नानक देवजी के पिता बाबा कालूचंद्र बेदी और माता तृप्ता जी थी. बचपन से ही नानक जी का मन आध्यात्मिक भावों से जुडा़ रहता था. पंडित और मौलवी सभी नानकदेवजी की विद्वता से प्रभावित हुए बिना न रह सके. पत्नी सुखमणि (सुलक्षणा) से उन्हे दो पुत्र भी हुए थे, परंतु उनका मन गृहस्थी में कभी नहीं लगा और वह मानव सेवा में लगे रहे.
ईश्वर एक है. सदैव उसकी उपासना करो, वह सब जगह और सभी में मौजूद है, उस ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं होता, मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके जरूरतमंद को भी कुछ दो, सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं,
लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है, जैसी शिक्षाओं को उन्होंने सभी के मध्य पहुँचाने का प्रयास किया. जीवनभर धार्मिक यात्राओं के माध्यम से लोगों को मानवता का उपदेश देते रहे और 70 वर्ष की साधना के पश्चात सन् 1539 ई. में परम ज्योति में विलीन हो गए.
गुरू नानक जी के विचार सिद्धांत | Consider the Principle of Guru Nanak
गुरूनानक देव जी के उपदेश एवं शिक्षाएं आज भी उनके अनुयायियों के लिए जीवन का आधार हैं. उनके दिए गए सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने लोगों को समझाया कि सभी इंसान एक दूसरे के भाई हैं. ईश्वर सभी का है.
अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बंदे एक नूर तेसब जग उपज्या, कौन भले को मंदे. एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंचे-नीचे कैसे हो सकते है. पाँच सौ वर्षों पूर्व दिए उनके उपदेशों का प्रकाश आज भी मानवता को आलोकित कर रहा है. नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक रहे, मानव धर्म के उत्थापक तथा सिखों के आदि गुरु थे. नानकदेव जी ने अपनी शिक्षा से लोगों में एकता और प्रेम को बढ़ावा दिया.
गुरू नानक जयंती महत्व | Importance of Guru Nanak Jayanti
गुरु नानक जयंती बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है. गुरु पर्व के अवसर पर सभी तरफ महोत्सव जैसा माहौल बना रहता है. गुरुद्वारों में विशेष आयोजन होता है, पूजा-अर्चना की जाती है. जलूस एवं शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं. इस जुलूस में हाथी, घोड़ों आदि के साथ नानकदेव के जीवन से संबंधित सुसज्जित झांकियां बैंड-बाजों के साथ निकाली जाती हैं. गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन, सत्संग, प्रवचन के साथ-साथ लंगर का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं.