श्री मातंगी जयंती | Shri Matangi Jayanti | Maa Matangi | Matangi Jayanti 2024 | Matangi Jayanti
देवी मातंगी दसमहाविद्या में नवीं महाविद्या हैं. यह वाणी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं. यह स्तम्भन की देवी हैं तथा इनमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं. देवी मातंगी दांपत्य जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाने वाली होती हैं इनका पूजन करने से गृहस्थ के सभी सुख प्राप्त होते हैं. माँ मातंगी पुरुषार्थ चतुष्ट्य की प्रदात्री हैं. भगवती मातंगी अपने भक्तों को अभय का फल प्रदान करती हैं. यह अभीष्ट सिद्धि प्रदान करती हैं.
माँ मातंगी कथा | Maa Matangi Katha
महादेवी माँ मातंगी स्वरुप हैं. इनकी साधना साधक को सभी कष्टों से मुक्त कर देती है. इनका महा मंत्र ‘क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा:’ इस मंत्र का जाप करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है. जीवन में माता के प्रेम की कमी अथवा माता को कोई कष्ट हो आकाल या बाढ़ से पीड़ित हों तो देवी मातंगी का जाप करना चाहिए.
नौवे दिन की महा देवी माँ मातंगी स्वरुप हैं. मतंग भगवान शिव का एक नाम है इनकी आदिशक्ति देवी मातंगी हैं. यह श्याम वर्ण और चन्द्रमा को मस्तक पर धारण किए हुए हैं. यह वाग्देवी हैं इनकी भुजाएं चार वेद हैं. मां मातंगी वैदिकों की सरस्वती है. पलास और मल्लिका पुष्पों से युक्त बेलपत्रों की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आकर्षण और स्तम्भन शक्ति का विकास होता है.
देवी मातंगी को उच्छिष्टचांडालिनी या महापिशाचिनी भी कहा जाता है. मातंगी के विभिन्न प्रकार के भेद हैं उच्छिष्टमातंगी, राजमांतगी, सुमुखी, वैश्यमातंगी, कर्णमातंगी, आदि यह देवी दक्षिण तथा पश्चिम की देवता हैं . ब्रह्मयामल के अनुसार मातंग मुनि ने दीर्घकालीन तपस्या द्वारा देवी को कन्यारूप में प्राप्त किया था. यह भी प्रसिद्धि है कि वन में मातंग ऋषि तपस्या करते थे. क्रूर विनाशकारी शक्तियों के दमन के लिये उस स्थान में त्रिपुरसुंदरी के चक्षु से एक तेज निकल पड़ा तब देवी काली उसी तेज के द्वारा श्यामल रूप धारण करके राजमातंगी रूप में प्रकट हुईं.
माँ मातंगी स्वरूप | Appearance of Maa Matangi
राक्षसों का नाश व उनका वध करने हेतु माता मातंगी ने विशिष्ट तेजस्वी स्वरुप धारण किया देवी माता का यही रूप मातंगी रूप में अवतरित हुआ, मातंगी लाल रंग के वस्त्र धारण करती हैं , सिंह की सवारी करती है लाल होठ वाली व अत्यंत ओजपूर्ण हैं. मातंगी लाल पादुका, लाल माला, धारण करती है. हाथो में धनुषबाण , शंख , पाश, कतार, छत्र , त्रिशूल , अक्षमाला, शक्ति आदि अपने हाथो में धारण करती हैं.
मातंगी जयंती महत्व
मातंगी देवी की जयंती के उपलक्ष्य पर मंदिरों में माता की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन कन्याओं का भी पूजन होता है माता को भोग लगाया जाता है.भक्तों में माता का प्रसाद वितरित किया जाता है. अनेक जगहों पर जागरण एवं भजन किर्तन का भी आयोजन होता है. मंदिरों में माता के भक्त बहुत उत्साह के साथ माता के जयकारों से माता का उदघोष करते हैं.