शत्रु नाशक श्री बगलामुखी साधना | Shri Baglamukhi Sadhana to defeat enemies | Baglamukhi Sadhana

देवी बगलामुखी दस महाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं. इन्हीं में संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश है. माता बगलामुखी की उपासना से शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय प्राप्त होती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर  प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है.

देवी बगलामुखी भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए.

बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.

मां बगलामुखी पूजन | Goddess Baglamukhi Pujan

माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए  पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें.

आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में  ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है  मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें.

माँ बगलामुखी यंत्र - मंत्र साधना | Goddess Baglamukhi yantra-tantra Sadhana

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।

त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।

ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।

ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ

सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

ध्यान | Meditation

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्

हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्

हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै

व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

विनियोग | Viniyoga

ॐ अस्य श्रीबगलामुखी ब्रह्मास्त्र-मन्त्र-कवचस्य भैरव ऋषिः

विराट् छन्दः, श्रीबगलामुखी देवता, क्लीं बीजम्, ऐं शक्तिः

श्रीं कीलकं, मम (परस्य) च मनोभिलषितेष्टकार्य सिद्धये विनियोगः ।

न्यास | Nyaas

भैरव ऋषये नमः शिरसि, विराट् छन्दसे नमः मुखे

श्रीबगलामुखी देवतायै नमः हृदि, क्लीं बीजाय नमः गुह्ये, ऐं शक्तये नमः पादयोः

श्रीं कीलकाय नमः नाभौ मम (परस्य) च मनोभिलषितेष्टकार्य सिद्धये विनियोगाय नमः सर्वांगे ।

मन्त्रोद्धार | Mantrodar

ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्रीबगलानने मम रिपून् नाशय नाशय, ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवाञ्छितं कार्यं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।

मंत्र | Mantra

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां

वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय

बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

बगलामुखी कवच-पाठ | Baglamukhi Kawach-path

शिरो मेंपातु ॐ ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं पातुललाटकम ।

सम्बोधनपदं पातु नेत्रे श्रीबगलानने ।। १

श्रुतौ मम रिपुं पातु नासिकां नाशयद्वयम् ।

पातु गण्डौ सदा मामैश्वर्याण्यन्तं तु मस्तकम् ।। २

देहिद्वन्द्वं सदा जिह्वां पातु शीघ्रं वचो मम ।

कण्ठदेशं मनः पातु वाञ्छितं बाहुमूलकम् ।। ३

कार्यं साधयद्वन्द्वं तु करौ पातु सदा मम ।

मायायुक्ता तथा स्वाहा, हृदयं पातु सर्वदा ।। ४

अष्टाधिक चत्वारिंशदण्डाढया बगलामुखी ।

रक्षां करोतु सर्वत्र गृहेरण्ये सदा मम ।। ५

ब्रह्मास्त्राख्यो मनुः पातु सर्वांगे सर्वसन्धिषु ।

मन्त्रराजः सदा रक्षां करोतु मम सर्वदा ।। ६

ॐ ह्रीं पातु नाभिदेशं कटिं मे बगलावतु ।

मुखिवर्णद्वयं पातु लिंग मे मुष्क-युग्मकम् ।। ७

जानुनी सर्वदुष्टानां पातु मे वर्णपञ्चकम् ।

वाचं मुखं तथा पादं षड्वर्णाः परमेश्वरी ।। ८

जंघायुग्मे सदा पातु बगला रिपुमोहिनी ।

स्तम्भयेति पदं पृष्ठं पातु वर्णत्रयं मम ।। ९

जिह्वावर्णद्वयं पातु गुल्फौ मे कीलयेति च ।

पादोर्ध्व सर्वदा पातु बुद्धिं पादतले मम ।। १०

विनाशयपदं पातु पादांगुल्योर्नखानि मे ।

ह्रीं बीजं सर्वदा पातु बुद्धिन्द्रियवचांसि मे ।। ११

सर्वांगं प्रणवः पातु स्वाहा रोमाणि मेवतु ।

ब्राह्मी पूर्वदले पातु चाग्नेय्यां विष्णुवल्लभा ।। १२

माहेशी दक्षिणे पातु चामुण्डा राक्षसेवतु ।

कौमारी पश्चिमे पातु वायव्ये चापराजिता ।। १३

वाराही चोत्तरे पातु नारसिंही शिवेवतु ।

ऊर्ध्वं पातु महालक्ष्मीः पाताले शारदावतु ।। १४

इत्यष्टौ शक्तयः पान्तु सायुधाश्च सवाहनाः ।

राजद्वारे महादुर्गे पातु मां गणनायकः ।। १५

श्मशाने जलमध्ये च भैरवश्च सदाऽवतु ।

द्विभुजा रक्तवसनाः सर्वाभरणभूषिताः ।। १६

योगिन्यः सर्वदा पान्तु महारण्ये सदा मम ।

इति ते कथितं देवि कवचं परमाद्भुतम् ।। १७

बगालामुखि - पूजन का यंत्र | Baglamukhi - Puja Yantra

पहले त्रिकोण बनाकर, उसके बाहर षटकोण अंकित करके वृत्त तथा अष्टदल पद्म को अंकित करे! उसके बहिर्भाग में भूपुर अंकित करके यंत्र को प्रस्तुत करना चाहिए! यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र के ऊपर लिखना चाहिए!

माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.

पीत वस्त्र धारण कर. हल्दी की गाँठ से निर्मित अर्थात जिसमें हल्दी की गाँठ लगी हुई हों,  माला से प्रतिदिन एक लाख की संख्या में मन्त्र का जप करना चाहिए.