ओम पर्वत | ॐ पर्वत । Om Mountain | Om Parvat | ॐ Mountain | Aum Parvat
अदभूत स्थल ओम पर्वत आदि कैलाश यात्रा के मार्ग में स्थित है. इसे ॐ पर्वत इसलिए कहा जाता है क्योंकि पर्वत का आकार व इस पर जो बर्फ जमी हुई है वह ओम आकार की छठा बिखेरती है तथा ओम का प्रतिबिंब दिखाई देता है. यह मनमोहक ओम पर्वत गौरी कुंड का आधार स्थल भी है. मान्यता है कि इस पवित्र स्थान में वह शक्ति है जो यहां आने वाले सभी व्यक्तियों को आनंद की अनुभूति देती है व नास्तिक को भी आस्तिक में परिवर्तित कर देती है.
यहां स्थित पावन स्थलों एवं न्यनाभिराम दृश्यों का आनंद देखते ही बनता है. यह स्थान आदि कैलाश तीर्थस्थल का रास्ता है जहां के दृ्श्यों से सभी भक्त रोमांचित हो जाते हैं. यहां का परिदृश्य कैलाश मानसरोवर जैसा ही होता है गुंजी पहुंचने के बाद तीर्थ यात्री लिपू लेख पास पहुंच सकते हैं जिसके बिल्कुल पीछे चीन की सीमा दिखाई पड़ती है. इन के दर्शन के बाद ही आदि कैलाश यात्रा को पूरा माना जाता है.
इस पर्वत की परिक्रमा बहुत ही दुर्गम स्थलों से होते हुए मुश्किल से पूरी होती है क्योंकि ॐ पर्वत मार्ग काफी ऊचांई पर होने के कारण बर्फ से ढका रहता है. परंतु इस सबके बावजूद यहां आने वाले श्रद्धालु तीर्थयात्रियों की संख्या मे हर वर्ष इजाफा होता है. इस यात्रा के लिए बहुत सारी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं, यात्रा करने के लिए परमिट की आवश्यकता होती है. परमिट प्राप्त करने के बाद बुद्धि के रास्ते गुंजी जाना होता है इसके बाद जौलिंगकोंग के लिए आगे की यात्रा शुरू की जा सकती है. जौलिंगकोंग से आदि कैलाश और पार्वती सरोवर थोडी ही दूर पर है.
यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं मे से एक है, यह बहुत बर्फीला क्षेत्र भी है इतना होते हुए भी हर वर्ष यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है इसके अतिरिक्त बुद्धिजीवी व पर्यटक भी इस रोमांचकारी स्थान पर आते रहते हैं इस ॐ पर्वत पर आना आत्मा को शांति प्रदान करता.
इस स्थल के विषय में अनेक पुराणों में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है. यहां लगभग प्रत्येक पर्वत पर एक तीर्थ स्थल है यहां के प्रत्येक रास्ते, जंगल और चोटी से एक कहानी जुडी हुई है इन कहानियों में हिंदू दंत कथाओं के साथ-साथ बौद्ध धर्म की कहानियां भी जुडी हुई है. वास्तव में यह स्थान तीर्थ यात्रा पर आने वाले व सभी के लिए एक आदर्श जगह है.
ॐ पर्वत महत्व | Significance of Om Mountain
कैलाश मानसरोवर यात्रा के बाद ॐ पर्वत यात्रा को सबसे प्रमुख व पवित्र यात्रा माना गया है. इस स्थान पर स्थित आदि कैलाश को छोटा कैलाश के नाम से भी पुकारा जाता है, इसके साथ ही यहां पार्वती सरोवर स्थित है जो गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता है की यह वह स्थल है जहां माँ पार्वती स्नान किया करती थीं, अत: यहां आने वाली महिलाएं इस पवित्र जल में स्नान करके अनेक कष्टों से मुक्ति पाती हैं. इन दोनों ही तीर्थस्थलों को कैलाश पर्वत व मानसरोवर झील के समतुल्य माना जाता है. ॐ पर्वत का मौसम बेहद ठंडा होता है तथा रास्ता बेहद कठिनाई से भरा होता है.
यह ॐ पर्वत देवभूमि हिमालय पर स्थित है. अधिकतर तीर्थस्थलों की यात्रा के महत्वपुर्ण संदर्भों में एक यात्रा इस पर्वत के रूप मे भी उपस्थित है यह रमणीय स्थल जहां पर पर्वतों से निकलती नदियां, छोटे-छोट बहते झरने अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं तथा तीर्थयात्रा के आनंद को बढ़ाते हैं. इस तीर्थस्थलों की सुन्दरता का वर्णन पुराणों में किया गया है वृहत पुराण में इसके बार में लिखा हुआ है कि भगवान शिव को यह स्थल अत्यधिक प्रिय रहा है. पौराणिक कथाओं में भी हिमालय की गोद मे समाए इस पवित्र स्थल का विस्तृत वर्णन मिलता है.