गंगा तृतीया कब और क्यों मनाते हैं जानें इस दिन का महत्व

भारतवर्ष में विभिन्न धार्मिक पर्व-त्योहारों का विशेष महत्व है. इन्हीं में से एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायक दिन है गंगा तृतीया. इसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है. यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. गंगा तृतीया न केवल धार्मिक दृष्टि से अपितु आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस दिन पवित्र गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, इसीलिए इसे 'गंगा तृतीया' कहते हैं. यह पर्व हर वर्ष अप्रैल-मई के महीने में आता है.

गंगा तृतीया पर्व

गंगा तृतीया पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. यह दिन त्रेतायुग के प्रारंभ का प्रतीक भी माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. इसलिए इसे "गंगा अवतरण दिवस" भी कहा जाता है. इसके अतिरिक्त यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्मदिवस भी माना जाता है. साथ ही त्रेता युग में इसी दिन भगवान विष्णु ने नर-नारायण और हयग्रीव रूप में अवतार लिया था. यह पर्व जैन धर्म में भी अत्यंत महत्व रखता है. जैन मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान ऋषभदेव ने वर्षभर की तपस्या के बाद पहला आहार रस का ग्रहण किया था.

गंगा तृतीया पूजा विधि

गंगा तृतीया के दिन श्रद्धालु सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करते हैं. विशेष रूप से गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है. यदि गंगा नदी तक पहुँचना संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. तांबे का कलश, गंगाजल, दूध, अक्षत, चंदन, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि. स्वच्छ स्थान पर गंगा माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उन्हें पुष्प, वस्त्र, चंदन आदि अर्पित करें. गंगा माता की आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें  ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र, जल से भरे कलश, छाता, चप्पल, जलपात्र आदि दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है. इस दिन शुभ कार्य जैसे मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश आदि को अत्यंत शुभ माना जाता है.

यह दिन गंगा के पृथ्वी पर आगमन का प्रतीक है, जिसे समस्त मानवता के कल्याण के लिए माना जाता है. भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म इसी दिन हुआ था. नर-नारायण और हयग्रीव रूप में भगवान विष्णु ने इसी दिन अवतार लिया.

गंगा तृतीया ज्योतिषीय महत्व 

गंगा तृतीया को शुभ मुहूर्त समय माना गया है. गंगा तृतीया के दिन सूर्य उच्च राशि में रहते हैं, जिससे यह दिन अत्यंत शुभ बन जाता है. यह तिथि त्रेता युग के आरंभ की मानी जाती है. इस दिन कोई भी कार्य जैसे सोना खरीदना, विवाह करना, गृह प्रवेश करना आदि शुभ फलदायक माने जाते हैं.

गंगा तृतीया पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और पुण्य कमाने के लिए अत्यंत लाभकारी है. इस दिन किए गए कार्यों का अक्षय फल मिलता है. गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आत्मा पवित्र होती है. इस दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है. विशेष रूप से जल से भरे घड़े, अनाज, वस्त्र, सोना, चांदी, गौ आदि का दान करने से अपार पुण्य प्राप्त होता है. सच्चे मन से की गई पूजा और मंत्र जाप से इच्छाएं पूर्ण होती हैं.

गंगा तृतीया: पौराणिक महत्व 

गंगा तृतीया, जिसे अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसकी मान्यता अत्यंत शुभ तथा पुण्यदायक मानी जाती है. इस दिन माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था, गंगा तृतीया को हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष स्थान प्राप्त है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन राजा भागीरथ के तप से प्रसन्न होकर मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो सके. अतः यह दिन मोक्षदायिनी गंगा के पृथ्वी पर पदार्पण का प्रतीक है. 

इसके अतिरिक्त यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्मदिवस भी माना जाता है. कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने नर-नारायण और हयग्रीव अवतार भी लिए थे. यही कारण है कि यह दिन केवल गंगा पूजन तक सीमित नहीं, बल्कि विष्णु भक्ति और पुण्यकर्म के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है. जैन धर्म में भी यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है. ऐसा माना जाता है कि पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने इसी दिन एक वर्ष की कठिन तपस्या के बाद गन्ने के रस से पहला आहार ग्रहण किया था.

गंगा तृतीया मंत्र जाप

इस दिन कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है. नीचे कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं:

गंगा माता मंत्र:

ॐ नमः शिवायै गंगायै शिवदत्तायै नमो नमः.

स्नानं मे देहि गंगे त्राहि मां दु:खभारतः॥

गंगा स्तोत्र:

देवि सुरेश्वरी भगवति गंगे  

त्रिभुवन-तारिणि तरल-तरंगे.

शंकर-मौलि-विहारिणि विमले  

मम मतिरास्तां तव पद-कमले॥

अक्षय तृतीया महामंत्र:

ॐ श्री लक्ष्मीनारायणाय नमः.

गंगा तृतीया एक ऐसा पर्व है जो मानव जीवन को आध्यात्मिक उन्नति, शुद्धता और पुण्य की ओर प्रेरित करता है. यह दिन भक्ति, सेवा, दान और सद्कर्मों के लिए समर्पित है. गंगा माँ के पावन चरणों में स्नान कर, उनके नाम का जप कर, और सेवा भाव से दान कर हम अपने जीवन को पवित्र बना सकते हैं. यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में पवित्रता, परोपकार और सत्कर्मों से ही मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.