मित्र सप्तमी 2025 | Mitra Saptami 2025 | Mitra Saptami

मित्र सप्तमी का त्यौहार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन मनाया जाता है. सूर्य देव की पूजा का पर्व सूर्य सप्तमी एक प्रमुख हिन्दू पर्व है. सूर्योपासना का यह पर्व संपूर्ण भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है. सूर्य भगवान ने अनेक नाम हैं जिनमें से उन्हें मित्र नाम से भी संबोधित किया जाता है, अत: इस दिन सप्तमी को मित्र सप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भास्कर भगवान की पूजा-उपासना की जाती है. भगवान सूर्य की आराधना करते हुए लोग गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर के किनारे सूर्य देव को जल देते हैं.

मित्र सप्तमी पौराणिक महत्व | Methodological Importance of Mitra Saptami

सूर्य देव को महर्षि कश्यप और अदिति का पुत्र कहा गया है. इनके जन्म के विषय में कहा जाता है कि एक समय दैत्यों का प्रभुत्व खूब बढ़ने के कारण स्वर्ग पर दैत्यों का अधिपत्य स्थापित हो जाता है. देवों के दुर्दशा देखकर देव-माता अदिति भगवान सूर्य की उपासना करती हैं. आदिति की तपस्या से प्रसन्न हो भगवान सूर्य उन्हें वरदान देते हैं कि वह उनके पुत्र रूप में जन्म लेंगे तथा उनके देवों की रक्षा करेंगे. इस प्रकार भगवान के कथन अनुसार कुछ देवी अदिति के गर्भ से भगवान सूर्य का जन्म होता है. वह देवताओं के नायक बनते हैं और असुरों को परास्त कर देवों का प्रभुत्व कायम करते हैं. नारद जी के कथन अनुसार जो व्यक्ति मित्र सप्तमी का व्रत करता है तथा अपने पापों की क्षमा मांगता है सूर्य भगवान उससे प्रसन्न हो उसे पुन: नेत्र ज्योति प्रदान करते हैं. इस प्रकार यह मित्र सप्तमी पर्व सभी सुखों को प्रदान करने वाला व्रत है.

मित्र सप्तमी पूजन | Mitra Saptami Pujan

मित्र सप्तमी व्रत भगवान सूर्य की उपासना का पर्व है. सप्तमी के दिन इस पर्व का आयोजन मार्गशीर्ष माह के आरंभ के साथ ही शुरू हो जाता है इस पर्व के उपलक्ष में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व होता है. मित्र सप्तमी व्रत में भगवान सूर्य की पूजा उपासना की जाती है, इस दिन व्रती अपने सभी कार्यों को पूर्ण कर भगवान आदित्य का पूजन करता है व उन्हें जल द्वरा अर्घ्य दिया जाता है. सूर्य भगवान का षोडशोपचार पजन करते हैं. पूजा में फल, विभिन्न प्रकार के पकवान एवं मिष्ठान को शामिल किया जाता है. सप्तमी को फलाहार करके अष्टमी को मिष्ठान ग्रहण करते हुए व्रत पारण करें. इस व्रत को करने से आरोग्य व आयु की प्राप्ति होती है. इस दिन सूर्य की किरणों को अवश्य ग्रहण करना चाहिए. पूजन और अर्घ्य देने के समय सूर्य की किरणें अवश्य देखनी चाहिए.

मित्र सप्तमी महत्व | Mitra Saptami Importance

मित्र सप्तमी पर्व के अवसर पर परिवार के सभी सदस्य स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं. मित्र सप्तमी पर्व के दिन पूजा का सामान तैयार किया जाता है जिसमें सभी प्रकार के फल, दूध. केसर, कुमकुम बादाम इत्यादि को रखा जाता है. इस व्रत का बहुत महत्व रहा है इसे करने से घर में धन धान्य की वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है. इस व्रत को करने से चर्म तथा नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है.