दिवाली का त्यौहार | Diwali Festival | Deepavali Festival Puja 2025

दिवाली का पर्व भारतीय संस्कृत्ति में अत्यधिक लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्यौहारों के रुप में स्थान पाता है. यह धन, वैभव एवं उल्लास की कामना एवं पूर्णता का पर्व है. कार्तिक मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले इस पंच दिवसीय पर्व को सभी वर्गों के लोग किसी न किसी प्रकार से अत्यंत हर्ष व उत्साह के साथ मनाते हैं.

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक चलने वाला दीपावली का त्यौहार सुख समृद्धि की वृद्धि, दरिद्रता का निवारण, स्वास्थ्य की प्राप्ति, व्यापार वृद्धि तथा लौकिक व परालौकिक सुखों की प्राप्ति के उद्देश्यों की पूर्णता प्राप्ति के लिए मनाया जाता है. दीवाली के आने से चारों और रोशनी का संसार बस जाता है अंधेरों को दूर करते हुए आशा व उत्साह का संचार सभी के हृदय में उजागर होता है.

दीपावली प्रकाशमय पर्व है भारत का अत्यंत प्राचीन सांस्कृति एवं राष्ट्रीय पर्व है. वेदों में प्रकाश व इस ज्योति की महिमा का वर्णन मिलता है. पौराणिक काल की अनुभूतियां दीपावली पर पूजे जाने वाले देवता इस पर्व की प्राचीनता के द्योतक हैं. यह पावन पर्व भारतीय संस्कृति की लौकिक एवं सांस्कृतिक धरोहर के रुप में मनाया जाता रहा है.

लक्ष्मी स्वरूपा दीवाली | Goddess Lakshmi

लक्ष्मी आदिशक्ति का वह रूप हैं जो विश्व को भौतिक सुख समृद्धि प्रदान करती हैं. लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी हैं इनक अप्रभव क्षेत्र व्यापक व विश्वव्यापी है. लक्ष्मी जी को सत्वरुपा, श्रुतिरूपा एवं आनंदस्वरुपा माना जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की मावस्या को ही लक्ष्मी जी का समुद्र मंथन के समय प्रादुर्भाव हुआ था. इसलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूज अक अविधान है. इनके साथ गणेश जी की पूजा भी की जाती है क्योंकि धन के महत्व को समझा जाए और उसे सत्कर्मों में व्यय किया जाए.

सरस्वती पूजन | Worshipping Goddess Saraswati

माँ लक्ष्मी के साथ-साथ दीपावली के दिन माँ सरस्वती की भी पूजा की जाती है. इसी के साथ इंद्र देव की पूजा अभी विधान होता है. बहीखातों व तुला पूजन का दिवस यह पर्व व्यापारियों एवं गृहस्थों सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है. व्यापारी वर्ग के लिए दीपावली का दिन बही खातों एवं तुला आदि के पूजन का दिवस होता है. इसके लिए व्यापारियों को अपने कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर शुभ लाभ और स्वस्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए. इस शुभ चिन्हों की रोली पुष्प इत्यादि से "ॐ देहलीविनायकाय नम:" मंत्र का जाप करते हुए पूजा करनी चाहिए. तदुपरांत दवात, बहीखातों एवं तुला इत्यादि का पूजन करना चाहिए.

लेखनी पूजन | Worshipping The Pen On Diwali

दीपावली के दिन नय़ी लेखनी अथवा पेन को शुद्ध जल से धोकर उस पर मौली बांधकर लक्ष्मीपूजन के स्थान पर स्थापित कर देना चाहिए. इसके पश्चात रोली व फूलों से "ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नम:" मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजन  करना चाहिए.

बही-खाता पूजन | Rituals To Worship The Account Book

व्यपारियों को दीवाली के दिन नए बही खातों का आरंभ करना चाहिए. पूजन करने के लिए बही खातों को शुद्ध करके उन्हें लाल वस्त्र के उपर स्थापित करें. नवीन बही- खाता पुस्तकों पर केसर युक्त चंदन से अथवा लाल कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए. ॐ श्री गणेशाय नम: लिखकर एक थाल में हल्दी की गांठ, कमलगट्टे की माला, अक्षत व दक्षिणा रखकर तथा थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां ऊँ श्री सरस्वत्यै नम:। का जाप करना चाहिए.

दीपदान | Worshipping Gods And Goddesses on Diwali

दीपावली के दिन सम्सत देवी देवताओं के प्रति पूर्ण श्रद्धा भाव दर्शाते हुए अंधकार को परास्त करके उजाले के आगमन की विजय के लिए दीपों को प्रज्जवलित किया जाता है. दीपावली के दिन लक्ष्मी जी पृथ्वी पर विचरण करती हैं, इसीलिए लक्ष्मी के स्वागत हेतु दीपदान द्वारा रोशनी का मार्गप्रश्स्त करते हैं. हर कोने में दीपक रखे जाते हैं, ताकि किसी भी जगह अंधेरा न हो. इस दीन दीपदान विशेष महत्व रखता है. इस दिन को महानिशीथ काल भी कहा जाता है अत: इस अंधेरे को हटाते हुए प्रकाश का आगमन जीवन में स्थायित्व सुख एवं समृद्धि को लाता है दीपदान शुभ फलों में वृद्धि करने वाला होता है.

लक्ष्मी तथा गणेश पूजन | Worshipping Goddess Lakshmi and Lord Ganesha

दीपोत्सव पर पारदेश्वरी महालक्ष्मी जी व गणेश जी की पूजा आराधना का बहुत महत्व होता है. पूजन की तैयारी शाम से शुरू हो जाती है शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां स्थापित करके विधि-विधान से लक्ष्मी तथा गणेश भगवान की पूजा की जाती हैं  श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त का पाठ किया जाता है. पूजन पश्चात भगवान को भोग लगाकर लोग आस-पडौ़स में व रिश्तेदारों तथा मित्रों को मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं  रात में बच्चे तथा बडे़ मिलकर पटाखे तथा आतिशबाजी जलाते हैं.