अमावस्या योग ज्योतिष के नजरिये से शुभ अशुभ प्रभाव

ज्योतिष अनुसार किसी भी राशि में सूर्य और चंद्रमा की युति का अंशात्मक रुप से करीब होना अमावस्या तिथि और अमावस्या योग कहा जाता है. धर्म शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्र अनुसार अमावस्या का महत्व बहुत ही विशेष रहा है. अमावस्या का योग एवं अमावस्या तिथि का प्रभाव पितरों से संबंधित होता है. इसका प्रभाव इतना प्रबल होता हैं कि इस समय किए जाने वाले कुछ विशेष कामों को अनुकूलता प्रदान करने वाला माना गया है. अमावस्या को पितृ पक्ष के लिए खास माना गया है क्योंकि इस स्थिति का स्वामित्व पितरों को ही प्राप्त होता है. 

ज्योतिष में अमावस्या योग कैसे बनता है ? 

ज्योतिष के अनुसार अमावस्या का योग तब बनता है जब जिस दिन सूर्य और चन्द्र दोनों समान अंशों पर होते है. इस समय को अमावस्या कहा जाता है. 

अमावस्या योग के शुभ प्रभाव 

अमावस्या योग का प्रभाव कुछ ऎसी विशेषताओं को देता है जिसके कारण कई चीजों की प्राप्ति होती है. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाता है. व्यक्ति अनेक विचारों पर तर्क देने में सक्षम होता है. व्यक्ति को विज्ञान एवं दर्शन के विषयों का अच्छा ज्ञान होता है. 

अमावस्या योग के नकारात्मक प्रभाव 

ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली में इस अमावस्या योग के होने से व्यक्ति को कई शारीरिक और मानसिक संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है. अमावस्या योग के चलते कुछ परेशानियां भी देखने को मिल सकती हैं. रिश्ते अस्थिर या अल्पकालिक हो सकते हैं. अपने लोगों के साथ संचार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे गलतफहमी और संघर्ष हो सकता है. दूसरों पर लोगों को विश्वास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे स्वस्थ संबंध बनाना मुश्किल हो सकता है. अधिकार जताने की प्रवृत्ति के हो सकते हैं, जो नुकसान पहुंचा सकता है.

कुंडली में ग्रहों का योग जीवन की दशा और दिशा तय करता है. जब जन्म कुंडली के किसी भी भाव में दो ग्रह एक साथ बैठते हैं तो वे एक या दूसरी ज्योतिषीय युति बनाते हैं, जो शुभ भी होती है और अशुभ भी. अगर कुंडली में शुभ ग्रहों की युति हो तो शुभ योग बनता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है, लेकिन अगर अशुभ ग्रहों के कारण योग बन रहा हो तो व्यक्ति का जीवन संघर्ष और परेशानियों से भरा हो जाता है. इस तरह अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि और चंद्रमा एक साथ किसी भी स्थान पर आ जाएं तो विष योग बनता है. इन ग्रहों की परस्पर स्थिति होने पर इसके दुष्प्रभाव अधिक होते हैं. विष योग के बारे में अधिक जानने के लिए ज्योतिषियों से बात करें.

अमावस्या लिए उपाय

अमावस्या के किसी भी प्रकार के नकारात्मक पक्ष से बचाव के लिए यदि ज्योतिषी एवं शास्त्रिय उपाय करता है तो इसके अनुकूल फल मिलते हैं. अमावस्या के लिए कुछ उपाय का पालन करने से नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी और व्यक्तियों को लाभकारी और अनुकूल परिणाम भी मिलेंगे. आइए इन पर एक नज़र डालते हैं. ये उपाय और समाधान इस प्रकार हैं:

अमावस्या चंद्रमा पूजा और मंत्र जाप

अमावस्या के दिन चंद्रमा का पूजन विशेष माना गया है. अमावस्या के दिन चंद्रमा की पूजा में चंद्रमा को जल अर्पित करना, चंद्रमा की कथा श्रवण करना, चंद्रमा के मंत्र जाप करना, प्रत्येक अमावस्या एवं पूर्णिमा के समय चंद्रमा की पूजा करना हमेशा से मददगार रहते हैं. गायत्री मंत्र का प्रतिदिन जाप करना बहुत उपयोगी हो सकता है. इसके अलावा, नवग्रह शांति पूजा रखने से शांति बनी रहती है. 

माता पिता का पूजन 

अमावस्या योग के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति के लिए आवश्यक है माता-पिता का पूजन नमक, किया जाए. ज्योतिष में चंद्रमा माता का ग्रह है और सूर्य पिता का कारक ग्रह है ऎसे में अमावस्या के अशुभ प्रभाव माता-पिता की सेवा द्वारा अनुकूल होते हैं.  

अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करना

अमावस्या पर श्राद्ध करना और पितरों को प्रसन्न करना अमावस्या पर जन्मे बच्चों के लिए सबसे अच्छा उपाय है. इसके अलावा, अपने पितरों को तृप्त करना और उनका आशीर्वाद लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है.

तुलसी की पूजा और उन्हें प्रसन्न करना

तुलसी के पौधे की पूजा करें और अमावस्या की रात को तुलसी के पत्ते न तोड़ें. इसके पत्ते तोड़ना बहुत अशुभ होता है और इसे किसी भी कीमत पर नहीं तोड़ना चाहिए.

अमावस्या दान और उपवास 

हिंदू धर्म में, दान, स्नान और व्रत के माध्यम से कई तरह के नकारात्मक तत्वों से बचाव संभव माना गया है. इन सभी को ग्रहों को मजबूत करने और किसी व्यक्ति के जीवन में किसी भी दोष या तिथि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने का एक बहुत ही प्रभावी तरीका माना जाता है. अमावस्या योग के नकारात्मक फलों को कम करने के लिए          दूध, चावल, तिल, गुड़ और मिष्ठान जैसी चीजें दान करनी चाहिए. इसके अलावा अमावस्या समय पर उपवास करते हुए लाभ प्राप्ति होती है.

अमावस्या पर शनि देव की पूजा

शनि देव का जन्म अमावस्या तिथि के दिन ही हुआ माना गया है. शनि देव कर्मों को शुद्धि देते हैं. अमावस्या तिथि के कारण व्यक्ति के जीवन में आने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने और उनसे छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं शनि देव की पूजा करनी बहुत अच्छी मानी जाती है.