कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025| Kailash Mansarovar Yatra 2025 | Kailash Mansarovar Yatra

कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का प्रिय स्थान कहा गया है. इसे भगवान शिव-पार्वती का घर माना जाता है. पौराणिक आख्यानों के अनुसार यह स्थल शिव का स्थायी निवास होने के कारण से यह स्थान सर्वश्रेष्ठ पाता है. मानसरोवर को 'कैलाश मानसरोवर तीर्थ' के नाम से जाना जाता है. हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने, हज़ारों श्रद्धालु, साधु-संत और दार्शनिक यहाँ जाते हैं. इस स्थान की पवित्रता और महत्ता बहुत अधिक मानी गई है.

यह स्थल भी बेहद दुर्गम स्थान पर स्थित है. मानसरोवर को दूसरा कैलाश पर्वत कहा गया है. भगवान शिव के निवास स्थल के नाम से प्रख्यात यह स्थल अपनी अपरम्पार महिमा के लिये प्रसिद्ध है. यह पर्वत कुल मिलाकर 48 किलोमीटर में फैला हुआ है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा अत्यधिक कठिन यात्राएं में से एक यात्रा मानी जाती है. इस यात्रा का सबसे अधिक कठिन मार्ग भारत के पडोसी देश चीन से होकर जाता है. यहां की यात्रा के विषय में यह कहा जाता है, कि इस यात्रा पर वही लोग जाते हैं, जिसे भगवान भोलेनाथ स्वयं बुलाते हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा की अवधि 28 दिन की होती है.

इसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है. कैलाश पर्वत हिन्दू धर्म में अपना विशिष्ट स्थान रखता  कैलाश पर्वत को 'गणपर्वत और रजतगिरि' भी कहा जाता है. मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है. कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है.  इसके शिखर की आकृति विराट शिवलिंग की भांति है. पर्वतों के मध्य यह स्थान सदैव बर्फ़ से आच्छादित रहता है. यह चार धर्मों तिब्बती धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू धर्म का आध्यात्मिक केन्द्र है. कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम होता है ब्रह्मपुत्र, सिंधु नदी, सतलुज और करनाली.

कैलाश मानसरोवर का पौराणिक महत्व | Puranic Importance of Kailash Mansarovar

पुराणों के अनुसार मानसरोवर झील की उत्पत्ति भगीरथ की तपस्या से भगवान शिव के प्रसन्न होने पर हुई थी. इस स्थान से जुड़े विभिन्न मत और लोक-कथाएँ इसकी प्रमाणिकता को प्रदर्शित करती हैं, मानसरोवर झील तिब्बत में स्थित एक झील है, शास्त्रों में इस स्थान को लेकर अनेक कथाएं प्रचलित हैं कुछ के अनुसार ब्रह्मा जी ने अपने कमण्डल के जल से इस मानसरोवर की स्थापना की तथा कुछ के अनुसार देवी सती का हाथ इसी स्थान पर गिरा था, जिससे यह झील तैयार हुई. कैलाश मानसरोवर स्थल स्वर्ग से कम नहीं है. इस स्थल के विषय में यह मान्यता है, कि जो व्यक्ति इस स्थल का पानी पी लेता है. उसके लिये भगवान शिव के बनाये स्वर्ग में प्रवेश मिल जाता है. यह स्थान माता के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है.

कैलाश मानसरोवर मंदिर समुद्र स्थल से 4 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इतनी ऊंचाई पर होने के कारण यहां के गौरी नामक कुण्ड में सदैव बर्फ जमी रहती है. इस मंदिर के दर्शनों को आने वाले तीर्थयात्री इस कुंड में  स्नान करना शुभ मानते है. यहां भगवान शिव बर्फ के शिवलिंग के रुप में विराजित है.

राक्षस ताल | Rakshas Tal

इस धार्मिक स्थल की यात्रा करने वाले यात्रियों में न केवल हिन्दू धर्म के श्रद्वालु आते है, बल्कि यहां पर बौद्ध व अन्य धर्म के व्यक्ति भी कैलाश मानसरोवर में स्थित भगवान शिव के दर्शनों के लिये आते है, इसी स्थान पर एक ताल है, जो राक्षस ताल के नाम से विख्यात है. इस ताल से जुडी एक पौराणिक कथा प्रचलित है, कि यहां पर रावण ने भगवान शिव कि आराधना की थी. रावण राक्षस कुल के थे इसी कारण इस ताल का नाम "राक्षस ताल" पडा है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग | Kailash Mansarovar Yatra Path

कैलाश मानसरोवर के विषय में कहा जाता है, कि देव ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना इसी स्थान पर की थी. यहां पर गंगा नदी कैलाश पर्वत से निकलते हुए चार नदियों का रुप लेती है जिसके उसके चार नाम हो जाते है.  भारत से कैलाश मानसरोवर की यात्रा का मार्ग हल्द्वानी, कौसानी, बागेश्वर, धारचूला, तवाघाट, पांगू,  सिरखा, गाला माल्पा, बुधि, गुंजी, कालापानी, लिपू लेख दर्रा, तकलाकोट, तारचेन  डेराफुक और अंत में श्री कैलास आता है. मानसरोवर की यात्रा का दृश्य बडा ही मनोरम है. यहां पर प्रकृति का रंग गहरा नीला और बेहद बर्फीला हो जाता है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले श्रद्वालु यहां आकर कैलाश जी की परिक्रमा अवश्य करते है. कैलाश की परिक्रम करने के बाद मानसरोवर की परिक्रमा की जाती है. यहां के सौन्दर्य को देख कर सभी को इस तथ्य पर विश्वास हो गया कि इस स्थान को ब्रह्माण्ड का मध्य स्थान क्यों कहा जाता है.

कैलाश मानसरोवर परिक्रमा | Kailash Mansarovar Parikrama

कैलाश पर्वत परिक्रमा मार्ग लगभग ‘15500 से 19500’ फुट की ऊंचाई पर स्थित है. इसकी परिक्रमा कैलाश की सबसे निचली चोटी तारचेन से शुरू होती है मानसरोवर से 45 किलोमीटर दूर यह स्थान तारचेन कैलाश  परिक्रमा का आधार होता है. तारचेन से यात्री यमद्वार पहुंचते हैं तथा ब्रह्मपुत्र नदी को पार करते हुए डेरापुफ पहुंचा जाता है इस चोटी को 'हिमरत्न' भी कहा जाता है. डेरापुफ में विश्राम के पश्चात यात्री कठिन खड़ी ऊंचाई पर स्थित ड्रोल्मा की तरफ बढते हैं. तकलाकोट और मांधाता पर्वत के बाद गुर्लला का दर्रा के मध्य में  मानसरोवर और राक्षस ताल दिखाई पड़ते हैं. ड्रोल्मापास तथा मानसरोवर पर शिव की पूजा करते हैं

दर्रा समाप्त होने पर तीर्थपुरी नामक स्थान है जहाँ गर्म पानी के झरने हैं इसके आगे डोलमाला और देवीखिंड स्थान है, ड्रोल्मा से नीचे बर्फ़ से सदा ढकी रहने वाली ल्हादू घाटी में स्थित गौरीकुंड है , तीर्थयात्री इस कुंड के पवित्र जल में स्नान करते हैं. कहते हैं कि इस स्थान माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी जिस कारण इस स्थान को गौरी कुड के नाम से पुकारा जाने लगा और सबसे ऊंची चोटी डेशफू गोम्पा पर इस यात्रा का समापन होता है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा महत्व | Importance of Kailash Mansarovar Yatra

कैलाश मानसरोवर यात्रा दुर्गम स्थलों से होते हुए पूरी होती है काफी ऊचांई पर होने के कारण बर्फ से ढका यह स्थान श्रद्धालुओं की आस्था की परिक्षा लेता प्रतीत होता है. परंतु इस सबके बावजूद यहां आने वाले श्रद्धालु तीर्थयात्रियों की संख्या मे हर वर्ष इजाफा होता है. यह रमणीय स्थल जहां पर पर्वतों से निकलती नदियां, छोटे-छोट बहते झरने अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करते हैं तथा तीर्थयात्रा के आनंद को बढ़ाते हैं. इस तीर्थस्थलों की सुन्दरता का वर्णन पुराणों में किया गया है. वृहत पुराण में इसके विषय में लिखा हुआ है कि भगवान शिव को यह स्थल अत्यधिक प्रिय रहा है. पौराणिक कथाओं में भी हिमालय की गोद मे समाए इस पवित्र स्थल का विस्तृत वर्णन मिलता है.

यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं मे से एक यह संसार का सबसे बडा बर्फीला क्षेत्र भी है इतना होते हुए भी हर वर्ष यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है इसके अतिरिक्त बुद्धिजीवी व पर्यटक भी इस रोमांचकारी रमणिय स्थान पर आते रहते हैं इस आदि कैलाश पर आना आत्मा को शांति प्रदान करता. कैलाश के बारे में महाभारत और रामायण के साथ अनेक पुराणों में इसका वर्णन मिलता है. यहां लगभग प्रत्येक पर्वत पर एक तीर्थ स्थल है यहां के प्रत्येक रास्ते, जंगल और चोटी से एक कहानी जुडी हुई है.वास्तव में यह स्थान तीर्थ यात्रा पर आने वाले व सभी के लिए एक आदर्श जगह है.