ललिता सप्तमी पर करें राशि अनुसार पूजन 2024
ललिता को महात्रिपुरसुंदरी, षोडाशी और कामेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है, यह देवी का सर्वोच्च रूप है. देवी का कोई अन्य रूप ललिता या तांत्रिक पार्वती जितना महत्वपूर्ण नहीं है. इन्हें श्री महाविद्या के नाम से भी जाना जाता है. देवी ललिता को राजराजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है, उनका वर्णन अत्यंत सुंदर है. देवी के माथे पर कस्तूरी का तिलक है, पलकें ऐसी प्रतीत होती थीं मानो वे प्रेम के देवता के घर का द्वार हों, और उसकी आँखें ऐसी थीं जैसे मछली उसके चेहरे की झील में खेल रही हो. उसकी नाक तारों से भी अधिक चमकने वाली नथों से सुसज्जित थी, कान सूर्य और चंद्रमा को नगों से सजाए हुए थे, गाल पद्मराग के दर्पण के समान हैं.देवी की वाणी बहुत अधिक मधुर है और उनकी मुस्कान इतनी सुंदर थी कि स्वयं शिव भी उनसे अपनी नज़रें नहीं हटा पाते थे. देवी का विवाह भगवान कामेश्वर से हुआ है.
ललिता सुंदरी कथा
भगवान शिव का विवाह दक्ष की पुत्री सती से हुआ था. किंतु दक्ष को शिच से कभी भी प्रिति नहीं रही. वह विष्णु के उपासक थे और शिव के प्रति उन्हें सदैव नफरत ही रहती थी. दक्ष और परमशिव की आपस में नहीं बनती थी और परिणामस्वरूप दक्ष ने अपने द्वारा आयोजित एक महान अग्नि यज्ञ में परमशिव को आमंत्रित नहीं किया. किंतु पिता के प्रति पुत्रि सती का मोह ऎसा था कि शिव के विरोध के बावजूद सती उस समारोह में शामिल होने गईं. दक्ष ने तब उस सभा में सती के पति का अपमान किया और तब इस अपमान को सती सहन न कर पाईं उन्होंने अग्नि में कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. परिणामस्वरूप, परमशिव के आदेश पर, दक्ष को मार दिया गया और बाद में एक बकरी के सिर के साथ पुनर्जीवित किया गया. इस घटना ने परमशिव को व्यथित कर दिया और वे गहरे ध्यान में चले गये. सती ने पहाड़ों के राजा हिमावत और उनकी पत्नी अप्सरा मैना की बेटी के रूप में पुनर्जन्म लिया और तब देवी का एक नाम पार्वती भी था.
योग और शक्ति में आदि पराशक्ति कौन है
आदि पराशक्ति ललिता महा त्रिपुरा सुंदरी हैं जो महा कामेश्वर शिव की पत्नी हैं. और शक्तिसिम के श्रीकुल के अनुसार पार्वती पूर्ण रूप से आदि पराशक्ति ललिता का पूर्ण रूप है. काली कुल के अनुसार काली आदि पराशक्ति हैं जो महाकाल शिव की पत्नी हैं और पार्वती पूर्णतः दक्षिणा काली का रूप हैं. शक्तिवाद के अनुसार शिवपत्नी ही आदि पराशक्ति हैं. और पार्वती पूर्णतया आदि पराशक्ति का स्वरूप हैं.
मेष राशि
मेष राशि वालों को ललिता सप्तमी के दिन विशेष पूजा करनी चाहिए. ललिता चालीसा का पाठ करना चाहिए. माता दयालु हैं और उनमें वात्सल्य की भावना है. जो मेष राशि वालों को सफलता का आशीर्वाद देगा और उनकी बाधाओं को हरेगा.
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लोगों को ललिता स्वरूप की पूजा से विशेष फल मिलेगा. वृषभ राशि वाले लोगों को ललिता सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. जो जनकल्याणकारी भी है. इसका पाठ करने से अविवाहित कन्याओं को पूजन से उत्तम वर की प्राप्ति होती है.
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों को महादेवी यंत्र स्थापित करके देवी ललिता की पूजा करनी चाहिए और प्रतिदिन ललिता कवच का पाठ भी करना चाहिए. मां ललिता ज्ञान प्रदाता हैं और ज्ञान में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं और मां का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है.
कर्क राशि
कर्क राशि के लोगों को ललिता की पूजा करनी चाहिए. साथ में ललिता लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें. देवी वरद मुद्रा में अभय दान प्रदान करती है. इस समय साधना करने से धन के भंडार भरे रहते हैं और व्यापार, नौकरी आदि में सफलता मिलती है.
सिंह राशि
सिंह राशि के लिए देवी ललिता की पूजा करनी चाहिए. इस दिन में देवी मंत्रों का जाप करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि देवी मां की हंसी से ब्रह्मांड अस्तित्व में आया. देवी को भक्ति प्रिय हैं, इसलिए भक्त को ललिता सप्तमी पर देवी के चरणों में नारियल बलि चढ़ानी चाहिए. माता का आशीर्वाद बना रहेगा.
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को ललिता माता की पूजा करनी चाहिए. इस दिन मां ललिता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस समय मां ज्ञान देती हैं और ज्ञान के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करती हैं. इन दिनों में विद्यार्थियों के लिए देवी की साधना अत्यंत फलदायी होती है.
तुला राशि
तुला राशि के जातकों को देवी ललिता की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है. देवी ललिता चालीसा या स्त्रोत का पाठ करें. जो उनके लिए फायदेमंद होगा. साथ ही इस पूजा से कुंवारी कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है.
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वाले लोगों को ललिता की पूजा उत्तम फल देगी. और ललिता मंत्र का जाप करना चाहिए. जिससे उन्हें धन, संतान और पारिवारिक सुख मिलेगा. ललिता माता की कृपा बनी रहती है.
धनु राशि
धनु राशि वाले लोगों को मां ललिता की पूजा करनी चाहिए. यथाशक्ति माता के मंत्रों का अनुष्ठान जाप करना चाहिए. उनकी मुस्कान ब्रह्म ध्वनि का प्रतीक है, जो अपनी ध्वनि से साधक के भय और बाधाओं को समूल नष्ट कर देती है. इस समय इनकी पूजा करने से किसी भी प्रकार के शत्रु से मुक्ति मिलती है.
मकर राशि
मकर राशि के लोगों के लिए देवी ललिता की पूजा सर्वोत्तम मानी गई है. इस दिन ललिता निर्वाण मंत्र का जाप करना चाहिए. देवी अंधेरे में भक्तों का मार्गदर्शन करती है और प्राकृतिक आपदाओं से बचाती है और दुश्मन को भी नष्ट कर देती है. इन दिनों में इनकी साधना विशेष फल देगी.
कुंभ राशि
कुंभ राशि वाले लोगों के लिए देवी ललिता की पूजा विशेष लाभकारी है. इन दिनों में देवी कवच का पाठ करें. वह भक्तों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाती हैं. माता का पूजन करने भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
मीन राशि
मीन राशि के लोगों को मां ललिता की पूजा करनी चाहिए. यथासंभव माता मंत्र का जाप हरिद्रा की माला से करना चाहिए. माता ब्रह्मनाद का प्रतीक है, जो अपनी ध्वनि से साधक के भय और बाधाओं को समूल नष्ट कर देती है. इस दिन में देवी मां की पूजा करना बहुत लाभकारी रहेगा.