नाग पंचमी में कालसर्प पूजा | Kaal Sarpa Puja on Naag Panchami | Kaal Sarpa Pooja
नाग पंचमी श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन काल सर्पदोष की पूजा करने से व्यक्ति को इसके दुषप्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है और जीवन में आने वाले उतार चढावों से रहत प्राप्त होती है. इसलिए नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग से मुक्ति हेतु शिवलिंग के अभिषेक एवं शांति पूजा की जानी चाहिए. यदि इस दिन द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक किया जाए तो शुभता में वृद्धि होती है.
कालसर्प योग शांति के लिए नागपंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए तथा चांदी के नाग-नागिन के जो़ड़े को किसी मंदिर या बहते हुए जल में बहा देना चाहिए. अष्टधातु या कांसे का बना नाग शिवलिंग पर चढ़ाने से भी इस दोष से मुक्ति मिलती है. नागपंचमी के दिन रुद्राक्ष माला से शिव पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जप करने से भी इसकी शांति होती है. दुग्ध,शकर, शहद से स्नान व अभिषेक करना उत्तम फलदायक होता है तथा नागपंचमी के दिन महाकालेश्वर की पूजा की जाए तो इस दोष का क्षय होता है. यह श्रद्धा और विश्वास का पर्व है. इस दिन नागों को धारण करने वाले भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने से काल सर्प दोषों के प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है.
नाग पंचमी में कालसर्प दोष की पूजा | Puja for Kaal sarpa Dosha in Naag Panchami
शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है. श्रवण मास में नाग पंचमी होने के कारण इस मास में धरती खोदने का कार्य नहीं किया जाता है. इस दिन यह मान्यता है कि भूमि में हल नहीं चलाना चाहिए, नीवं नहीं खोदनी चाहिए. इस अवधि में भूमि के अंदर नाग देवता का विश्राम कर रहे होते है इसलिए इस दिन भूमि के खोदने से नाग देव को कष्ट होने की संभावना रहती है. देश के कई भागों में श्रावण मास की कृ्ष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भी नाग पंचमी मनाई जाती है.
नाग पंचमी में व्रत उपवास करने से नाग देवता प्रसन्न होते है. इस व्रत में पूरे दिन उपवास रख कर सूर्य अस्त होने के बाद नाग देवता की पूजा के लिये भोग बनाया जाता है अथवा भगवान शिव को भोग लगाया जाता है. इसके बाद इस प्रसाद को सभी लोग ग्रहण करते है. उपवास रखने वाले व्यक्ति को उपवास के नियमों का पालन करना चाहिए. शुक्ल पक्ष, श्रवण मास के दिन जिन व्यक्तियों की कुण्डली में "कालसर्प योग' बन रहा हों, उन्हें इस दोष की शान्ति के लिये उपरोक्त बताई गई विधि से उपवास व पूजा-उपासना करना लाभकारी रहेगा.
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए चहैए कि नाग पंचमी के दिन उपवासक अपने घर की दहलीज के दोनों और गोबर या गेरू से नाग की आकृति बनाए और दुध, दुर्वा, कुशा, गंध, फूल, अक्षत, लड्डूओं से नाग देवता की पूजा करे तथा नाग स्त्रोत तथा मंत्र का जाप किया काए. जप करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं. नाग देवता को चंदन की सुगंध विशेष प्रिय होती है. पूजा में चंदन का प्रयोग करना चाहिए. इस दिन की पूजा में सफेद कमल का प्रयोग किया जाता है. मंत्रोउच्चारण करने से "कालसर्प योग' के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और कालसर्प योग की शान्ति होती है.