गणेश पूजन | Worship Lord Ganesha | Lord Ganesha | Lord Ganesha Pooja

गणेश का अनुसरण मात्र ही सभी संकटों का हरण कर देता है तथा सभी कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण हो जाते हैं. गज जैसा सिर होने के कारण यह गजानन भी कहे जाते हैं. गणपति आदिदेव हैं अपने भक्तों के समस्त संकटों को दूर करके उन्हें मुक्त करते हैं गणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणपति कहा जाता है.

ऋग्वेद में लिखा है “न ऋते त्वम क्रियते किं चनारे” अर्थात गणेश भगवान बिना कोई भी कार्य प्रारंभ नहीं होता, आप ही वैदिक देवता हैं आप के उच्चारण से ही वेद पाठ प्रारंभ होता है, वैदिक ऋचाओं में इनका विशेष अस्तित्व रहा है पुराणों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव द्वारा इनकी पूजा किए जाने का तक उल्लेख प्राप्त होता है.

भगवान गणेश देवों में सर्वप्रथम पूजनीय देव महादेव शिव एवं देवी शक्ति पार्वती के पुत्र हैं गणेश जी को विघ्न विनाशक एवं बुद्धि दाता कहा जाता है. हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व भगवान श्री गणेश जी का आहवान ही किया जाता है तत्पश्चात अन्य धार्मिक कार्यक्रम आरंभ होते हैं, क्योंकि भगवान श्री

गणेश भगवान के नाम | Different names of lord Ganesha

गणेश भगवान को अनेक नामों से पुकारा जाता है. गणपति के नाम इनके रूप की ही तरह ही प्रभाव युक्त रहे हैं गणपति भगवान के अनेक नाम हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं एकदंत, सुमुख, लंबोदर, विनायक, कपिल, गजकर्णक, विकट, विघ्न-नाश, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र तथा गजानन तथा गणेश.

भगवान गणेश  पूजन | Lord Ganesha Pujan

गणपति जी के के पिता भगवान शिव हैं उनकी माता देवी पार्वती जी हैं इनके भाई का नाम कार्तिकय(स्कंद) है इनकी दो पत्नी हैं रिद्धि, सिद्धि हैं परंतु दक्षिण भारतीय संस्कृति में गणेशजी को ब्रह्मचारी रूप में दर्शाया गया है. इनके दो पुत्र शुभ एवं लाभ हैं, भगवान गणेश की सवारी मूषक है इनका प्रिय मोदक बहुत प्रिय हैं भक्त इनके प्रसाद में मोदक, लड्डू का भोग लगाते हैं, इनके अस्त्रों में अंकुश एवं पाश है, चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं, उनका लंबोदर रूप "समस्त सृष्टि उनके उदर में विचरती है" का भाव है बड़े-बडे़ कान अधिक ग्राह्यशक्ति का तथा आँखें सूक्ष्म तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं, उनकी लंबी सूंड महाबुद्धित्व का प्रतीक है,

गणेशजी हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है अत: इन्हें आदीपूज्य कहा गया है गणेश जी की भक्ति और पूजा करने से कष्टों से मुक्ति तथा सभी सुखों की प्राप्ति होती है. गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजन का विशेष विधान है, गणेश चतुर्थी से अंनत चतुर्दशी तक दस दिन गणेशोत्सव मनाया जाता है, तथा एक अन्य मतानुसार शिव पुराण में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मंगल मूर्ति गणेश की अवतरण तिथि मानी गई है, गणेश पुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था.

भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी से प्रारंभ करके प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी के दिन व्रत करने पर विघ्नेश्वर गणेश प्रसन्न होकर समस्त संकट दूर कर देते हैं, बुद्धवार का दिन श्री गणेश की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. श्रद्धा और भक्ति से गणेश जी की पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं.

गणपति मंत्र । Lord Ganpati Mantra

  • ऊँ गं गणपतये नम:
  • “ ॐ तत्पुरूषाय विद्यहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात”
  • ॐ श्री विध्नेश्वार्य नम:
  • ऊँ श्री गणेशाय नम:

इन मंत्रों के अतिरिक्त गणेश चालीसा एवं गणेश वंदना करना लाभदायक है. श्री गणेश का स्मरण और श्री गणेश मंत्रों का उच्चारण करने से सभी संकट एवं मुसीबतें दूर हो जाती हैं.