आठ प्रमुख सिद्धियाँ | Aath Siddhia | Ashta Siddhia | Ashta Siddhi | Siddhia
सिद्धि अर्थात पूर्णता की प्राप्ति होना व सफलता की अनुभूति मिलना. सिद्धि को प्राप्त करने का मार्ग एक कठिन मार्ग हो ओर जो इन सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है वह जीवन की पूर्णता को पा लेता है. असामान्य कौशल या क्षमता अर्जित करने को 'सिद्धि' कहा गया है. चमत्कारिक साधनों द्वारा 'अलौकिक शक्तियों को पाना जैसे - दिव्यदृष्टि, अपना आकार छोटा कर लेना, घटनाओं की स्मृति प्राप्त कर लेना इत्यादि. 'सिद्धि' इसी अर्थ में प्रयुक्त होती है.
शास्त्रों में अनेक सिद्धियों की चर्चा की गई है और इन सिद्धियों को यदि नियमित और अनुशासनबद्ध रहकर किया जाए तो अनेक प्रकार की परा और अपरा सिद्धियाँ प्राप्त कि जा सकती है. सिद्धियाँ दो प्रकार की होती हैं, एक परा और दूसरी अपरा. यह सिद्धियां इंद्रियों के नियंत्रण और व्यापकता को दर्शाती हैं. सब प्रकार की उत्तम, मध्यम और अधम सिद्धियाँ अपरा सिद्धियां कहलाती है . मुख्य सिद्धियाँ आठ प्रकार की कही गई हैं. इन सिद्धियों को पाने के उपरांत साधक के लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं रह जाता.
सिद्धियां क्या हैं व इनसे क्या हो सकता है इन सभी का उल्लेख मार्कंडेय पुराण तथा ब्रह्मवैवर्तपुराण में प्राप्त होता है जो इस प्रकार है:- अणिमा लघिमा गरिमा प्राप्ति: प्राकाम्यंमहिमा तथा। ईशित्वं च वशित्वंच सर्वकामावशायिता:।।
यह आठ मुख्य सिद्धियाँ इस प्रकार हैं:-
अणिमा सिद्धि | Anima Siddhi
अपने को सूक्ष्म बना लेने की क्षमता ही अणिमा है. यह सिद्धि यह वह सिद्धि है, जिससे युक्त हो कर व्यक्ति सूक्ष्म रूप धर कर एक प्रकार से दूसरों के लिए अदृश्य हो जाता है. इसके द्वारा आकार में लघु होकर एक अणु रुप में परिवर्तित हो सकता है. अणु एवं परमाणुओं की शक्ति से सम्पन्न हो साधक वीर व बलवान हो जाता है. अणिमा की सिद्धि से सम्पन्न योगी अपनी शक्ति द्वारा अपार बल पाता है.
महिमा सिद्धि | Mahima Siddhi
अपने को बड़ा एवं विशाल बना लेने की क्षमता को महिमा कहा जाता है. यह आकार को विस्तार देती है विशालकाय स्वरुप को जन्म देने में सहायक है. इस सिद्धि से सम्पन्न होकर साधक प्रकृति को विस्तारित करने में सक्षम होता है. जिस प्रकार केवल ईश्वर ही अपनी इसी सिद्धि से ब्रह्माण्ड का विस्तार करते हैं उसी प्रकार साधक भी इसे पाकर उन्हें जैसी शक्ति भी पाता है.
गरिमा सिद्धि | Garima Siddhi
इस सिद्धि से मनुष्य अपने शरीर को जितना चाहे, उतना भारी बना सकता है. यह सिद्धि साधक को अनुभव कराती है कि उसका वजन या भार उसके अनुसार बहुत अधिक बढ़ सकता है जिसके द्वारा वह किसी के हटाए या हिलाए जाने पर भी नहीं हिल सकता .
लघिमा सिद्धि | Laghima Siddhi
स्वयं को हल्का बना लेने की क्षमता ही लघिमा सिद्धि होती है. लघिमा सिद्धि में साधक स्वयं को अत्यंत हल्का अनुभव करता है. इस दिव्य महासिद्धि के प्रभाव से योगी सुदूर अनन्त तक फैले हुए ब्रह्माण्ड के किसी भी पदार्थ को अपने पास बुलाकर उसको लघु करके अपने हिसाब से उसमें परिवर्तन कर सकता है.
प्राप्ति सिद्धि | Prapti Siddhi
कुछ भी निर्माण कर लेने की क्षमता इस सिद्धि के बल पर जो कुछ भी पाना चाहें उसे प्राप्त किया जा सकता है. इस सिद्धि को प्राप्त करके साधक जिस भी किसी वस्तु की इच्छा करता है, वह असंभव होने पर भी उसे प्राप्त हो जाती है. जैसे रेगिस्तान में प्यासे को पानी प्राप्त हो सकता है या अमृत की चाह को भी पूरा कर पाने में वह सक्षम हो जाता है केवल इसी सिद्धि द्वारा ही वह असंभव को भी संभव कर सकता है.
प्राकाम्य सिद्धि | Prakamya Siddhi
कोई भी रूप धारण कर लेने की क्षमता प्राकाम्य सिद्धि की प्राप्ति है. इसके सिद्ध हो जाने पर मन के विचार आपके अनुरुप परिवर्तित होने लगते हैं. इस सिद्धि में साधक अत्यंत शक्तिशाली शक्ति का अनुभव करता है. इस सिद्धि को पाने के बाद मनुष्य जिस वस्तु कि इच्छा करता है उसे पाने में कामयाब रहता है. व्यक्ति चाहे तो आसमान में उड़ सकता है और यदि चाहे तो पानी पर चल सकता है.
ईशिता सिद्धि | Ishta Siddhi
हर सत्ता को जान लेना और उस पर नियंत्रण करना ही इस सिद्धि का अर्थ है. इस सिद्धि को प्राप्त करके साधक समस्त प्रभुत्व और अधिकार प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है. सिद्धि प्राप्त होने पर अपने आदेश के अनुसार किसी पर भी अधिकार जमाय अजा सकता है. वह चाहे राज्यों से लेकर साम्राज्य ही क्यों न हो.
इस सिद्धि को पाने पर साधक ईश रुप में परिवर्तित हो जाता है.
वशिता सिद्धि | vashita siddhi
जीवन और मृत्यु पर नियंत्रण पा लेने की क्षमता को वशिता या वशिकरण कही जाती है. इस सिद्धि के द्वारा जड़, चेतन, जीव-जन्तु, पदार्थ- प्रकृति, सभी को स्वयं के वश में किया जा सकता है. इस सिद्धि से संपन्न होने पर किसी भी प्राणी को अपने वश में किया जा सकता है.