कुक्के सुब्रमण्या मंदिर - Kukke Subramanya Mandir - Kukke Subramanya Story - Kukke Subramanya Temple

भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में से एक कुक्के सुब्रमण्या मंदिर कर्नाटक राज्य के दक्षिणा कन्नड़ जिले मैंगलोर के पास के सुल्लिया तालुक के सुब्रमण्या के एक छोटे से गांव में स्थित है. यहां भगवान सुब्रमण्या को पूजा जाता है जो सभी नागों के स्वामी माने गए हैं. इस मंदिर के दर्शनों के लिए यहां भक्तों का तांता लगा रहता है सभी लोग यहां होने वाली पूजा में शामिल होने की चाह रखते हुए श्रद्धा भाव से इस पवित्र स्थान पर पहुंचते हैं.

कुक्के सुब्रमण्या मंदिर पौराणिक संदर्भ | Mythological significance of Kukke Subramanya Temple

कुक्के सुब्रमण्या जी के विषय मे उल्लेख मिलते हैं काव्यों में यह संदर्भ आता है कि गरूड़ द्वारा डरने पर परमात्मा सर्प वासुकी और अन्य सर्प भगवान सुब्रमण्य के तहत सुरक्षा महसूस करते हैं. ऐसी अनेक कथाएं एवं मान्यताएं यहां मौजूद हैं जो भक्तों की अगाध श्रद्धा भक्ति को दर्शाती हैं भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण होता पाते हैं इस स्थान का आलौकिक दिव्य तेज सभी के भीतर भक्ति का संचार करता है.

कुक्के सुब्रमण्या मंदिर दर्शन | Kukke Subramanya Temple- Darshan

मंदिर में भगवान के पवित्र दर्शन के पहले यात्रियों को कुमारधारा नदी पार कर और उसमें एक पवित्र स्नान करना पड़ता है. मंदिर में भक्त पीछे के द्वार से प्रवेश करते हैं और मूर्ति के सामने जाने से पहले उसकी प्रदक्षिणा करते हैं. गर्भगृह और बरामदा प्रवेश द्वार के मध्य में गरूड़ स्तंभ है मौजूद होता है. माना जाता है कि इस स्तम्भ में वासुकी जी निवास करते हैं. इस स्तंभ को चांदी से ढका हुआ है. माना जाता है कि इस स्तंभ में निवास करने वाले वासुकी जी की सांसों उत्पन्न जहर के अग्नि प्रवाह से भक्तों को बचाने के लिए ही इसे चाँदी एवं आभूषणों से मढ़ा गया है.

श्रद्धालु लोग स्तंभ के चारों ओर खड़े होकर पूजा करते हैं. इस स्तंभ के आगे एक बडा़ सा भवन आता है जो बाहरी भवन होता है और फिर एक अन्य भवन पश्चात भगवान श्री सुब्रमण्यम जी का गर्भगृह है. गर्भगृह के केंद्र में एक आसन स्थित है उस मंच पर श्री सुब्रमण्या की मूर्ति स्थापित है और फिर वासुकी की मूर्ति और कुछ ही नीचे शेषा की मूर्ति भी विराजमान हैं यहीं नित्य रुप से देव पूजा कि जाती है. जिसमें शामिल होने के लिए देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

सर्प दोष पूजा | Sarp-dosh Puja

इस मंदिर में सर्प दोष को दूर करने हेतु पूजा कि जाती है जिसे सर्प सम्सकारा/सर्पा दोषा पूजा के नाम से जाना जाता है. मान्यता अनुसार यदि कोई व्यक्ति सर्प दोष से पीडि़त हो या श्रापित हो तो इस दोषों से मुक्ति के लिए यहां पर कराई गई पूजा से उसे सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त होती है. कर्नाटक और केरल में नाग देवता में पूर्ण आस्था होने के कारण इस पूजा का बहुत महत्व होता है.

इस महत्वपूर्ण मंदिर तक पहुंचने के लिए बंगलूर सड़क के मार्ग से कुक्के सुब्रमण्या पहुंचा जा सकता है. इन दो स्थानों से मंदिर पर जाने के लिए विशेष बसों का परिचालन किया गया है. इसके अतिरिक्त हवाई जहाज और रेल यात्रा द्वारा भी यहां पर पहुँचा जा सकता है.