कार्तिक अमावस्या 2024 : कार्तिक अमावस्या कथा और महत्व
कार्तिक मास की 30वीं तिथि को “कार्तिक अमावस्या” के नाम से मनाया जाता है. हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व रहता रहा है. प्रत्येक माह में आने वाली अमावस्या किसी न किसी रुप में कुछ खास लिए होती है. हर महीने में एक बार आने वाली अमावस्या के दौरान दान और स्नान का बहुत महत्व रहता है. इसी क्रम में कार्तिक मास में आने वाली अमावस्या का अपना खास महत्व होता है. इस दिन पितरों को याद करने के अलावा गंगा स्नान भी किया जाता है.
इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंड दान तथा दान देने का भी खास महत्व बताया गया है. इतना ही नहीं इस दिन जो भी व्यक्ति कर्ज, ऋण आदि से निरंतर परेशान रहते हैं, उन्हें इस दिन हनुमानजी की आराधना विशेष तौर पर करनी चाहिए. विष्णु पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या का उपवास रखना चाहिए. व्रत से पितृगण के साथ-साथ सूर्य आदि नव ग्रह और अग्नि, वायु नामक पंच तत्वों, नक्षत्र तृप्त होते हैं.
कार्तिक अमावस्या मुहूर्त
31 अक्टूबर 2024 को 15: 53 से अमावस्या आरम्भ.
01 नवंबर 2024 को 18:17 पर अमावस्या समाप्त.
कार्तिक अमावस्या पर मनाते हैं दिवाली पर्व
कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है. इस दिन संपूर्ण रात्रि में दीपों का प्रकाश किया जाता है. यह एक अत्यंत प्रभशाली माना गया है. दिवाली मनाने के साथ-साथ इस दिन पितरों का तर्पण और दान-पुण्य के कार्यों को भी किया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कार्तिक अमावस्या के विषय में कई बातों का उल्लेख किया है.
कार्तिक अमावस्या होती है लक्ष्मी पूजा
कार्तिक अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन होता है. अमावस्या की रात्रि समय पर लक्ष्मी जी का पूजन करने का बहुत ही विधान है. इस दिन कुबेर जी का पूजन भी होता है.
कार्तिक अमावस्या पर दीप जलाने का महत्व
अमावस्या के दिन स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है. स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है. पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है. इस अमावस्या पर दीपदान का भी खास विधान होता है. यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है. ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है. दीपदान का महत्व राम के अयोध्या लौटने की खुशी को व्यक्त करता है. साथ ही पितृों को मार्ग भी दिखलाता है. इन दोनों ही संदर्भ में कार्तिक मास में दीपक जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है.
कार्तिक अमावस्या पर तुलसी पूजा
कार्तिक अमावस्या के दिन में तुलसी की पूजा का खास महत्व है. मान्यता है कि तुलसी पूजा से भगवान विष्णु का आशिर्वाद प्राप्त होता है. तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं. इस महीने अमावस्या के दिन स्नान के बाद तुलसी और सूर्य को जल अर्पित किया जाता है. पूजा-अर्चना की जाती है. तुलसी के पौधे का कार्तिक अमावस्या में दान भी दिया जाता है. तुलसी पूजा न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.
कार्तिक अमावस्या कथा
कार्तिक अमावस्या पर बहुत सी कथाएं और पौराणिक घटनाएं मौजूद हैं. इस दिन धार्मिक ग्रंथों और मंत्रों को पढ़ा जाता है. इस दिन पर मंत्र अनुष्ठान भी किए जाते हैं. कार्तिक अमावस्या के दिन एक कथा इस प्रकार है.
एक बार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन देवी लक्ष्मी पृ्थ्वी पर विचरण कर रही होती हैं. परंतु अंधकार अधिक होने के कारण दिशा सही से पता नहीं चल पाती है. देवी लक्ष्मी मार्ग से भटक जाती हैं. पर रस्ते में चलते चलते उन्हें एक स्थान पर कुछ दीपक की रोशनी दिखाई देती है. देवी उस रोशनी के नजदीक जाती हैं तो देखती हैं की वह एक झोपड़ी होती है. वहां एक वृद्ध स्त्री अपने घर के बाहर दीपक जलाए हुए थी और दरवाजा खुला हुआ था. वह स्त्री आंगन में बैठ कर अपना काम कर रही होती है.
देवी लक्ष्मी उस वृद्ध महिला से रात भर वहां रुकने के लिए स्थान मांगती हैं. वह वृद्ध महिला देवी लक्ष्मी को विश्राम करने के लिए स्थान और बिस्तर आदि की व्यवस्था करती है. देवी लक्ष्मी वहां विश्राम करने के लिए रुक जाती हैं. वृद्ध महिला के सेवाभाव ओर समर्पण के भाव से प्रसन्न होती हैं. इस दौरान वह वृद्ध महिला अपने काम करते करते सो जाती है.
अगले दिन जब वृद्धा जागती है तो देखती है की उसकी साधारण सी झोपड़ी महल के समान सुंदर भवन में बदल गयी थी. उसके घर में धन-धान्य की भरमार हो जाती है. किसी चीज की कमी नहीं रहती है. माता लक्ष्मी वहां से कब चली गई थीं, उसे वृद्ध महिला को पता ही नहीं चल पाता है. तब माता उसे दर्शन देती है की कार्तिक अमावस्या के दिन उस अंधकार समय जो भी दीपक जलाता है ओर प्रकाश से मार्ग को उज्जवल करता है उसे मेरा आशीर्वाद सदैव प्राप्त होता है. उसके बाद से हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को रात्रि में प्रकाश उत्सव मनाने और देवी लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है. इस दिन माता लक्ष्मी के आगमन के लिए पूजा पाठ, घरों के द्वार खोलकर रखने चाहिए ओर प्रकाश करना शुभ फलदायक होता है.
कार्तिक अमावस्या महत्व और विभिन्न पर्व रुप
कार्तिक अमावस्या का दिन एक ऎसा समय होता है जब बहुत से कारण मिलकर एक भावना को व्यक्त करते हैं. उसी तरह से कार्तिक अमावस्या के समय बहुत ऎसे बहुत सी पौराणिक मानताएं एवं कथाएं प्रचलित हैं जो इस दिन की महत्ता को विशेष रुप से कई गुना बढ़ा देती हैं. इस समय पर अनेकों प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं. तंत्र हो या फिर मंत्र सभी अनुष्ठानों को महत्व विजय की पाप्ति को दर्शाता है.
इस समय के पास पर राम वनवास से अयोघ्या आगमन की खुशियां हैं, तो कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करके प्रजा को कष्ट से मुक्ति दिलाना, कहीं पर हनुमान जन्मोत्सव की धूम है तो कही पर लक्ष्मी जी के आगमन को लेकर दीपों का उत्सव है. इसी तरह से कुछ न कुछ ऎसी कथा कहानियां इस अमावस्या से जुड़ी हैं जो कार्तिक अमावस्या पर्व के महत्व को दर्शाती हैं.