कुबेर पूजा 2024 : इस बार ऎसे करें कुबेर पूजा तो हो जाएंगे मालामाल
कुबेर देव का पूजन करना जीवन में शुभता और आर्थिक समृद्धि को प्रदान करने वाला होता है. कुबेर पूजा को विशेष रुप से दिपावली के समय पर किया जाता है. कुबेर जी को धनाध्यक्ष और अपार धन दौलत का स्वामी माना गया है. यह धन के देवता है और यक्षों के राजा भी हैं. कुबेर धन के देवता हैं इसलिए इनका पूजन करने से धन संपदा की प्राप्ति होती है. उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल भी हैं. इसलिए वास्तु शास्त्र में भी कुबेर का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
कुबेर के संदर्भ में अनेकों कथाएं प्रचलित हैं. महर्षि पुलस्त्य के पुत्र महामुनि विश्रवा के पुत्र थे और रावण के सौतेले भाई थे. विश्रवा की पत्नी इलविला से कुबेर का जन्म माना गया था. कुछ के अनुसार ब्रह्मा जी ने इन्हें उत्पन्न किया था और धन-सम्पत्ति का स्वामी बनाया था. कुबेर ने बहुत तप और तपस्या करके ही दिशाओं का स्वामी और लोकपाल का पद प्राप्त किया.
कुबेर स्वरुप -
पौराणिक आख्यानों में कुबेर जी को श्वेतवर्ण का, बड़े से पेट वाला, अष्टदन्त और तीन चरणों वाला बताया गया है. यह गदाधारी हैं. कुबेर के पुत्र नलकूबर और मणिग्रीव हैं. कहा जाता है की कुबेर ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर्वत पर तप आरंभ किया.
तप के बीच में उन्हें भगवान शिव और देवी पार्वती दिखायी पडते हैं. कुबेर ने जब पार्वती की ओर बायें नेत्र से देखते हैं. तो पार्वती जी के दिव्य तेज से उनका वह नेत्र नष्ट होकर पीला हो जाता है. कुबेर अपनी इस अवस्था के बाद भी अपनी तपस्या को जारी रखते हैं. कुबेर की घोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. वह कुबेर को दर्शन देते हैं. कुबेर को वरदान प्रदान करते हैं. भगवान कुबेर के नेत्र नष्ट हो जाने पर उन्हें “एकाक्षीपिंगल” नाम देते हैं. उन्हें शक्तियां प्रदान करते हैं. शिव भगवान कुबेर को अपना प्रिय बनाते हैं.
मान्यता है की रावण ने कुबेर पर हमला करके उनसे पुष्पक विमान छीन लिया. कुबेर की लंका पुरी और संपत्ति छीन लेते हैं. कुबेर अपने पितामह ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और उनकी प्रेरणा से कुबेर ने शिव पूजन किया. जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें धन का स्वामी बनाया और उन्हें धनेश की पदवी प्रदान की.
दिवाली पर होती है कुबेर पूजा
दिवाली पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही विशेष रुप से कुबेर जी की पूजा भी की जाती है. दिवाली का दिन कुबेर पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभप्रभाव दायक माना जाता है. मान्यता है की कुबेर पूजा के बिना दिवाली की पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए इस दिन कुबेर जी का आहवान किया जाता है. जीवन में धन संपति की प्राप्ति होती है. कुबेर का आशीर्वाद मिलता है.
भगवान कुबेर को मां लक्ष्मी का सेवक भी बताया जाता है. यह सभी धन संपदा का ख्याल और हिसाब रखते हैं. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ ही कुबेर जी की पूजा करनी चाहिए. अगर ऎसा नही करते तो आपको मां लक्ष्मी का आर्शीवाद प्राप्त नही हो सकता. नियमित रुप से की जाने वाली पूजा में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ कुबेर जी की पूजा करने पर जीवन भर कभी भी पैसों की कोई कमी नही रहती. कर्जों से मुक्ति प्राप्त होती है.
कुबेर पूजा कैसे करते हैं
- कुबेर पूजा के द्वारा ही धन की प्राप्ति संभव हो सकती है. शुभ मूहुर्त समय पर की गई कुबेर पूजा से धन के देवता कुबेर जी की कृपा प्राप्त होती है. इसलिए कुबेर की पूजा को आप श्रद्धा भव के साथ करते हैं तो जीवन में धन का अभाव नहीं सताता है.
- कुबेर पूजा के लिए मंदिर या जहां आपने पूजा करनी है उस स्थान पर एक साफ चौकी रखें. उस चौकी पर गंगाजल छिड़कें. शुद्ध करने के बाद चौकी पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए. भगवान कुबेर की पूजा में लक्ष्मी गणेश जी की भी स्थापना की जानी चाहिए.
- इसके बाद उस चौकी पर अक्षत डालना चाहिए. प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करने के बाद, आभूषण, पैसे और कोई भी कीमती वस्तुओं को कुबेर देव के आगे रखनी चाहिए. इसके बाद किसी वस्तु पर जो कुबेर जी के सामने रखी है उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए.
- इसके बाद कुबेर देव, देवी लक्ष्मी और गणेश जी को का तिलक करना चाहिए. कुबेर जी के साथ- साथ सभी आभूषण और पैसों पर भी तिलक और अक्षत अर्पित करना चाहिए.
- भगवान कुबेर को फूल-माला अर्पित करनी चाहिए. सभी देवी देवताओं को फूल माला चढ़ानी चाहिए. आभूषण और पैसों पर भी फूल अर्पित करने चाहिए.
- इसके बाद कुबेर “ त्वं धनाधीश गृहे ते कमला स्थिता।तां देवीं प्रेषयाशु त्वं मद्गृहे ते नमो नम:।।” मंत्र का जाप करना चाहिए. भगवान कुबरे की धूप व दीप से पूजा करनी चाहिए. भगवान कुबेर को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए. अंत में भगवान कुबेर से प्रार्थना करनी चाहिए की जीवन में सदैव समृद्धि बनी रहे, और कुबेर जी का आशीर्वाद प्राप्त करें.
धनतेरस के दिन होती है कुबेर पूजा
धनतेरस या कहें धन त्रयोदशी की दिन भी भगवान कुबेर की पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. कुबेर को देवी लक्ष्मी का प्रतिनिधि माना गया है. इसलिए बिना कुबेर जी की पूजा के आर्थिक सुख समृद्धि प्राप्त नहीं हो सकती है. इस दिन कुबेर पूजा करने पर घर में धन की कमी नहीं आती है. अन्न धन से भण्डार हमेशा ही भरा रहते हैं. भगवान कुबेर को आभूषणों का देवता भी हैं और इस दिन का पूजन जीवन में स्वर्ण, चांदी, हीरे जवाहारात जैसे आभूषणों की प्राप्ति कराने वाला भी होता है. धन संबंधी परेशानियों से घिरे हुए लोगों के लिए तो इस दिन कुबेर जी का पूजन करके धन संबंधी परेशानियों को दूर हो जाती हैं.
कुबेर मंत्र
भगवान कुबेर की पूजा के साथ ही कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए. नियमित रुप से कुबेर मंत्र का जाप करने समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं -
- “ओम श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।"
- " ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा"