विश्वकर्मा पूजा 2024 - आज के दिन करें विश्वकर्मा पूजा कारोबार में मिलेगी सफलता
कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन विश्वकर्मा पुजन होता है. इस उत्सव पर निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा का पूजन होता है. मान्यता अनुसार विश्वकर्मा पूजन के दिन सभी प्रकार की मशीनों, शस्त्रों इत्यादि मशीनों की भी पूजा की जाती है. विश्वकर्मा को पौराणिक कथाओं के अनुसार वास्तुकार कहा गया है. वह किसी भी प्रकार का निर्माण करने में कुशल हैं.
पुराणों में विश्वकर्मा को यंत्रों का अधिष्ठाता देवता बताया गया है इस लिए इस दिन यंत्रों का पूजन होता है. विश्वकर्मा जी द्वारा ही पृथ्वी पर मनुष्यों को अनेकों सुख-सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं. उन्हीं के आशीर्वाद से अनेक यंत्रों व शक्ति संपन्न भौतिक साधनों के बारे में हमें पता चल पाया है. प्राचीन शास्त्रों में विमान विद्या, वास्तु शास्त्र का ज्ञान, यंत्र निर्माण विद्या आदि के बारे में जो भी जानकारी मिलती है वो विश्वकर्मा द्वारा प्राप्त होती है.
विश्वकर्मा जन्म कथा
विश्वकर्मा अपने नाम के अनुरुप ही हैं. ये विश्व का निर्माण करने वाले हैं, इसलिए इन्हें विश्व कर्मा कहा गया है. विश्वकर्मा से संबंधित अनेकों कथाएं मिलती हैं इन कथाओं का संबंध पौराणिक मान्यताओं से होता है. तो कुछ का संबंध लोक जीवन से होता है. कुछ कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने इनकी उत्पत्ति की थी. कथा के अनुसार सृष्टि के नारायण जब क्षीर सागर में होते हैं तो उनके नाभि-कमल से चर्तुमुख ब्रह्मा जी उत्पन्न होते हैं. ब्रह्मा जी से पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव होते हैं. यही वास्तुदेव शिल्पशास्त्र के जानकार बनते हैं. वास्तुदेव के पुत्र विश्वकर्मा होते हैं. विश्वकर्मा जी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बनते हैं.
विश्वकर्मा के अनेक रूप बताए गए हैं. कुछ स्थानों पर दो बाहु, कहीं चार, कहीं दस भुजाओं का वर्णन मिलता है. कुछ स्थानों पर एक मुख, और कुछ स्थानों पर चार मुख अथवा पांच मुखों वाला भी बताया गया है. विश्वकर्मा के पांच पुत्र बताए गए हैं. मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ इनकी संताने हुई हैं. मान्यता है कि इनके पांचों पुत्र वास्तुशिल्प की अलग-अलग विधाओं के जानकार थे.
विश्वकर्मा जी के निर्माण कार्य
विश्वकर्मा जी को पौराणिक काल से ही अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण सदैव पूजनीय रहे हैं. देव, यक्ष,दैत्य, गंधर्वों, मनुष्यों सभी के लिए वंदनीय रहे हैं. भगवान विश्वकर्मा ने अनेकों आविष्कार प्रदान किए हैं. निर्माण कार्यों के में इन्होंने अनेकों सुंदर नगरों का निर्माण किया.स्वर्ग का निर्माण, इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेर की नगरी बनाई, लंका का निर्माण किया. पाण्डवों के लिए उनकी नगरी बसाई, काशी, सुदामापुरी और शिव पुरी के निर्माण का उल्लेख मिलता है.
पुष्पक विमान के विषय के बारे में जो पता चलता है. पुष्पक विमान का निर्माण इनकी एक बहुत महत्वपूर्ण रचना रही है. सभी देवों के भवन और उनके उपयोग में आने वाली अस्त्र शस्त्रों का निर्माण भी विश्वकर्मा जी द्वारा होगी. कर्ण का कवच या कुण्डल है. विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र हो या फिर भगवान शिव का त्रिशूल भी इन्हीं के निर्माण का प्रभाव है. यमराज का कालदण्ड हो या इंद्र के शस्त्र इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया है.
विश्वकर्मा पुराण
विश्वकर्मा पुराण की बात करें तो इसमें इन्हें विश्व के सृजनकर्ता के रुप में बताया गया है. इस पुराण के अनुसार इन्हीं के द्वारा ब्रह्मा की उत्पत्ति होती है. इसके बाद सृष्टि का निर्माण आरंभ होता है. सभी प्राणियों का सृजन करने का वरदान देते हैं. विश्वकर्मा के द्वारा ही विभिन्न योनियों को जन्म हुआ, विश्वकर्मा ने ही विष्णु भगवान की उत्पत्ति करके उन्होंने संसार के जीवों की की रक्षा और भरण-पोषण का काम सौंपा.
सभी कुछ ठीक से सुचारु रुप से होने के लिए उन्होंने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र प्रदान किया. वहीं भगवान शिव को संहार का कार्य सौंपा. संसार के कार्यों के लिए डमरु, कमण्डल, त्रिशुल जैसे शस्त्र प्रदान किए. शिव को तीसरा नेत्र भी प्रदान किया उन्हे प्रलय की शक्ति देकर शक्तिशाली बनाया. देवी दुर्गा को भी शक्तियां और शक्तिशाल अस्त्र प्रदान किए. देवी लक्ष्मी को कलश, सरस्वती को वीणा प्रदान की, माता गौरी को त्रिशूल जैसी शक्ति प्रदान की.
विश्वकर्मा पूजा विधि
विश्वकर्मा डे पर विभिन्न मशीनों ओर औजारों की पूजा की जाती है. इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करते है. विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. मान्यता अनुसार इस दिन औजारों या मशीनों का उपयोग नहीं किया जाता है. इनका आज के दिन सिर्फ पूजन होता है. विश्वकर्मा को दुनिया को सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार कहा जाता है. ऎसे में इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और हर तरह के मशीनों की पूजा की जाती है. कंप्यूटर के इस समय पर इसका भी पूजन होता है.
विश्वकर्मा डे के दिन आफिस, दुकान, वर्कशॉप, फैक्ट्री चाहे छोटे संस्थान हों या बड़े सभी की साफ सफाई करनी चाहिए. इस दिन सभी कर्मियों को भी अपने औजारों या सामान की पूजा करनी चाहिए. इसके पश्चात पूजा स्थान पर कलश स्थापना करनी चाहिए. भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए. इस दिन यज्ञ इत्यादि का भी आयोजन किया जाता है. पूजन में श्री विष्णु भगवान का ध्यान करना चाहिए. पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़े और चारों ओर अक्षत छिड़कना चाहिए.
हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए और मशीनों पर भी यह सूत्र बांधना चाहिए. भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए दीप जलाना चाहिए और पुष्प एवं सुपारी अर्पित करने चाहिए. इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करना चाहिए.अब विधि विधान से इनकी पूजा करने पर पूजा के पश्चात भगवान विश्वकर्मा की आरती करनी चाहिए. भोग स्वरुप प्रसाद अर्पित करना चाहिए. जिस भी स्थान पर पूजा कर रहे हों उस पूरे परिसर में आरती को को घुमाना चाहिए. पूजा के पश्चात विश्वकर्मा जी से अपने कार्यों में सफलता की कामना करनी चाहिए.
व्यापारियों और बड़े उद्योगों के कर्मियों को इस दिन विश्वकर्मा का पूजन करने के बाद अपने कार्य और मशीनों के सही से काम करते रहने की कामना करनी चाहिए.