श्रावण अमावस्या 2024 - सावन हरियाली अमावस्या इसलिए होती है खास
इस वर्ष 04 अगस्त 2024 को श्रावण अमावस्या मनाई जाएगी . सावन मास में मनाई जाने वाली अमावस्या “हरियाली अमावस्या” के नाम से भी पुकारी जाती है. इसके अलावा इसे चितलगी अमावस्या, चुक्कला अमावस्या, गटारी अमावस्या इत्यदि नामों से भी पुकारा जाता है.
सावन मास का समय एक ऎसा मौसम का बदलाव दिखाता है जिसमें प्रकृति की एक अलग ही छठा दिखाई देती है. इसी दौरान पर बरसात की भी अधिकता बहुत रहती है. ऎसे में इस समय के दौरान जो भी पर्व और व्रत इत्यादि आते हैं उनका इस समय के अनुरुप ही नाम और प्रभाव भी दिखाई देता है.
श्रावण अमावस्या तिथि शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि – 04 जुलाई 2024,
- अमावस्या तिथि आरंभ – 03 अगस्त 2024 को 15:52 से
- अमावस्या तिथि समाप्त – 04 अगस्त 2024 को 16:43 तक
श्रावण अमावस्या पर होती है प्रकृति पूजा
हरियाली अमावस्या त्यौहार को हरियाली के आगमन के रूप में मनाते हैं. इस दिन कृषक आने वाले वर्ष में कृषि कैसी रहेगी इस बात की आशंका जाते हैं. इस बात का पता उन्हें इस दिन से भी हो जाता है. पर यह एक अत्यंत ही पारंपरिक स्वरुप है जो लोक कहावतों के आधार पर चलता है. इस अमावस्या के दौरान प्रकृति में होने वाले शकुनों को भी देखा जाता है. इस अवसर पर पेड़ पौधों को लगाया जाता है.
वर्षो पुरानी परंपरा के अनुसार इस दिन हरियाली अमावस्या के दिन नए पौधे को लगाना भी शुभदायक होता है. हरियाली अमावस्या के दिन सभी वृक्ष पूजा करने की भी प्राचीन परंपरा चली आ रही है. इस दिन परंपरा अनुसार बड़ के वृक्ष, पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है.
धार्मिक ग्रंथों में प्रकृति की हर वस्तु में ईश्वर का वास माना गया है, फिर चाहे नदी नदियों, पर्वतों, पेड़-पौधों में भी ईश्वर का वास बताया गया है. पीपल में त्रिदेवों का वास माना गया है, तुलसी का पूजन विष्णु का प्रतीक स्वरुप होगा. बड़ का वृक्ष भगवान शिव का स्वरुप बनता है. आंवले के वृक्ष में भगवान श्री लक्ष्मीनारायण का वास माना गया है.
सावन हरियाली अमावस्या पर मेलों का आयोजन
श्रावण हरियाली अमावस्या के अवसर देश भर में अनेक मेलों का आयोजन होता है. मुख्य रुप से धार्मिक स्थलों पर तो ये मेले विशेष रुप से लगाए जाते हैं. जिसमें सभी वर्ग के लोग शामिल होते हैं. एक-दूसरे को गुड़ इत्यादि को बांटा जाता है. इन मेल में धार्मिक पर्व का भी आयोजन होता है जैसे की हवन- अनुष्ठा, यज्ञों का आयोजन होता है. पवित्र नदियों पर स्नान की भी प्राचीन परंपरा भी धार्मिक मेलों में संपन्न होती है.
- इस दिन अपने हल और कृषि यंत्रों का पूजन करने का रिवाज है.
- सावन अमावस्या पर पितरों की आत्मा को शांति के लिए भी पूजा- हवन इत्यादि किया जाता है.
- श्रावण अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने व दान दक्षिणा देने का विशेष महत्व है.
- पीपल तथा आंवले के वृक्ष की इस दिन पूजा की जाती है.
श्रावण अमावस्या का महत्व
अमावस्या या अमावस का हिन्दू मान्यताओं में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व सदैव ही रहा है. प्रत्येक मास की अमावस्या आती है, लेकिन श्रावण मास की अमावस्या भगवान शिव के प्रिय मास सावन में आती है. इस दिन विशेष रूप से पूजा-पाठ व दान-पुण्य किया जाता है. इस समय पर चारों ओर हरियाली होने की वजह से इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है. इस अमावस्या के दो दिन बाद हरियाली तीज आती है, जो सौभाग्य का कारक बनती है.
श्रावण अमावस्या की पूजन विधि
- अमावस्या को पूर्वजों के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दिन पितृ तर्पण कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है.
- लोग अपने पूर्वजों के लिए पसंद का खाना बनाकर उसे ब्राह्मणों को खिलाते हैं. इस के अलाव इस भोजन को गाय, कौवा को भी खिलाया जाता है.
- श्रावण अमावस्या के दिन लोग भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा करते हैं.
- इस अमावस्या के दिन शिव पूजन करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
- श्रावण अमावस्या के दिन उपवास भी किया जाता है.
- सुबह उठकर पवित्र नदियाों में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं.
- व्रत का संकल्प लेकर दिन पर निराहार रहते हैं.
- संध्या समय सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है और उपवास खोला जाता है.
- सच्चे और शुद्ध तन मन से व्रत करने पर धन-धान्य एवं वैभव की प्राप्ति होती है.
- धर्म स्थलों एवं पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात ब्राह्मणों, गरीबों और असमर्थ लोगों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा दी जाती है.
सावन हरियाली अमावस्या उपाय
- सावन की अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के सामने तेल का दीपक जलाना चाहिए.
- पीपल के वृक्षकी सात बार परिक्रमा करते हुए सूत लपेटना चाहिए.
- पीपल के अलावा बरगद, केला, तुलसी, शमी आदि वृक्षों का पूजन करना चाहिए.
- पीपल के पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों का वास होता है. इसका पूजन करने से ग्रह शांति होती है.
- आंवले के वृक्ष पर भगवान लक्ष्मीनारायण का वास होने से इस दिन पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है.
- मालपुए का भोग बनाकर शिव्लिंग पर चढाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.
- तुलसी के पास दीपक जलाने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है.
- सावन की अमावस्या पर भगवान शिव को काले तिल चढ़ाने से दुख दूर होते हैं.
- चीटियों को आटा और चीनी खिलाने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है.
- शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाने से सौंदर्य मिलता है.
- शिवलिंग अभिषेक से संतान सुख मिलता है.
सावन अमावस्या महत्व
सावन माह में आने वाली अमावस्या को नारद पुराण में बताया गया है की इस माह में शुरु हुई अमावस्या के दिन किया गया पूजा पाठ और वृक्ष रोपण करने से जीव की मुक्ति संभव हो पाती है. विवाह और संतान से संबंधित कष्ट दूर होते हैं. माता पार्वती का पूजन भगवान शिव के साथ संयुक्त रुप से करने से विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. हर अमावस्या और पूर्णिमा का प्रभाव माह के अनुसार भी पड़ता है. ग्रह नक्षत्रों के हिसाब से विभिन्न राशियों के जातकों पर ही इसका प्रभाव देखने को मिलता है. ऎसे में जिन भी व्यक्तियों की कुंडली में काल सर्पदोष हो उनके लिए सावन माह की अमावस्या के दिन सर्प पूजन करना अत्यंत शुभदायक होता है.