जानिए, कैसे करें बृहस्पतिवार का व्रत और जाने सभी काम की बातें
हिन्दू पंचांग अनुसार सभी सात वारों में एक दिन बृहस्पतिवार का होता है और प्राचीन काल से ही प्रत्येक दिन का कोई न कोई धार्मिक महत्व भी रहा है. बृहस्पतिवार को बृहस्पति देव जिन्हें गुरु भी कहा जाता है उनसे जोड़ा गया है. इसी के साथ इस दिन श्री विष्णु भगवान का पूजन भी विशेष माना गया है. ऎसे में नवग्रहों में बृहस्पति देव को प्रसन्न करने व विष्णु भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है.
कब और कैसे शुरु करना चाहिए बृहस्पतिवार व्रत
बृहस्पतिवार के व्रत कितने रखे जाएं
किसी भी व्रत को रखने से पूर्व यह भी जरुर निश्चित करना चाहिए की कितने दिन इन व्रतों को किया जाए. व्रत के लिए संकल्प जरुर करें क्योंकि किसी भी कार्य में संकल्प की आवश्यकता जरुरी है. ऎसे में आप व्रत को पांच, सात ग्यारह, सोलह इत्यादि संख्या में रख सकते हैं.
सामान्यत: सात बृहस्पति तक इस व्रत को किया जाता है. इसके अलावा आपने जो भी मन्नत मांगने या जिस भी उद्देश्य की पूर्ति के लिए व्रत को रखा गया है, उतने समय तक भी इस व्रत को रखा जा सकता है. इस व्रत को संपूर्ण जीवन अर्थात सदैव के लिए भी किया जा सकता है.
क्यों रखते हैं बृहस्पतिवार व्रत
व्रत एवं उपवास का उद्देश्य धार्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण रहा है. साथ ही इसे वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी माना गया है. वैदिक काल से ही इन व्रत एवं उपवास का अत्यंत ही असरदायक प्रभाव देखा गया है. ऎसे में जब हम बृहस्पतिवार व्रत को करते हैं, तो इस व्रत के पिछे सर्वप्रथम उद्देश्य बृहस्पति के शुभ गुणों की प्राप्ति करना ही होता है.आपके जीवन में ज्ञान और बौद्धिकता का संचार शुभ रुपों में हो सके और आप अपने जीवन को एक बेहतर रुप से जी पाएं यही इस व्रत का उद्देश्य है.
बृहस्पतिवार व्रत शुभ प्रभाव एवं लाभ
बृहस्पतिवार का व्रत रखने से जीवन में सभी सुखों का आगमन होता है. इस व्रत के प्रभाव से किसी भी व्यक्ति के जीवन में चली आ रही परेशानियों का अंत होता है. व्यक्ति की सोच में सकारात्मकता आती है. नकारात्मकता एवं नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है. परिवार में सुख और स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि करता है. छात्रों को शिक्षा में सफलता दिलाता है और उनकी बुद्धि को भी तीव्र बनाता है.
इस व्रत के प्रभाव से संतान के सुख की प्राप्ति होती है. निसंतान दंपतियों के लिए ये व्रत अत्यंत ही शुभ फल देने वाला बताया गया है. इस व्रत के करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है और वह सामाजिक स्तर पर एक उत्तम स्थान भी पाता है.
अगर कुण्डली में बृहस्पति ग्रह छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठे हों या फिर इन भावों का स्वामी हों और उसकी दशा अंतर्दशा में व्यक्ति के ऊपर अशुभ प्रभाव पड़ता है. इस से बचने के लिए बृहस्पतिवार का व्रत करने से, अशुभ प्रभाव कम होने लगते हैं.
ज्योतिष में बृहस्पति का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को बहुत ही शुभ ग्रह माना गया है. बृहस्पति की जन्म कुंली में शुभ दृष्टि ओर उसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन के अनेकों कष्ट दूर होते हैं विपत्तियों से बचाव होता है. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में अगर बृहस्पति शुभ नहीं है या किसी कारण कमजोर है या फिर पाप प्रभाव में होने पर बृहस्पतिवार के व्रत करने से ये अशुभ प्रभाव दूर होने लगते हैं.
ऎसे में बृहस्पति के अशुभ फल मिलने को रोकने के लिए ये व्र्त करना बहुत ही असरदायक होता है. बृहस्पति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत को करने से अशुभता दूर होने लगती है. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को स्त्री की कुंडली में पति के सुख का कारक भी माना गया है ऎसे में जिस कन्या की कुंडली यदि बृहस्पति के कमजोर या पाप प्रभव में होने के कारण विवाह सुख में बाधा आ रही हो तो उन्हें इस व्रत को अवश्य करना चाहिए. इसी के साथ बृहस्पति संतान, नौकरी, शिक्षा से जुड़े कामों में शुभ लाभ पाने के लिए बृहस्पतिवार के व्रत को करना अच्छा माना जाता है.
बृहस्पतिवार व्रत में क्या नहीं करना चाहिए
बृहस्पतिवार के दिन क्या-क्या करना चाहिए
बृहस्पतिवार व्रत कथा व पूजा विधि
बृहस्पतिवार के प्रात:काल स्नान पश्चात भगवान श्री विष्णु एवं बृहस्पति देव का स्मर्ण करना चाहिए वह पूजन करना चाहिए. पूजा में पीली वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए. वस्त्र भी यदि पीले धारण कर सकें तो वह भी अच्छा होता है. भगवान को भोग में मीठे पीले चावल, बेसन का हलवा, गुड़-चना का उपयोग करना चाहिए. भगवान को पीले फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी अर्पित करनी चाहिए.
बृहस्पतिवार के व्रत वाले दिन प्रात:कल समय ही केले के वृ्क्ष की पूजा भी करनि चाहिए. केले के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए और चने की दाल, कच्ची हल्दी, गुड़ और मुनक्का को केले के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए. केले के पेड़ के सामने धूप-दीप जलाकर, आरती करनी चाहिए और व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. पूजा करने के बाद भगवान बृहस्पति(गुरु) की कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए. बृहस्पतिवार(गुरूवार) के व्रत में एक समय भोजन करने का विधान होता है और भोजन में मीठी वस्तुओं का सेवन करना चाहिए.