भानु सप्तमी : भानु सप्तमी व्रत और विशेष उपाय
भगवान सूर्य की पूजा का दिन भानु सप्तमी कहलाता है. इस दिन भानु यानि सूर्य की पूजा की जाती है. शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी व्रत रखा जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने वाले भक्तों को धन, स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है. इसके अलावा भक्तों को सूर्य देव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है. भानु सप्तमी रविवार को पड़ रही हो तो, इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है.
भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और सूर्य देव से संतान वृद्धि का आशीर्वाद माना जाता है. इसके अलावा सूर्य देव से रोग मुक्ति का वरदान मांगा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भानु सप्तमी का व्रत और पूजा उन लोगों के लिए बहुत लाभकारी हो सकता है जिनकी कुंडली में मंगल का अशुभ प्रभाव होता है और मंगल के प्रभाव को कम करता है. भानु सप्तमी की पूजा
कब मनाई जाती है भानु सप्तमी
पंचांग के अनुसार भानु सप्तमी का दिन रविवार के योग और सप्तमी तिथि होने पर बनता है. प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य देव की पूजा की जाती है और सूर्य देव का एक अन्य नाम भानु भी है अत: इस दिन सूर्य देव खी उपासना विशेष होती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, अगर सप्तमी तिथि को रविवार हो तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है. भानु सप्तमी के दिन पूजा करना बहुत शुभ होता है. इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग नदियों में स्नान नहीं कर सकते हैं उन्हें पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हैं.
भानु सप्तमी पूजा विधि
भगवान सूर्य को समर्पित कई त्योहार हैं, जिन पर भक्त उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. इन्हीं पावन तिथियों में से एक है भानु सप्तमी. इस त्योहार पर लोग भगवान सूर्य की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना करते हैं. भानु सप्तमी के दिन सुबह उगते हुए सूर्य को देखते हुए सूर्य देव की पूजा की जाती है.
सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. जिस जल से अर्घ्य दिया जा रहा है उसमें लाल चंदन डालना बहुत शुभ माना जाता है. सूर्य देव को फूल और प्रसाद भी चढ़ाया जाता है. इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाई जा सकती है. घर में पकवान बनाए जाते हैं. पकवान में खीर बनाई जाती है जिसे प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है.
भानु सप्तमी पूजा और स्नान दान का लाभ
भानु सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करते हैं. इसके बाद सूर्य देव की पूजा करने या व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है, पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठकर पूजा करते हैं. पूजा में सूर्य देव को लाल चंदन, अक्षत, लाल फूल, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं. सूर्य देव की आरती करते हैं. तांबे के बर्तन में साफ पानी भरें और उसमें लाल चंदन, अक्षत और एक लाल फूल डालकर 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए सूर्य उपासना करते हैं.
भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा करते समय उनके किसी भी मंत्र का जाप करना शुभ होता है. इस दिन खाने या फलों में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है. भानु सप्तमी की पूजा द्वारा अरोग्य का सुख मिलता है. सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है, लंबी आयु प्राप्त होती है. इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से बुद्धि और व्यक्तित्व का विकास होता है, मानसिक शांति मिलती है और स्मरण शक्ति बहुत तेज होती है. भानु सप्तमी को बहुत शुभ माना जाता है, इस दिन किया गया पूजन व्यक्ति को मनचाहा फल देता है. पूजा करने के बाद भानु सप्तमी पर दान-पुण्य करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी. इस दिन सच्चे मन से सूर्य की पूजा करने से कष्ट दूर हो जाते हैं.
भानु सप्तमी स्त्रोत एवं पूजा लाभ
ग्रंथों में वर्णन है कि जब सूर्य देव पहली बार सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए और पृथ्वी से अंधकार दूर करने के लिए अपनी किरणें फैलाई, तब शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी. सूर्य देव के प्रकट होने के उपलक्ष्य में भानु सप्तमी मनाई जाती है. भानु सप्तमी के दिन स्नान करने और सूर्य देव को जल अर्पित करने से सुख वृद्धि होती है. इस दिन व्रत रखने का भी नियम है. मान्यता है कि यह व्रत मनुष्य को मोक्ष प्रदान करता है. अगर इस दिन सच्चे मन से सूर्य देव की पूजा की जाए तो सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
सूर्य स्त्रोत में सूर्य देव के कई गुप्त नामों का वर्णन है सूर्य स्त्रोत में सूर्य देव के कई गुप्त नामों का वर्णन है सूर्य देव को जीवन शक्ति का प्रदाता माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से ही संपूर्ण संसार संचालित होता है. रविवार के दिन व्रत रखते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं उन्हें जीवन में यश और सम्मान की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि रविवार के दिन सूर्य देव का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, शरीर निरोगी रहता है और सभी प्रकार के दर्द से मुक्ति मिलती है और नेत्र ज्योति अच्छी होती है.
भानु सप्तमी के रक्षा कवच और सूर्य स्त्रोत. सूर्य रक्षा कवच जहां जातक को सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं से बचाता है, वहीं सूर्य स्त्रोत जातक का कल्याण करता है. सूर्य स्त्रोत में सूर्य देव के कई गुप्त नामों का वर्णन है, तो चलिए पढ़ते हैं सूर्य स्त्रोत और सूर्य रक्षा कवच.
सूर्य स्त्रोत:
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः.
लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा.
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः.
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
सूर्य रक्षा कवच:
याज्ञवल्क्य उवाच-
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्.
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्.1.
देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम.
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् .2.
शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:.
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर: .3.
ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:.
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित: .4.
सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके.
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय: .5.
सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:.
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति .6.