दर्श अमावस्या क्यों मनाई जाती है?
हर माह आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक माह आने वाले कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस अमावस्या पर पितरों का पूजन करना शुभफल प्रदान करता है. हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या को विशेष महत्व दिया जाता है, तो आइए आपको दर्श अमावस्या व्रत की विधि और महत्व के बारे में बताते हैं.
अमावस्या पर स्नान दान तर्पण से जुड़े कार्यों को करना विशेष माना गया है. इसके साथ ही इस दिन धर्म स्थलों में स्नान और दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन चंद्र देव की विशेष पूजा की जाती है. ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन का कारक ग्रह है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा का पूजन, व्रत अनुष्ठान करने से चंद्र देव प्रसन्न होते हैं और शुभ प्रभाव मिलते हैं. मानसिक संतोष प्रबल होता है. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके अलावा इस दिन लोग गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान भी करते हैं.
दर्श अमावस्या और विशेष फल
पंचांग अनुसार दर्श अमावस्या का बड़ा महत्व है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी विलुप्त रहती है, हिंदू शास्त्रों के मुताबिक दर्शा अमावस्या पर चांद पूरी रात गायब रहता है. कहते हैं कि सुख समृद्धि परिवार के उद्धार की कामना के लिए यह दिन बहुत खास होता है. इस दिन पूर्वजों की पूजा करना भी शुभ माना जाता और चन्द्र दर्शन करना जरूरी होता है. चंद्रमा को देखने के बाद उपवास आदि रखने का भी विधान है. कहा जाता है कि जो लोग इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं. चंद्र देव उनकी प्रार्थना जरूर सुनते हैं. वह अपने भक्तों की हर मुराद को पूरी करते हैं.
दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा का पूजन
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मानसिक संतोष का आधार कहा गया है अगर कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो तो किसी भी प्रकार की संतुष्टि मिल पाना मुश्किल होता है. इस कारण से दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा के पूजन की महत्ता को दर्शाया गया है. दर्श अमावस्या के दिन पूजा करते हैं, उन्हें चंद्र देव की कृपा दृष्टि मिलती है. इसके अलावा उन्हें अपने जीवन में अच्छे भाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. भगवान चंद्र देव की पूजा करने से जीवन में जिन कामों में अटकले लग रही होती हैं वे समाप्त हो जाती हैं.
इसके अलावा इस दिन चंद्र दर्शन और उपवास करने वाले लोग आध्यात्मिक संवेदनशीलता प्राप्त कर सकते हैं. मान्यता है कि भगवान चंद्र देव की पूजा करने से मन को शीतलता और शांति का अहसास होता है. जीवन में संघर्ष अधिक होता है तब चंद्र देव आत्म विश्वास को बढ़ाते हैं और अनेक मार्गों को आसान बनाते हैं. जो लोग अपने जीवन में आध्यात्मिक लक्ष्य तय करना चाहते हैं तो चंद्र देव की पूजा विशेष फलदायी होता है. ऐसे में अगर इस दिन उपवास रखकर चंद्र देव के दर्शन करते हैं तो उनकी इच्छा पूरी होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्रमा के देवता चंद्र देव हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण नवग्रहों में से हैं. इतना ही नहीं चंद्र देव भावनाओं और दिव्य अनुग्रह के स्वामी है. चंद्र देव को मन का कारक माना जाता है.
दर्श अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
अमावस्या या अमावसी को वह दिन माना जाता है, जब चंद्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता. हम यह भी कह सकते हैं कि हिंदू परंपरा में चंद्र पंचांग के अनुसार, अमावस्या की रात को चंद्रमा दिखाई नहीं देता. चंद्र मास की पहली तिमाही में इसे पहली रात कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन मांगलिक कार्यों को नहीं किया जाता है लेकिन धर्म कर्म से जुड़े कामों को करना शुभ होता है.
ज्योतिष में चंद्रमा और महत्वपूर्ण ग्रह दिखाई नहीं देते हैं. इसलिए, इस दिन कोई नया कामकाज या महत्वपूर्ण समारोह आयोजित नहीं किया जाना चाहिए. अमावस्या शब्द का इस्तेमाल भारत के अधिकांश हिस्सों में आम तौर पर किया जाता है. लेकिन इसे अलग-अलग राज्यों और अलग-अलग महीनों में अलग-अलग नामों से भी पुकारा जाता है.
चंद्रदेव को सबसे महत्वपूर्ण नवग्रह माना जाता है. उन्हें भावनाओं का स्वामी और जल तत्व को दर्शाता है जीवन की शक्ति को दिखाता है. जो व्यक्ति इस शुभ दिन पर चंद्र देव की पूजा करते हैं, उन्हें अपने जीवन में सौभाग्य और समृद्धि मिलती है. इससे जीवन में परेशानियां कम होती हैं. इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक संवेदनशीलता प्राप्त करने में मदद मिलती है.
अमावस्या का दिन ज्ञान, पवित्रता और शुभ भावनाओं से जुड़ा हुआ है. पितरों की पूजा करने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. मोक्ष प्राप्त करने के साथ-साथ अच्छे भाग्य की कामना के लिए इस दिन कई तरह की पूजा की जाती है. दर्शन अमावस्या का व्रत अमावस्या की सुबह से शुरू होता है और अगले दिन चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है. इस दिन पितरों के लिए किया गया श्राद्ध पापों और पितृ दोष को दूर करता है और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और खुशी के लिए पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
दर्श अमावस्या के दिन किए जाने वाले कार्य
दर्श अमावस्या के दिन इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, इस दिन पवित्र नदी या तालाब में स्नान करना भी बहुत शुभ होता है. स्नान करने के बाद तांबे के बर्तन में सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए. पीपल या बरगद के पेड़ पर जल और दूध चढ़ाना चाहिए और इसके बाद पेड़ पर चीनी, चावल और फूल चढ़ाने चाहिए तेल का दीपक जलाना चाहिए. ॐ पितृभ्य: नमः मंत्र का जाप करना चाहिए. शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना चाहिए. इस दिन गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भोजन कराना चाहिए.चंद्र देव की पूजा करनी चाहिए. घी का दीपक जलाकर और कपूर जलाकर चंद्र देव को सफेद फूल, चंदन, साबुत चावल और इत्र चढ़ाना चाहिए. चंद्र देव की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी करनी चाहिए. दर्श अमावस्या को पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है.