सूर्य षष्ठी व्रत 2025 | Surya Shasti Vrat | Surya Sashti Vrat 2025

सूर्य षष्ठी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. सूर्य षष्ठी व्रत 28 अगस्त   2025 को मनाया जाना है. यह पर्व भगवान सूर्य देव की आराधना एवं पूजा से संबंधित है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा के साथ साथ गायत्रि मंत्र का स्मरण भी होता है. सूर्य का बहुत महत्व है. जीवों तथा वनस्पति को पोषण देने वाला सूर्य हैं.

अत: इस दिन सूर्य भगवान की आराधना जो श्रद्धालु विधिवत तरीके से करते हैं उन्हें पुत्र, आरोग्य और धन की प्राप्ति होती है. सूर्य देव की शक्ति का उल्लेख वेदों में, पुराणों में और योग शास्त्र आदि में विस्तार से किया गया है. सूर्य की उपासना सर्वदा शुभ फलदायी होती है. अत: सूर्य षष्ठी के दिन जो भी व्यक्ति सूर्यदेव की उपासना करता है वह सदा दुख एवं संताप से मुक्त रहते हैं.

सूर्य षष्ठी व्रत विधि | Surya Shasti Vrat Vidhi

सूर्य षष्ठी के दिन सूर्योदय पूर्व दैनिक कर्म से निवृत होकर घर या घर के समीप बने किसी जलाशय, नदी, नहर में स्नान करना चाहिए.  स्नान करने के पश्चात उगते हुए सूर्य की आराधना करनी चाहिए. भगवान सूर्य को जलाशय, नदी अथवा नहर के समीप खडे़ होकर अर्ध्य देना चाहिए. शुद्ध घी से दीपक जलाना चाहिए. कपूर, धूप, लाल पुष्प आदि से भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए.

उसके बाद दिन भर भगवान सूर्य का मनन करना चाहिए. इस दिन अपाहिजों, गरीबों तथा ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए. दान के तौर पर वस्त्र, खाना तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं जरुरतमंद व्यक्तियों को दें सकते हैं. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन भगवान सूर्य के निमित्त रखे जाने वाले व्रत में सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर बहते हुए जल में स्नान करना चाहिए.

स्नान करने के पश्चात सात प्रकार के फलों, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि को जल में मिलाकर उगते हुए भगवान सूर्य को जल देना चाहिए. सूर्य को भक्ति तथा विश्वास के साथ प्रणाम करना चाहिए. उसके पश्चात सूर्य मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए. सूर्य मंत्र है :- "ऊँ घृणि सूर्याय नम:" अथवा "ऊँ सूर्याय नम:" इसके अतिरिक्त "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ भी किया जाना चाहिए.

सूर्य षष्ठी का महत्व | Importance of Surya Shashti Vrat

इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा भगवान सूर्य का व्रत रखा जाता है. सूर्य को प्राचीन ग्रंथों में आत्मा एवं जीवन शक्ति के साथ साथ आरोग्यकारक माने गए हैं.  पुत्र प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का महत्व माना गया है. इस व्रत को श्रद्धा तथा विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में प्रेम बना रहता है.सूर्य की रोशनी के बिना संसार में कुछ भी नहीं होगा सूर्य की किरणें जीवन का संचार करती हैं प्राणियों में शक्ति एवं प्रकाश उजागर करती हैं. सूर्य की उपासना से शरीर निरोग रहता है.

सूर्य षष्ठी को जो व्यक्ति सूर्य की उपासना तथा व्रत करते हैं उनकी समस्त व्याधियां दूर होने लगती हैं. सूर्य चिकित्सा का उपयोग आयुर्वेदिक पद्धति तथा प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है. शारिरिक दुर्बलता, हड्डियों की कमजोरी या जोडो़ में दर्द जैसी तकलीफें सूर्य की किरणों द्वारा ठीक हो सकती हैं. सूर्य की ओर मुख करके सूर्य स्तुति करने से शारीरिक चर्मरोग आदि नष्ट हो जाते हैं.