भड़ली (भढ़ली) नवमी अबूझ समय जब हर कार्य होता है मंगलकारी

भड़ली नवमी का पर्व 15 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन चित्रा नक्षत्र को पश्चात स्वाति नक्षत्र भी प्राप्त होगा. शिव योग एवं सिद्ध नामक शुभ योग बनेंगे तथा शुभ योग का निर्माण भी होगा. 

आषाढ माह की शुक्ल नवमी भड़ली नमवी. कंदर्प नवमी ओर गुप्त नवमी के रुप में मनाई जाती है. भड़ली नवमी का समय भगवान विष्णु, भगवान शिव देवी भगवती के पूजन का विशेष समय होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन के बाद भगवान चार माह तक योग निद्रा में चले जाते हैं और इस अवधि में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन , कार्य आरंभ जैसे काम रुक जाते हैं. यह पर्व का प्रमुख महत्व है क्योंकि इसे हिंदू विवाह संस्कार कार्यों के लिए अंतिम दिन भी माना जाता है. इसके बाद चार महिने के बाद देव उठनी एकादशी से ही विवाह, गृह प्रवेश एवं अन्य प्रकार के शुभ कार्य शुरु हो पाते हैं. 

भड़ली नवमी पर बनने वाले शुभ योग 2024

इस वर्ष भड़ली नवमी का पर्व 15 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा. भड़ली नवमी तिथि का आरंभ 14 जुलाई 2024 को 17:27 पर होगा. नवमी तिथि की समाप्ति 15 जुलाई को 19:20 पर होगी. इस दिन चित्रा नक्षत्र को पश्चात स्वाति नक्षत्र भी प्राप्त होगा. शिव योग एवं सिद्ध नामक शुभ योग बनेंगे तथा शुभ योग का निर्माण भी होगा. 

भड़ली नवमी के दिन गुप्त नवरात्रि के नवमी तिथि का पूजन होगा. इसी के साथ नवरात्रि का पारण समय भी होगा. देवी दुर्गा का पूजन संपन्न होगा. 

भड़ली नवमी पर्व महत्व 

भड़ली नवमी का पर्व भगवान श्री विष्णु एवं भगवान शिव के पूजन के लिए विशेष होता है. हिंदू पौराणिक कथाओं अनुसार माना जाता है कि भगवान विष्णु सुखों को प्रदान करने वाले तथा जीवन की भौतिकता के आनम्द प्रतीक भी हैं. इनके आशीर्वाद द्वारा जीवन में मंगल सुखों की प्राप्ति होती है. देवताओं के शयन का समय जब होता है तब विवाह कार्य नहीं हो पाते हैं क्योंकि इस समय देवों का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो पाता है. इसलिए भड़ली नवमी के दिन भगवान श्री विष्णु पूजन होता है इसके पश्चात भगवान शयन में चले जाते हैं जो चातुर्मास का समय कहा जाता है. दांम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए भगवान विष्णु की कृपा आवश्यक होती है. भडली नवमी भगवान विष्णु के सोने से पहले का समय होता है  इसलिए, भक्त दिन को अनोखे तरीके से मनाते हैं उत्सव पूजा इत्यादि कार्य होते हैं. भड़ली नवमी किसी भी मांगलिक कार्यों के लिए अंतिम दिन होता है इसके पश्चात 4 माह तक कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. 

इस दिन बड़े उत्साह के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. भगवान श्री विष्णु को प्रसाद चढ़ाया जाता है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और भगवान विष्णु के अन्य मंत्र एवं भजन गाए जाते हैं.

भारत के झारखंड राज्य में प्राचीन काल से भड़ली मेले का आयोजन होता रहा है. इस समय देवी देवताओं का पूजन होता है. 

इस दिन भगवान शिव और देवी काली मंदिरों में विशेष पूजा यज्ञ किए जाते हैं 

भड़ली नवमी के दिन गृह प्रवेश पूजा, मुंडन संस्कार, जनेऊ संस्कार, सगाई, विवाह कार्यों को करना शुभ होता है. 

इस दिन नए व्यवसाय का आरंभ किया जा सकता है. नई स्थान की यात्रा एवं नई वस्तुओं को लेना शुभ होता है. 

भड़ली नवमी के दिन कन्या पूजन करना शुभफल प्रदान करता है. 

भड़ली नवमी कथा   

पौराणिक कथाओं के अनुसार अषाढ़ शुक्ल पक्ष में नवमी तिथि के दिन कामदेव का कंदर्प रुप में पुन: जन्म होता है. गुप्त नवरात्रि के दिन को भड़ली नवमी का समय मनाया जाता है. इस दिन से संब्म्धित कई कथाएं प्राप्त होती हैं जिनमें एक कामदेव से संबंधित है. मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव सती के वियोग में साधना मेम रमे रहते हैं तब उस समय सती का पुन: जन्म होता है वह हिमायल राज की पुत्री पार्वती के रुप में जन्म लेती हैं. भगवान शिव ओर पार्वती के विवाह कराने हेतु देवी देवता कई जतन करते हैं देवी पार्वती भी भगवान शिव को पाने हेतु कठोर व्रत का पालन करती हैं किंतु भगवान शिव अपनी योग साधना से जब बाहर नहीं आते हैं, तब उस समय सभी देवता कामदेव के पास जाकर उन्हें भगवान शिव के भीतर काम भवना जागृत करने को कहते हैं, किंतु कामदेव जब भगवान शिव को जगाने हेतु प्रयास करते हैं तो उस समय भगवान अपने क्रोध के कारण तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर देते हैं. ऎसे में देवी रति अपने पति की मृत्यु से व्यथित होकर विलाप करने लगती हैं भगवान शिव उनकि दशा देख कर कामदेव की पुन: प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं. इसी आशीर्वाद के अनुरुप 

आषाढ़ नवमी के दिन देव कन्दर्प का जन्म होता है. भगवान शिव के द्वारा भस्म होने के बाद इस तिथि पर वह पुन: आते हैं. कन्दर्प देव को भगवान श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रुप में जन्म लेते हैं ओर कंदर्प नाम से विख्यात होते हैं. इसलि भी दिन विवाह कार्यों को करना अत्यंत शुभ माना जाता है. 

दांपत्य जीवन का सुख प्रदन करता भड़ली नवमी 

भड़ली नवमी के दिन पर शादी सगाई जैसे माम्गलिक कार्यों को उत्साह के साथ किया जाता है. इस दिन को दांपत्य जीवन के सुख पाने के लिए शुभ समय माना जाता है. इस दिन पर शादी विवाह करने से विवाह में किसी भी प्रकार का दोष या अलगाव उत्पन्न नहीं होता है. जीवन में यदि दांपत्य सुख की कमी हो या रिश्तों में किसी प्रकार का विवाद बना हुआ दिखाई देता हो तो भडली नवमी के दिन कामदेव का पूजन करना बहुत शुभ माना गया है. कामदेव के आशीर्वाद से विवाह का सुख प्राप्त होता है. भड़ली नवमी के दिन भगवान शिव देवी पार्वती श्री विष्णु पूजन के द्वारा सुख सौभाग्य प्राप्त होता है.