आवश्यक भाव - पंचम एवं दशम (Important Houses fifth and tenth houses for Career in Medicine)
कुण्डली के पंचम भाव को शि़क्षा का भाव कहा जाता है. किसी भी तकनीकी शिक्षा का आजीविका के रुप में परिवर्तित होना तभी संभव है जब पंचम भाव व पंचमेश का सीधा संबध दशम भाव या दशमेश से बन जाये. अत: इनका संबध होना पहली आवश्यकता है. इस संबध के माध्यम से यह मालूम होता है की व्यक्ति जिस क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करेगा, उसे उसी क्षेत्र में आजीविका की प्राप्ति भी होगी.पंचम भाव का दशम भाव भावेशों से जितना अच्छा संबध होगा, आजीविका के पक्ष से यह उतना ही अच्छा होगा (The better there is a relationship between fifth and tenth house the more chances there are of a career as a doctor). दोनों मे राशि परिवर्तन होना, दृष्टि संबध अथवा युति होना भी अच्छा समझा जाता है. यह योग अस्पताल के भाव छ्ठे/बारहवे घर में बनने से डाक्टर बनने की संभावनाएं ओर भी प्रबल होती है.
छ्ठे एवं बारहवे भावों का संबध (Relationship between sixth and twelfth houses)
छटा भाव रोग का है तथा बारहवें घर को अस्पताल का घर कहा जाता है. बारहवें घर से घर में पडे रहना या बाहर निकल सकने की असमर्थता आदि भी पता लगती है. इसलिये छठे घर व बारहवें घर का सम्बध जितना प्रगाढ बनेगा, डाक्टर बनने की संभावना उतनी ही अधिक होगी.डाक्टर का जीवन घर में कम व अस्पताल में अधिक बीतता है. इसलिये छठे व बारहवें घर में रहना उसे जितना अधिक रुचिकर लगेगा व्यवसाय में मन लगाना उतना ही आसान होगा. छठे घर से एसे रोग देखे जाते है. जिनके ठीक होने की अवधि एक साल की होती है. तथा आठवे भाव से लम्बी अवधि के रोग देखे जाते है. दशम/ दशमेश का संबध दोनों में से जिस भाव से अधिक आयेगा व्यक्ति उस प्रकार की बीमारियों का चिकित्सक बनेगा.
अन्य भाव (Other houses for Doctor's Career)
भावों की श्रंखला में अगर दूसरा व एकादश भाव भी देखे जाते है. दूसरा घर धन का भाव है. व ग्यारहवें घर से लाभ या आय देखी जाती है. नवम घर से ख्याति पाने की संभावनाए देखी जाती है (Ninth house denotes fame for the doctor). इन सभी भावो का विश्लेषण करने से यह लाभ होता है की व्यक्ति को डाक्टरी पेशे में आय की प्राप्ति किस स्तर तक होगी इसका अनुमान लग जाता है. किसी भी व्यवसाय में आय सबसे बडे प्रेरणा स्त्रोत का काम करती है.व्यक्ति को अगर आय के साथ नाम-सम्मान भी मिले तो फिर कहना ही क्या. इससे व्यक्ति के व्यवसाय में स्थिरता रहती है. दशम/दशमेश का संबध समाज के भाव चौथे से अधिक आने पर व्यक्ति अपने पेशे का उपयोग सेवा कार्य के लिये करता है.
आवश्यक ग्रह- गुरु (Jupiter is important for Doctor's Career)
चिकित्सक बनने की संभावना रखने वाले व्यक्तियों की कुण्डली में गुरु विशेष स्थान रखते है. गुरु की कृ्पा से ही कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उपचार करके उसे स्वस्थ बना सकने की योग्यता प्राप्त कर पाता है. गुरु सभी ग्रहों मे सबसे शुभ ग्रह है. उनका आशीर्वाद प्राप्त होना अत्यन्त शुभ होता है. अर्थात गुरु के प्रभाव से डाक्टर में मरीज को ठीक करने की सफा आती है.किसी भी व्यक्ति के एक सफल चिकित्सक बनने के लिये गुरु का प्रभाव लग्न/पंचम/दशम भाव तथा संबन्धित भावेशों पर जन्म कुण्डली में , नवाशं कुण्डली में तथा दशमाशं कुण्डली में होना चाहिए. कुण्डली के लग्न घर से स्वास्थ्य देखा जाता है. नवाशं कुण्डली जन्म कुण्डली की पूरक कुण्डली है. तथा दशमाशं कुण्डली को व्यवसाय के सूक्ष्म अध्ययन के लिये देखा जाता है.
आवश्यक ग्रह- चन्द्रमा (Moon is important for Doctor's Career)
चिकित्सकों की कुण्डली में चन्द्रमा का भी विशेष स्थान होता है. इनकी कुडण्ली में चन्द्र अन्य प्रोफेशन की कुण्डली के चन्द्रमा से भिन्न होते है. क्योकि चन्द्र को जडी- बूटी का कारक कहा जाता है. व चिकित्सकों की कुण्डली में चन्द्र पर पाप प्रभाव होता है (Moon is often under malefic influence in a doctor's birth-chart).चन्द्र पर पाप प्रभाव होने से डाक्टर मरीज को दर्द से तडपते देखते रहने की पीडा सहन करने की क्षमता आती है. चिकित्सक की कुण्डली में चन्द्र पर पाप प्रभाव या चन्द्र का संबध त्रिक भावों से होना सामान्य योग है. एसा ही योग सूर्य के साथ भी देखा जाता है. अर्थात चिकित्सकों की कुण्डली में चन्द्र के साथ सूर्य भी पीड़ित होते है.
अन्य योग (Other Yogas for a Career in Medicine)
उपरोक्त योगों के साथ अगर कुण्डली में लग्न में मंगल स्वराशि या उच्च राशि में हो तो व्यक्ति में सर्जरी से संबन्धित चिकित्सक बनने की योग्यता आती है (Exalted Mars helps in becoming a surgeon). मंगल से साहस आता है. व रक्त को देख व्यक्ति में घबराहट नहीं आती है. दोनों का संबध डाक्टर से होता है.कुण्डली में लाभेश व रोगेश की युति लाभ घर में हो तथा मंगल,चन्द्र, सूर्य भी शुभ होकर अच्छी स्थिति में हों तो व्यक्ति चिकित्सा क्षेत्र से जुडता है. इन सभी का संबध अगर दशम/ दशमेश से आता है तो सोने पे सुहागे वाली बात होती है.