विवाह भाव, विवाह भाव के स्वामी तथा विवाह के कारक ग्रह शुभ ग्रहों से संबन्ध बनाते हैं तो दाम्पत्य जीवन में सुख-शान्ति की वृद्धि होती है. इसके विपरीत जब इन तीनों पर अशुभ या पापी ग्रहों का प्रभाव होता है तो गृहस्थी में तनाव बढ़ता है. आईये देखे कि सप्तम भाव में होने वाली ग्रहों की युति किस प्रकार अपना प्रभाव डालती है.
सप्तम भाव में मंगल- बुध कि युति (Combination of Mars, Jupiter and Saturn with Other Planets in Seventh House)
अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली में विवाह भाव में मंगल व बुध दोनों एक साथ स्थित हों तो व्यक्ति के जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कमी के योग बनते है. इस योग के व्यक्ति के जीवनसाथी को बेवजह इधर-उधर भटकना पड़ सकता है. इनके साथी को वाद-विवाद कि स्थिति से बचने का प्रयास करना चाहिए तथा अच्छे कार्य करना चाहिए.सप्तम भाव में मंगल-गुरु की युति (Combination of Mars-Jupiter in Seventh House)
सप्तम भाव में जब मंगल व गुरु कि युति हो रही हों तो व्यक्ति के जीवनसाथी के साहस में वृद्धि की संभावनाएं बनती है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति का जीवनसाथी पराक्रमी होता है. उसे अपने मित्रों व बंधुओं का सुख प्राप्त होता है. घूमने का शौकीन होता है. इस योग के व्यक्ति को अपने जीवनसाथी से कुछ कम सहयोग मिल सकता है.सप्तम भाव में मंगल-शुक्र की युति (Combination of Mars-Venus in Seventh House)
कुण्डली में सप्तम भाव में मंगल व शुक्र की युति व्यक्ति के जीवनसाथी को रोमांटिक बनाती है. इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति का जीवनसाथी विशेष स्नेह करने वाला होता है. ऎसे व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के कारण कई बार अपयश का भी सामना करना पड़ सकता है. कुण्डली में यह योग होने पर व्यक्ति को अपने जीवन साथी से संबन्धों में ईमानदार रहना चाहिए.सप्तम भाव में मंगल-शनि की युति (Combination of Mars-Saturn in Seventh House)
अगर कुण्डली के सप्तम भाव में मंगल व शनि दोनों एक साथ स्थित हों तो संतान सुख में कमी हो सकती है. इस योग में किसी कारण से जीवनसाथी से कुछ समय के लिए दूर रहना पड़ता है. जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कमी भी आती है. वैवाहिक जीवन में इन्हें अपयश से बचने का प्रयास करना चाहिए.सप्तम भाव में बुध-गुरु की युति (Combination of Mercury-Jupiter in Seventh House)
यह योग व्यक्ति के जीवनसाथी के सौन्दर्य में वृद्धि करता है. विवाह भाव में बुध व गुरु कि युति होने से मित्रों की संख्या अधिक होती है. उन्हें अपने छोटे भाई-बहनों का सहयोग प्राप्त होता है. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के जीवनसाथी के धन में वृद्धि होती है.यह योग व्यक्ति के जीवनसाथी के स्वभाव में मृ्दुता का भाव रहने की संभावनाएं बनाता है. अपने मधुर स्वभाव के कारण उसके सभी से अच्छे संबन्ध होते है. ऎसे व्यक्ति को अपने पिता के सहयोग से लाभ प्राप्त होने की भी संभावनाएं बनती है.