कुलिक कालसर्प का निर्माण -How Kulik Kalsarp forms?
आमतौर पर कुण्डली देखकर जब ज्योतिषी किसी व्यक्ति को यह कहते हैं कि आपकी कुण्डली में कालसर्प दोष है तो वह घबरा जाता है. इसका कारण यह है कि लोग यह समझ बैठते हैं कि शायद उनके जीवन में हर तरफ से परेशानी आएगी. यह दोष उनके घर में परेशानियों को बढ़ाएगा. लेकिन, वास्तविकता इससे कुछ अलग है. कालसर्प के कई प्रकार हैं जिनका फल भी अलग-अलग होता है. इसलिये कुण्डली में कालसर्प दोष सुनकर ही नहीं घबराना नहीं चाहिये, बल्कि यह जानने की कोशिश करनी चाहिये कि कौन सा कालसर्प दोष आपकी कुण्डली में बन रहा है. जो भी कालसर्प दोष कुण्डली में बने उसके अनुरूप ही आपको उपाय करना चाहिए तथा उस कालसर्प के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए समझदारी एवं सतर्कता से काम लेना चाहिए.
कालसर्प दोष के विभिन्न प्रकारों में एक है कुलिक कालसर्प दोष. यह दोष कुण्डली में तब बनता है जबकि राहु द्वितीय भाव में हो और केतु आठवें भाव में व शेष सातों ग्रह एक ही ओर एक गोलर्द्ध में हो. अपने नाम के अनुसार यह कुल पर प्रभाव डालने वाला कालसर्प दोष है यानी इससे परिवार और पारिवारिक सुख में कमी आती है.
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कुलिक कालसर्प दोष का प्रभाव - Effects of Kulik Kalsaro Dosha
कुण्डली में कुलिक कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए. बोलते समय उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसकी बातें सामने वाले व्यक्ति के मन को चोट नहीं पहुंचाये. जो लोग इन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं उनका लोगों से बैर होता है. वाणी में कटुता के कारण सामाज में एवं घर में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. लोगों से अपमान मिलता है. जीवनसाथी से तनाव के कारण गृहस्थी प्रभावित होती है तथा मन अशांत और बेचैन रहता है.
आर्थिक उन्नति में भी यह दोष बाधक बनता है. व्यक्ति को जीवन में सफलता पाने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ता है. इन्हें दोस्तों एवं रिश्तेदारों से सावधान रहने की जरूरत होती है क्योंकि, उनसे धोखा मिलने की आशंका रहती है. इस दोष में गले की बीमारी एवं वाणी में दोष आने की संभावना रहती है.
कुलिक कालसर्प दोष के उपाय Remedies for Kulik kalsarp Dosha
कुलिक कालसर्प दोष की शांति हेतु राहु मंत्र ' ओम रं राहवे नमः' का जप करना चाहिए. नाग-नागिन के 108 अथवा 43 जोड़े बनवकर उसकी पूजा करनी चाहिए उसके पश्चात उसे जल में प्रवाहित कर देना चाहिए, ऐसा करने से कुलिक कालसर्प दोष के कष्टकारी प्रभाव में कमी आती है. भगवान शिव की पूजा एवं उपासना से भी इस दोष के कष्टकारी प्रभाव से राहत मिलती है.