इसके बाद क्रम से अन्य नक्षत्र इस शुक्र चक्र में स्थापित किये जाते है. तथा जन्म नक्षत्र शुक्र चक्र (Venus Chakra) में शरीर के जिस अंग पर आता है. उसके अनुसार व्यक्ति का भविष्य होने की संभावनाएं बनती है. आईये देखे की शुक्र चक्र (Venus Chakra) से किस प्रकार के फल प्राप्त हो सकते है.
शुक्र चक्र का निर्माण (Formation of the Venus Chakra)
शुक्र जन्म कुण्डली में जिस नक्षत्र में स्थित हों उस नक्षत्र को शुक्र चक्र (Venus Chakra) की आकृ्ति के सिर स्थान पर स्थापित कर, शुक्र चक्र (Shukra Chakra) की स्थापना का कार्य आरम्भ किया जाता है. आकृ्ति के सिर स्थान पर शुक्र का नक्षत्र रखने के बाद इसके बाद के तीन नक्षत्र भी इसके साथ ही स्थापित किये जाते है.शुक्र चक्र में अन्य नक्षत्रों की स्थापना (Others Nakshatra Placed in Venus Chakra)
शुक्र चक्र में शुक्र नक्षत्र व इसके बाद क्रम से आने वाले तीन नक्षत्रों को रखने के बाद, गले स्थान पर इसके बाद के पांच नक्षत्र रखे जाते है. गले के बाद ह्रदय स्थान पर भी पांच नक्षत्र स्थापित किये जाते है.इसी प्रकार इसके बाद के क्रम से आने वाले तीन नक्षत्रों को नाभि स्थान पर अंकित किया जाता है. नाभि स्थान के बाद पिण्डलियों पर पांच नक्षत्र रखे जाते है. पिण्डलियों पर नक्षत्रों की स्थापना करने के बाद इसके बाद के पांच नक्षत्र पैर स्थान पर रखे जाते है. इस प्रकार कुल 27 नक्षत्रों की स्थापना का कार्य समाप्त होता है.
शुक्र चक्र के फल (Results For Venus Chakra)
1. सिर स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results for placement of Janm Nakshatra on the Head Point)शुक्र चक्र (Venus Chakra) में जब जन्म नक्षत्र सिर स्थान पर स्थापित होने पर व्यक्ति को सरकारी विभागों से सहयोग प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. इस योग के व्यक्ति को राजनिति के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. तथा यह योग व्यक्ति को सरकारी नौकरी प्राप्ति का संकेत देता है.
2. गले स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results of Placement of Janm Nakshatra On the Neck)
जब व्यक्ति का जन्म नक्षत्र गले स्थान पर आयें तो व्यक्ति को धन लाभ (Dhan Labh Yoga) प्राप्ति के योग बनते है. यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार में सहयोग करते है. तथा जीवन में धन संबन्धी परेशानियों में भी कमी करते है.
3.ह्रदय स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results of Placement of Janm Nakshatra On the Heart)
इसके अलावा जब जन्म नक्षत्र ह्रदय स्थान पर स्थापित हों तो व्यक्ति के सुखों में वृ्द्धि होती है. यह योग व्यक्ति की भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृ्द्धि करता है. जन्म नक्षत्र के ह्रदय स्थान पर आने के कारण व्यक्ति को भूमि व भवन के क्षेत्रों से लाभ प्राप्त होने की संभावनाएं बनाते है.
4. नाभि स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results of Placement of Janm Nakshatra On the navel )
शुक्र चक्र (Venus Chakra) में जब जन्म नक्षत्र नाभि स्थान पर स्थापित हो, तो व्यक्ति को प्रतियोगियों से भय की संभावना रहती है. ऎसा व्यक्ति शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखने में कुशल नहीं होता है. तथा कभी कभी उसे इसके कारण हानि का भी सामना करना पडता है.
5. पिण्डलियों पर जन्म नक्षत्र (Results of Placement of Janm Nakshatra On the Shank)
जन्म नक्षत्र की स्थिति शुक्र चक्र में ( Janam Nakshatra in Shukra Chakra) पिण्डलियों पर होने पर व्यक्ति को उतम श्रेणी का भोजन प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है. इस योग के व्यक्ति को खाने में भी रुचि रहने की संभावनाएं बनती है.
6. पैर स्थान पर जन्म नक्षत्र के फल (Results of Placement of Janm Nakshatra On the Foot)
शुक्र चक्र (Venus Chakra) में जन्म नक्षत्र जब पैर स्थान पर स्थापित हों तो व्यक्ति को सुख प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. ऎसा व्यक्ति वाहन व ऎश्वर्य युक्त वस्तुओं का भोग करने के अवसर प्राप्त करता है.
उदाहरण के लिये
अगर किसी व्यक्ति का शुक्र भरणी नक्षत्र (Venus in Bharani Nakshatra) में है, तथा उसका जन्म रोहिणी नक्षत्र होने पर जन्म नक्षत्र सिर स्थान पर आता है. ऎसे में शुक्र चक्र के अनुसार व्यक्ति को राज्य से लाभ प्राप्ति के योग बनते है.