कृष्णमूर्ति पद्धति और दूसरे भाव की विशेषताएं KP Astrology and Second House
कुण्डली के दूसरे भाव को धन भाव भी कहा जाता है. शरीर के अंगों में कान को छोड़कर कंठ के ऊपर का पूरा चेहरा दूसरे भाव के अन्तर्गत माना जाता है. जीभ, आँखें, नाक, मुंह तथा होंठ ये सभी दूसरे भाव से देखे जाते हैं.
दूसरे भाव के कार्य:- (Acts of the Second House as per K.P.Systems)
दूसरे भाव से खाने-पीने की आदतों, बातचीत का तरीका, आवाज की मधुरता, वाणी, संगीत, कला इन सभी बातों को देखा जाता है. इसके अतिरिक्त इस भाव से परिवार के सदस्यों के विषय में भी जाना जाता है. इस कारण इस भाव को कुटुम्ब भाव भी कहते है. परिवार में वृद्धि या कमी का आंकलन भी इसी घर से किया जाता है.
द्वितिय भाव की विशेषताएं:- (Qualities of the Second House as per K.P.Systems)
इस भाव को धन भाव कहते है. इससे ज्ञात होता है कि आप अपनी आय से कितना संचय कर पाते हैं. इस भाव से ही धन, रूपया- पैसा, गहने, आदि के विषय में जानकारी मिलती है. इस भाव से वाणी में मधुरता व आंखों की सुन्दरता भी देखी जाती है.
दूसरे भाव की अन्य विशेषताएं:-(Other Characteristics of the Second House as per K.P.Systems)
बैंक, रेवेन्यी, अकाउन्ट, सात्विक भोजन, कीमती धातु आदि के विषय में जाना जाता है. यह भाव तीसरे भाव से बारहवां स्थान होने के कारण छोटे भाई-बहनों में कमी के लिये भी देखा जाता है. इस भाव से अन्य जो बातें देखी जाती जा सकती है. उसमें छोटे भाई- बहनों की विदेश यात्रा, कर्जा चुकाना, जेल, सजा, माता को होने वाले लाभ, मामा की यात्राएं, उच्च शिक्षा, दुर्घटना, ऋण इत्यादि बातें भी इस भाव से देखी जाती हैं.
द्वितीय भाव का घर में स्थान:-(Place of the Second House in the Home as per K.P.Systems)
दूसरे भाव को घर में तिजोरीएवं रसोई घर का स्थान दिया गया है. कुण्डली के दूसरे भाव के पीड़ित होने पर घर की तिजोरी तथा रसोई घर में दिशा संबन्धी दोष होने की संभावना रहती है. प्रश्न लग्न से खोई वस्तु को वापस प्राप्त करने के लिये वस्तु का संबन्ध दूसरे घर से होने पर तिजोरी तथा रसोई घर में वस्तु तलाशने से उसके वापस प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है.