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कृष्णमूर्ति पद्धति और केतु की विशेषताएं - KP Astrology and Qualities of Ketu

राहु सांप का मुंह व केतु को सांप की पूंछ कहते है. दोनों एक ही शरीर के दो भाग है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दोनों एक दूसरे से विपरीत दिशा में रहते है. केतु मंगल के समान फल देता है. कुण्डली में मंगल के सुस्थिर होने पर केतु से प्राप्त होने वाले फल शुभ होते हैं. परन्तु, केतु को मंगल से भी अधिक कष्टकारी कहा गया है.

कुण्डली में केतु तथा मंगल की युति या सम्बन्ध किसी भाव में होने पर सर्जरी होने की संभावना बनाती है. जैसे:-यह संबन्ध पंचम स्थान में बने तो संतान का जन्म सर्जरी से होने की संभावना बनती है. लग्न भाव में यह संबन्ध बनने पर व्यक्ति की स्वयं की सर्जरी होने की संभावना बन सकती है.

केतु के गुण (Qualities of Ketu as per KP System)

केतु विरक्ति का भाव देने वाला ग्रह है. बेवजह भटकने की प्रवृति केतु से ही प्राप्त होती है. तंत्र-मंत्र, तपस्या, साधनाओं में समय लगाने का स्वभाव व्यक्ति को केतु के फलस्वरुप प्राप्त होता है. बारहवें भाव में मीन राशि होने पर उसमें केतु की स्थिति हो तो यह मोक्ष देने वाला योग कहा गया है. इस योग के होने पर व्यक्ति में गहरी धार्मिक आस्था होती है.

केतु की बीमारियां (Disease Occur by Ketu as per KP System)

त्वचा पर होने वाली बीमारियों को केतु के प्रभाव से होने वाली बीमारियों की श्रेणी में रखा जाता है. सभी प्रकार के फोड़े-फुन्सियों का कारण केतु तथा बुध का पीड़ित होना हो सकता है.

केतु के कार्यक्षेत्र (Working Areas of Ketu as per KP System)

केतु को भाषा विशेषज्ञ कहा गया है. इसलिये कुण्डली में केतु की स्थिति अच्छी होने पर व्यक्ति एक से अधिक भाषाओं का जानकार बनता है. इसके अलावा केतु को यांत्रिक बुद्धि देने वाला कहा गया है. केतु का संबन्ध पंचम घर से होने पर व्यक्ति की शिक्षा यांत्रिक विभाग में होने की संभावना बनती है. आयुर्वेद पद्धति की दवाईयों पर राहु का अधिकार माना जाता हे. आध्यात्म से जुड़े साधन, साहित्य, धर्मग्रन्थों को केतु के साधनों में सम्मिलित किया गया है. इसके अलावा केतु का संबन्ध जिस ग्रह से होता वह उस ग्रह के अनुसार फल देता है.

केतु के व्यवसायिक क्षेत्र (Business Related to Ketu as per KP System)

यंत्रों का निर्माण व रख-रखाव का कार्य केतु के अधिकार क्षेत्र में आता है. केतु मंगल के समान कार्य करता है इसलिये मंगल से सम्बन्धित सभी कार्यो को भी इसके व्यवसायिक क्षेत्रों में शामिल किया जाता है.

केतु के स्थानों में (Place of Ketu as per KP System)

केतु के स्थानों में जहां तीन रास्ते आपस में मिलते हो, ऎसी जगह को केतुका स्थान कहते है. इसके अतिरिक्त चौराहा, तपस्या करने का स्थान इन सब स्थानों को केतुके स्थानों में रखा जाता है. केतु के जानवरों में सांप की पूछ को केतु के समरूप माना गया है.

Article Categories: KP Astrology
Article Tags: ketu KP Systems