तिथि और वार का शुभ योग (Auspicious Yogas of Tithi and Weekday)
अमृत योग (Amrit Yoga)- रविवार व मंगलवार को जब नन्दा तिथि , सोमवार व शुक्रवार को भद्रा तिथि, बुधवार को जया तिथि, गुरुवार को रिक्ता तथा शनिवार को पूर्णा तिथि पड़ रही हो तो अमृ्त योग बनता है.सिद्ध योग (Siddha Yoga)- जब शुक्रवार को नन्दा तिथि, बुधवार को भद्रा तिथि, मंगलवार को जया तिथि , शनिवार को रिक्ता तिथि तथा गुरुवार को पूर्णा तिथि पड़ रही हो तो सिद्ध योग बनता है.
तिथि और वार का अशुभ योग (Malefic Yogas of Weekday and Tithi)
दुग्ध योग (Dagdha Tithi Yoga)- जब रविवार को 12वीं तिथि पड़ रही हो, सोमवार को 11वीं तिथि पड़ रही हो, मंगलवार को 5वीं तिथि पड़ रही हो, बुधवार को दूसरी व तीसरी तिथि हो, गुरुवार को 6वीं तिथि हो तथातिथि को शनिवार को 9वीं तिथि पड़ रही हो तो दुग्ध योग बनता है़.काक्रच योग (Kakrach Yoga)- जब शनिवार को 6वीं तिथि हो तो करकक्षा योग बनता हैं. इस योग से व्यक्ति को अच्छा फल नहीं मिलता.
समवर्तक योग (Samvartak Yoga)- बुधवार को पहली तिथि हो तथा रविवार को 7वीं तो समवर्तक योग बनता है. यह योग भी शुभ फल नहीं देता.
हुताशन योग (Hutashan Yoga)- जब रविवार को 12वीं तिथि , सोमवार को 6वीं तिथि हो, मंगलवार को 7वीं तिथि , बुधवार को 8वीं तिथि, गुरुवार को 9वीं तिथि, शुक्रवार को 10वीं तिथि तथा शनिवार को 11वीं तिथि हो तो दुग्ध योग बनता है.
विष योग (Visha Yoga)- रविवार को जब चौथी तिथि पड़ रही हो, सोमवार को 6वीं तिथि हो, मंगलवार को 7वीं तिथि हो, बुधवार दुसरी तिथि, शुक्रवार 9वीं तिथि तथा शनिवार 7वीं तिथि पडं रही हो तो विष योग बनता है़.
तिथि और नक्षत्र का अशुभ योग (Malefic Yogas of Tithi and Nakshatra)
अशुभ योग- जब 12वीं तिथि और अस्लेशा नक्षत्र एक साथ हो, पहली और उत्तरशादा नक्षत्र एक साथ हो, दुसरी तिथि अनुराधा, पांचवीं तिथि मेघ, तीसरी तिथि उत्तरा नक्षत्र में, 11वी रोहिणी, 13वीं स्वाति अथवा चित्रा, 7वीं हस्त अथवा मूल, 9वीं कृतिका, 8वीं तिथि पूर्व भाद्रपद तथा 6वीं तिथि रोहिणी के साथ हो तो शुभ फल नही मिलता.दस महिने जिनमें भाग्य का साथ नहीं मिलता- जब अनुराधा नक्षत्र दुसरी तिथि के साथ सम्बन्ध बना रहा हो, तीनों उत्तरा में से कोई भी तीसरी तिथि के साथ सम्बन्ध बना रहा हो. मेघ अथवा हस्त नक्षत्र 5वीं तिथि के साथ सम्बन्ध बना रहा हो , चित्रा अथवा स्वाति जब 13वीं तिथि के साथ तथा रोहिणी 8वीं तिथि के साथ सम्बन्ध बना रहा हो तो भाग्य का साथ नहीं मिलता.
वार और नक्षत्र का शुभ योग (Weekday and Nakshatras)
सिद्ध योग (Siddha Yoga)- अगर रविवार और उत्तर फाल्गुनी, हस्त, मूल, उत्तरशादा, श्रवण, उत्तर भाद्रपद अथवा रेवति नक्षत्र सम्बन्ध बन रहा हो, मंगलवार और अस्वनी, उत्तरफाल्गुनी, उत्तरभाद्रपद अथवा रेवति नक्षत्र का सम्बन्ध बन रहा हो, बुधवार और कृ्तिका, उत्तर फाल्गुनी, पूर्व फाल्गुनी, अनुराधा, पूर्ववैशादा , उत्तरशादा अथवा पूर्व भाद्रपद का सम्बन्ध बन रहा हो तथा शुक्रवार और उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, पूर्ववैशादा, उत्तरशादा, श्रवण, घनिष्ठा, स्थाविशक , पूर्व भाद्रपद अथवा उत्तर भाद्रपद का सम्बन्ध बन रहा हो तो सिद्ध योग बनता है. इसी तरह रविवार के दिन मूल नक्षत्र हो, सोमवार के दिन धनिष्ठा, बुधवार के दिन कृ्तिका, गुरुवार के दिन पुनरवासु, शुक्रवार के दिन पूर्व फाल्गुनी और शनिवार के दिन स्वाति नक्षत्र हो तो दूसरे सिद्ध योग बनते हैं.सर्वत सिद्धी योग (Sarvartha Siddhi Yoga)- अगर रविवार के दिन अस्वनी, पूष, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, मूल, उत्तरशादा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हो, सोमवार के दिन रोहिणी, मृ्गशिरा, पूष, अनुराधा अथवा श्रवण नक्षत्र हो, मंगलवार के दिन अस्वनी, कृतिका, अस्लेशा अथवा रेवति नक्षत्र हो, बुधवार के दिन कृतिका, रोहिणी, मृगसिरा, अनुराधा नक्षत्र हो, गुरुवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु, पूष, अनुराधा अथवा रेवती नक्षत्र हो, शुक्रवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु , अनुराधा, श्रवण, अथवा रेवति तथा शनिवार के दिन रोहिणी, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वत सिद्धि योग बनता है.
अमृत योग (Amrit Yoga)- सोमवार के साथ रोहिणी, मृ्गसिरा, पुनरवासु, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, मंगलवार के साथ मृगसिरा, पुनरवासु, पूष, अस्लेशा, मेघ, पूर्व फाल्गुनी, हस्त, चित्रा अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, बुधवार के दिन अद्रा, पुनरवासु, पूष, अस्लेषा, मेघ, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, गुरुवार के साथ अस्वनी, पुनरवासु, पूष, मेघ, अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, शुक्रवार के साथ अस्वनी, भरणी ,पूर्व फाल्गुनी अथवा रेवाति नक्षत्र होने से, शनिवार के साथ कृतिका, रोहिणी स्थाविशक अथवा स्वाति नक्षत्र के होने से अमृ्त योग बनता है.
शुभ योग (Shubha Yoga)- बुधवार के साथ रोहिणी, ज्येष्ठ, स्थाविशक अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र होने से, गुरुवार के साथ भरणी, अस्लेशा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठ, मूल, पूर्ववैशादा उत्तरशादा, श्रवण अथवा धनिष्ठा नक्षत्र तथा शनिवार के दिन अस्वनी, भरणी, मृ्गसिरा, अद्रा, पूष, मेघ, विशाखा, अनुराधा,ज्येष्ठ, मूल, उत्तर फाल्गुनी, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्व भाद्रपद तथा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के होने से शुभ योग बनता है.
शुभ माध्यम योग (Shubh Madhyam Yoga)- रविवार के साथ भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृ्गसिरा, अद्रा, पुनरवासु, अस्लेशा, पूर्व फाल्गुनी,चित्रा, स्वाति, पूर्ववैशादा, धनिष्टा, स्थाविशक अथवा पूर्वभाद्रपद नक्षत्र होने से, मंगलवार के दिन भरणी, कृ्तिका, रोहिणी, ज्येष्ठ, मूल, पूर्ववैशादा अथवा श्रवन नक्षत्र होने से, गुरुवार के दिन हस्त, चित्रा, पूर्व भाद्रपद अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र होने से शुभ माध्यम योग बनता है.
शोभन योग (Shobhan Yoga)- सोमवार के साथ अस्वनी, भरणी, कृ्तिका, अद्रा, पुष, अस्लेशा, मेघ, पूर्व फाल्गुनी, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठ, मूल, धनिष्ठा, स्थाविशक, पूर्व भाद्रपद अथवा रेवती नक्षत्र होने से शोभन योग बनता है.
श्री योग (Shree Yoga)- शुक्रवार के साथ भरणी, कृ्तिका, मृ्गसिरा, अद्रा अथवा पुनरवासु नक्षत्र के होने से श्री योग बनता है.
इस तरह के संयोजन से जो मुहूर्त योग बनता है वह अत्यधिक शक्तिशाली होता है तथा तमाम तरह की परेशानियों को खत्म कर देता है.
वार और नक्षत्र का अशुभ योग (Inauspicious Yogas of Weekday and Nakshatra)
दग्ध योग (Dagdha Yoga)- जब रविवार को भरणी नक्षत्र हो, सोमवार को चित्रा नक्षत्र हो, मंगलवार को उत्तरशादा नक्षत्र, बुधवार को धनिष्ठा, गुरुवार को उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र हो, शुक्रवार को ज्येष्ठ नक्षत्र हो तथा शनिवार को रेवाति नक्षत्र हो तो दग्धयोग बनता है.इसी तरह गुरुवार के दिन अगर कृतिका, रोहिणी तथा मृगसिरा, अद्रा, उत्तर फाल्गुनी और स्थाविशक नक्षत्र हो तो दुर्घटना का दग्ध योग बनता है.
यमगंड योग (Yamgand Yoga)- अगर रविवार के दिन मेघ नक्षत्र हो, सोमवार के दिन विशाखा, मंगलवार के दिन अद्रा, बुधवार के दिन मूल , गुरुवार के दिन कृ्तिका, शुक्रवार के दिन रोहिणी तथा शनिवार के दिन हस्त नक्षत्र हो तो यमगंड योग बनता है.
अटपटा योग (Atpata Yoga)- अगर रविवार को विशाखा, सोमवार को पूर्ववैशादा, मंगलवार को धनिष्टा, बुधवार को रेवाति, गुरूवार को रोहिणी, शुक्रवार को पूष तथा शनिवार को उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र हो तो अटपटा योग बनता है.
मृ्त्यु योग (Mrityu Yoga)- अगर रविवार को अनुराधा, सोमवार को उत्तरशादा, मंगलवार को स्थाविशक, बुधवार को अस्वनी, गुरुवार को मृ्गसिरा, शुक्रवार को अस्लेशा, और शनिवार को हस्त नक्षत्र हो तो मृत्यु योग बनता है. इसी तरह रविवार के दिन वैशाखा, सोमवार को पूर्ववैशादा, मंगलवार को धनिष्टा, बुधवार को अनुराधा, गुरुवार के साथ मृ्गसिरा, शुक्रवार के साथ स्वाति अथवा रोहिणी तथा शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र हो तो दुसरा मृत्यु योग बनता है जो आपदा का कारक होता है. शनिवार के साथ पुनरवासु, अस्लेशा, पूर्व फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, पूर्ववैशादा, उत्तरशादा तथा अथवा रेवाति के संयोग से भी मृ्त्यु योग बनता है.
अर्धदृष्टी योग (Antardrishti Yoga)- अगर शनिवार के दिन ज्येष्ठ नक्षत्र हो, सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र हो, मंगलवार के दिन पूर्व भाद्रपद, बुधवार के दिन भरणी, गुरुवार के दिन अद्रा, शुक्रवार के दिन मेघ, शनिवार के दिन चित्रा नक्षत्र हो तो अर्धदृष्टी योग बनता है.
नाश योग (Naash Yoga)- जब रविवार के साथ अस्वनी, मेघ, विशाखा, अनुराधा अथवा ज्येष्ठ नक्षत्र हो, सोमवार के साथ कृ्तिका, उत्तर फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, पूर्ववैशादा, उत्तरशादा, उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हो, मंगलवार के दिन मृ्गसिरा, अद्रा, विशाखा, उत्तरशादा, धनिष्ठा. स्थाविशक, पूर्व भाद्रपद नक्षत्र हो, बुधवार के साथ अस्वनी, भरणी, मूल, धनिष्ठा अथवा रेवति नक्षत्र हो, गुरुवार के साथ उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र हो, शुक्रवार के साथ रोहिणी, पूष, अस्लेशा, मेघ, विशाखा, ज्येष्ठ तथा शनिवार के साथ रेवति नक्षत्र हो तो नाश योग बनता है.
वार, तिथि और नक्षत्र का शुभ योग (Weekday, Tithi and Nakshatra combinations that are positive)
सूत योग (Soot Yoga)- रविवार् के साथ पूष, हस्त अथवा मूल नक्षत्र हो और 5वीं अथवा 7वीं तिथि से सम्बन्ध बना रहा हो, सोमवार के साथ मृगसिरा, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र हो और 5वीं अथवा 7वीं तिथि से सम्बन्ध बना रहा हो, मंगलवार के साथ अस्वनी, रोहिणी, उत्तर फाल्गुनी, उत्तरशादा, पूर्व भाद्रपद, अथवा उत्तर भाद्रपद 5वीं अथवा 7वीं तिथि से सम्बन्ध बना रहा हो, बुधवार के साथ अस्वनी, पूर्व फाल्गुनी, पूर्ववैशादा अथवा पूर्वभाद्रपद, 5वीं अथवा 7वीं तिथि से सम्बन्ध बना रहा हो, गुरुवार के साथ पुनरवासु, पूर्वशाठा, अथवा रेवाति 13वीं तिथि के साथ सम्बन्ध बना रही हो, शुक्रवार के साथ उत्तर फाल्गुनी, स्वाति अथवा स्थाविशक पहली, दूसरी अथवा तेरहवीं तिथि से सम्पर्क बना रही हो, शनिवार के साथ रोहिणी, स्वाति अथवा धनिष्ठा दुसरी, तीसरी अथवा 12वीं तिथि से सम्बन्ध बना रहा हो तो सूत योग बनता है. यह योग कई तरह से शुभफलदायी होता है.सिद्ध योग (Siddha Yoga)- रविवार और पहली, चौथी, छ्ठवीं,सातवीं अथवा बारहवीं तिथि पूष, हस्त, उत्तर फाल्गुनी, मूल उत्तरशादा, श्रवन अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र से सम्पर्क बना रही हो. सोमवार और भद्रा तिथि रोहिणी, मृ्गसिरा, पुनर्वासु, चित्रा, श्रवण, धनिष्ठा, स्थाविशक अथवा पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के साथ सम्पर्क बना रही हो, मंगलवार और नन्दा अथवा भद्रा तिथि अस्वनी, मृ्गसिरा, उत्तर फाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, मूल,धनिष्ठा अथवा पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, बुधवार और भद्रा अथवा जया तिथि रोहिणी, मृगसिरा, अद्रा, उत्तर फाल्गुनी, अनुराधा अथवा उत्तरशादा के साथ सम्बन्ध बना रही हो. गुरूवार और चौथी तिथि 5वीं, 7वीं, 9वीं,13वीं तिथि अस्वनी, पुनरवासु, पूष, मेघ, स्वाति, पूर्ववैशादा, पूर्वभाद्रपद, अथवा रेवाति से सम्बन्ध बना रही हो, शुक्रवार और नन्दा अथवा भद्रा तिथि अस्वनी, भरणी, अद्रा, उत्तर फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, पुर्ववैशादा, अथवा रेवति नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, शनिवार और भद्रा अथवा रिक्ता तिथि रोहिणी, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, धनिष्टा अथवा स्थाविशक नक्षत्र से सम्बन्ध बना रही हो तो सिद्ध योग बनता है.
वार, तिथि और नक्षत्र का अशुभ योग (Malefic Yogas of Weekday, Tithi and Nakshatra)
विष योग (Visha Yoga)- जब रविवार और पांचवी तिथि कृ्तिका नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, जब सोमवार और दुसरी तिथि चित्रा नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, जब मंगलवार और पूर्णमा तिथि रोहिणी नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, जब बुधवार और 7वीं तिथि भरणी नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, जब गुरुवार और 13वीं तिथि अनुराधा नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, जब शुक्रवार और 6वीं तिथि श्रवण नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, जब शनिवार और 8वीं तिथि का रेवाति नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बन रही हो तो विष योग बनता है.विनाश योग (Vinaash Yoga)- रविवार और तीसरी, चौथी, आठवीं, नौवीं, तेरहवीं अथवा बारहवीं तिथि भरणी, मृगसिरा, अस्लेशा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठ अथवा धनिष्ठा नक्षत्र से सम्बन्ध बना रही हो. सोमवार और 7वीं, 6वीं, 11वीं तिथि कृतिका, भरणी मेघ, अनुराधा, पूर्ववैशादा, उत्तरशादा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, मंगलवार और पहली, दुसरी, 7वीं, 8वीं अथवा 10वीं तिथि अद्रा, पुनर्वासु, पूर्ववैशादा, उत्तरशादा, श्रवण, धनिष्ठा, स्थाविशक अथवा ज्येष्ठ नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, बुधवार और दुसरी, तीसरी, आठवीं अथवा नौवीं तिथि अस्वनी, भरणी, पूष, अस्लेशा, मेघ, मूल, धनिष्ठा अथवा पूर्वभाद्रपद के साथ सम्बन्ध बना रही हो. गुरूवार और 6वीं, 8वीं, 9वीं,12वीं अथवा 13वीं तिथि कृ्तिका, रोहिणी मृगसिरा, अद्रा, उत्तरफाल्गुनी, अनुराधा, विशाखा अथवा स्थाविशक से सम्पर्क बना रही हो, शुक्रवार और दूसरी, तीसरी, 6वीं, 8वीं, 10वीं अथवा 11वीं तिथि रोहिणी, पुनर्वासु, मेघ, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठ, श्रवण अथवा धनिष्ठा नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, शनिवार और तीसरी, 7वीं, 9वीं अथवा 11वीं तिथि भरणी, पुनर्वासु, पूष, पूर्व फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, पूर्ववैशादा, श्रवण अथवा उत्तरशादा नक्षत्र हो तो विनाश योग बनता है.
वार,तिथि और नक्षत्र के कार्यक्रम को दोहराने वाले योग (Repitition Yogas made using Weekday, Tithi and Nakshatra)
वार, तिथि और नक्षत्र से बनने वाले कुछ योग ऎसे होते हैं जो किसी भी कार्यक्रम को दोहराते है. यह योग उन कार्यो को करने के लिए उपयुक्त होते हैं जिन्हें हम एक से अधिक बार करना चाह्ते हैं. परन्तु यह सभी तरह के कार्यो के लिए शुभ नहीं होते जैसे- शादी.त्रीपुष्कर योग (Tri-pushkar Yoga)- दिन शुभ होता है जब भद्रा तिथि त्रिपद नक्षत्रों के साथ सम्बन्ध बना रही हो तो त्रिपुष्कर योग बनता. इस योग के बनने से यह संकेत मिलता है कि हम कोई भी कार्य तीन बार कर सकते हैं.
द्विपुष्कर योग (Dwi-pushkar Yoga)- दिन शुभ होता है जब भद्रा तिथि द्विपद नक्षत्रों के साथ सम्बन्ध बना रही हो तो द्विपुष्कर योग बनता. इस योग के बनने से यह संकेत मिलता है कि हम कोई भी कार्य दो बार कर सकते हैं.