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शंखचूड़ कालसर्प दोष Shankachood Kaalsarp Dosh

शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosha) कालसर्प दोष का नवम प्रकार है. शंखचूड़ नाग का जिक्र भी प्रमुख नागों के रूप में धार्मिक पुस्तकों में मिलता है. कालसर्प दोष के विषय में कहा यह जाता है कि यह उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिन्हें पूर्व के अपने कर्म के प्रायश्चित हेतु पुनर्जन्म लेना पड़ता है. शास्त्रों के अनुसार संतान का कर्तव्य है कि वह अपने पिता का आदर करे तथा उनकी मृत्यु के पश्चात शास्त्रोक्त विधि से उनका क्रिया कर्म करे तथा पितृपक्ष में पिण्ड दान दे. जो इस कर्म की अवहेलना करते हैं उनके पितृगण दु:ख पाते हैं. इनके दुखी होने से व्यक्ति को कष्ट मिलता है. ज्योतिषशास्त्र में कई ऐसे योगों का नाम लिया जाता है जो पितरो के कुपित होने से व्यक्ति की कुण्डली में बनता है. इन्हीं मे से एक योग कालसर्प भी होता है.
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शंखचूड़ कालसर्प दोष जन्मपत्री में How Shankachood Kaalsarp Dosh forms?

कालसर्प दोष के कई प्रकार हैं जो राहु केतु की स्थिति के अनुसार अलग-अलग नाम से जाने जाते हैं. शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosh) भी राहु केतु की विशेष स्थिति से बनता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नवम भाव जिसे पिता, भाग्य एवं धर्म का घर माना जाता है उसमें राहु बैठा हो एवं पराक्रम और भाई के भाव यानी तीसरे घर में केतु बैठा हो तथा शेष सातों ग्रहों एक दिशा में इन दोनों के बीच में हों तब कुण्डली को शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosha) से प्रभावित माना जाता है.

शंखचूड़ कालसर्प दोष का प्रभाव Effects of Shankachood Kaalsarp Dosh

ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosh) जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में होता है उसके भाग्य में अड़चनें आती हैं. इसके कारण से जीवन में धूप-छांव की स्थिति बनी रहती है. व्यक्ति की आजीविका नौकरी अथवा व्यसाय जिससे भी चलती हो उसमें स्थायित्व की कमी रहती है. इससे आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

यह दोष पिता के साथ सम्बन्धों में दूरियां लाने की कोशिश करता है अत: जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में यह योग हो उसे पिता के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. यदि किसी बात को लेकर पिता क्रोधित हों तो विवाद करने की बजाय ग़लती मानकर मुद्दे को सुलझा लेने में ही भलाई होती है. ऐसा करने से व्यक्ति पिता के मन में जगह बना पाता है. इससे भाग्य में आने वाली बाधाएं भी कम होती हैं.

शंखचूड़ कालसर्प शांति उपाय Remedies for Shankachood Kaalsarp Dosha

शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosh) की शांति के लिए भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना लाभकारी होता है. इस दोष के अशुभ फल को कम करके भाग्य को मजबूत बनाने हेतु व्यक्ति को चांदी की अंगूठी में गोमेद रत्न धारण करना चाहिए. पितृ पक्ष में व्यक्ति यदि पितरों के निमित्त पिण्ड दान करता है तथा अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्रह्मणों को भोजन करवाकर दान देता है तो इससे पितृ गण प्रसन्न होते हैं फलत: कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति का बचा रहता है.

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