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शंखचूड़ कालसर्प दोष जन्मपत्री में How Shankachood Kaalsarp Dosh forms?
कालसर्प दोष के कई प्रकार हैं जो राहु केतु की स्थिति के अनुसार अलग-अलग नाम से जाने जाते हैं. शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosh) भी राहु केतु की विशेष स्थिति से बनता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नवम भाव जिसे पिता, भाग्य एवं धर्म का घर माना जाता है उसमें राहु बैठा हो एवं पराक्रम और भाई के भाव यानी तीसरे घर में केतु बैठा हो तथा शेष सातों ग्रहों एक दिशा में इन दोनों के बीच में हों तब कुण्डली को शंखचूड़ कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosha) से प्रभावित माना जाता है.शंखचूड़ कालसर्प दोष का प्रभाव Effects of Shankachood Kaalsarp Dosh
ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि कालसर्प दोष (Shankachood Kaalsarp Dosh) जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में होता है उसके भाग्य में अड़चनें आती हैं. इसके कारण से जीवन में धूप-छांव की स्थिति बनी रहती है. व्यक्ति की आजीविका नौकरी अथवा व्यसाय जिससे भी चलती हो उसमें स्थायित्व की कमी रहती है. इससे आर्थिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.यह दोष पिता के साथ सम्बन्धों में दूरियां लाने की कोशिश करता है अत: जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में यह योग हो उसे पिता के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए. यदि किसी बात को लेकर पिता क्रोधित हों तो विवाद करने की बजाय ग़लती मानकर मुद्दे को सुलझा लेने में ही भलाई होती है. ऐसा करने से व्यक्ति पिता के मन में जगह बना पाता है. इससे भाग्य में आने वाली बाधाएं भी कम होती हैं.