हस्तरेखा का परिचय | Introduction to Hastrekha | How to Read Hastrekha
इसका अभ्यास किसी भी संस्कृति, क्षेत्र और धर्म तक सीमित नहीं है. यह दुनिया भर में विविध सांस्कृतिक विविधताओं के साथ पाया जाता है. इसलिए, हाथ की रेखाओं तथा हाथ की अनेक विशेषताओं के विश्लेषण के लिए विभिन्न संस्करण प्राप्त हैं. जो व्यक्ति इस कला के अभ्यास में लगे होते हैं उन्हें हस्तरेखाविद्, हाथ पढ़ने वाला , हाथ पाठक, हस्त विश्लेषक या हस्तरेखा शास्त्री के रूप में जाना जाता है.
हस्त रेखा का इतिहास । History of Hastrekha
हस्तरेखा विज्ञान ग्रीस में 348 से 322 ईसा पूर्व के मध्य में अस्तित्व में आया. अरस्तू को 384-322 ईसा पूर्व में के बीच ग्रीस देवता हर्मीस से ग्रंथ प्राप्त हुआ जिसे उन्होंने सिकंदर महान को भेंट स्वरूप प्रदान किया. इस महान शासक ने इस कला में एक गहरी रुचि दिखाई और अपने अधिकारियों के हाथों की रेखाओं का विश्लेषण किया. हिप्पोक्रेट्स ने अपने रोगियों के रोगों के निदान के लिए हस्तरेखा शास्त्र का इस्तेमाल किया. यह कला भारत, तिब्बत, चीन, फारस, मिस्र और ग्रीस से यूरोप के अन्य देशों में फैली. कई प्राचीन समुदायों जैसे सुमेर निवासी, तिब्बतियों, इब्रियों,कसदियों, मिस्र, और फारसियों ने इस कला के लिए अपना उल्लेखनीय योगदान प्रदान किया.
कई बुद्धिजीवियों का तर्क है कि हस्तकला का जन्म या कहें शुरुआत भारत में हुई थी. महर्षि वाल्मीकि, जो एक महान ऋषि हुए उन्होंने पुरुष हस्तरेखा शास्त्र पर एक पुस्तक की रचना की जिसमें 567 पैराग्राफ शामिल थे. उनका यह ज्ञान भारत से होते हुए चीन, तिब्बत, मिस्र, और फारस तक फैला. इसलिए, हस्तकला में अरस्तू, सिकंदर महान हिप्पोक्रेट्स, और कीरो जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति हुए. कीरो ने हस्तरेखा शास्त्र पर कई पुस्तकें लिखीं और उन्हें हस्तकला के पिता के रूप में जाना जाता है.
हस्त रेखा विज्ञान के नियम । Hastrekha Methods
हस्तरेखा विज्ञान के विभिन्न रूपों में व्याख्या के असंख्य संस्करण रहे हैं. लेकिन, कुछ कदम दुनिया भर में सभी पीछा कर रहे हैं. एक अच्छे हस्तरेखा शास्त्री को हाथों की प्रत्येक रेखा (हृदय रेखा, जीवन रेखा आदि), हर पर्वत, उभार का, रेखाओं का मिलान व कटाव एवं उंगलियों के आकार, उनकी मिलती जुलती बनावट तथा हथेली की त्वचा के रंग आदि का विश्लेषण करना चाहिए.
हस्तरेखा शास्त्र और उन्हें पढ़ने के प्रकार के आधार पर एक हस्तरेखाविद् दोनो हाथों का विश्लेषण करता है. दाएँ हाथ से कार्य करने वाले एक व्यक्ति का बायां हाथ 'जन्म हाथ' कहा जाता है जो व्यक्ति के अवचेतन मन तथा विरासत में प्राप्त विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है. और उस व्यक्ति के दाहिने हाथ से चेतन मन का जो अपनी पहचान, योग्यता और उसके ग्रहण करने की क्षमता जैसी विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है. बाएँ हाथ के व्यक्ति के लिए यह स्थिति विपरीत रहेगी.
हस्तरेखा - हाथ की बनावट । Hastrekha - Shape of Hands
हथेली का आकार प्रथम आधार या सूत्र होता है जो व्यक्ति के समग्र चरित्र का विश्लेषण करने में सहायक होता है. एक हस्तरेखा विशेषज्ञ हाथ की उँगलियाँ, हथेली की त्वचा के रंग के आकृति और आकार आदि द्वारा हाथ की विभिन्न विशेषताओं का विश्लेषण कर सकता है. सभी विषेषताओं के बावजूद वर्तमान में हस्तरेखाविद् निम्नलिखित वर्गीकरण करते हैं.
- चौकोर हाथ | Square Hand - एक चौकोर हाथ बड़ी हथेली और लंबी सखत उंगलियों को दर्शाता है.ऐसे व्यक्ति प्रभावशाली, व्यावहारिक, तथा एकाधिकार वाले होते हैं, और निश्चित रूप से सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं.
- पतला हाथ | Narrow Hand - पतला हाथ आयताकार रूप लिए होता है. इसकी हथेली आयताकार और उंगलियां लंबी-पतली होती हैं. जो व्यक्ति के रचनात्मक एवं कलात्मक स्वरूप को व्यक्त करती है. ऐसा व्यक्ति समझदार और उत्साही होता है.
- चपटा हाथ | Flat Hand - चपटा हाथ या कुदाल की तरह का होता है यह हाथ एक व्यापक हथेली और लंबी चपटी उंगलियों को दर्शाता है. ऐसा व्यक्ति बेचैन, ऊर्जावान, और गतिशील होता है.
- नुकीला हाथ | Pointed Hand - यह हाथ लंबे, अंडाकार हथेली और लंबी और पतली उंगलियों को दर्शाता है. जो व्यक्ति को एक आदर्शवादी और एक संवेदनशील प्रेमी के रूप में परिभाषित करती हैं.
- गांठदार हाथ | Knotty Hand - गांठदार हाथ लंबे, पतले और गांठादार उंगलियों द्वारा व्यक्त होता है. ऐसा व्यक्ति विचारक या एक दार्शनिक होता है.
कई लोगों के हाथ के आकार के संयुक्त मिश्रित विशेषताओं को अभिव्यक्त करते हैं. मिश्रित विशेषताएँ उदारवादी व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं. एक अच्छे हस्तरेखाविद् को निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले एक हाथ के सभी लक्षण का अध्ययन करना चाहिए. हालांकि, भविष्यवाणी हस्तरेखा शास्त्री के गहन अध्ययन द्वारा हो पाती जो उसके हस्त रेखा अध्ययन पर निर्भर करता है.