प्राथमिक या निम्नतम प्रकार का हाथ | The Elementary or Lowest type of Hand
इस तरह के हाथ निम्न मानसिकता से प्रभावित के लोगों में पाया जाता है। यह खुरदरे, स्थूल, साथ ही बड़े, और भारी हथेली वाले होते हैं। इनकी उँगलियां और नाखून छोटे और स्थूल होते हैं। हथेली इतनी छोटी होती है कि यह मुश्किल से उंगलियों के आधार पर पहुँचती है। इस हथेली मे देखने लायक अधिक कुछ नहीं होता.
प्राथमिक हाथ के व्यक्ति मे उत्साह, कल्पना और रचनात्मकता की कमी का संकेत मिलता है। ऐसे लोग केवल अपने अस्तित्व के बारे मे चिंतित रहते हैं और असामान्य स्थिति को टालते हैं। वह अपने सुविधा क्षेत्र में रहते हैं और इससे बाहर निकलने का प्रतिरोध करते हैं। लक्ष्यहीन जीवन जीते है और बस खाना पीना और सोना ही इनका एक मात्र लक्ष्य होता है.
इस तरह के हाथ के अँगूठे छोटे और ऊपरी भाग मोटा होता है या नाखून के पोर भारी, पूर्ण और सामान्य तौर पर वर्ग वाले होते हैं। ऐसे लोग में बहुत कम मानसिक क्षमता और कोमल भावनाओं का अभाव होता है। ऐसे हाथ वाले लोग श्रमिक और मुक्केबाजी, कुश्ती जैसे आक्रामक खेलों में सम्मलित होते हैं।
चपटा हाथ | The Spatulate Hand
जिस हाथ मे प्रत्येक उंगली चम्मच के आकार जैसी हो या असामान्य रूप से उंगलियों के आधार पर हथेली व्यापक हो तो इसे चपटे हाथ के नाम से जानते हैं या इसे सक्रिय तंत्रिका के रूप में जाना जाता है।यह नाम उसे व्यापक उंगलियों के लिये जो चम्मच के आकार की होती है व जो दवा विक्रेता उपयोग करते है के रुप में दिया गया है।
चपटा हाथ जब कड़ा और ठोस हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति बेचैन और उत्तेजित प्रकृति का होता है। जब हाथ नरम और मुलायम हो तो यह बेचैन लेकिन चिड़चिड़े भावना को दर्शाता है। ऐसे लोग बहुत ही श्रमसाध्य और अपनी मौलिकता के लिए जाने जाते हैं। यह अपने आप मे अद्वितीय होते हैंयह अक्सर नये विचार लिए होते है, जो व्यापक रूप से स्वीकार नहीं होते। लेकिन सच्चाई यह है कि ये संसार मे कुछ महान विचारों के बाधाकारक होते हैं।
इस तरह के हाथ वाले महान नाविक, खोजकर्ता,आविष्कारक होते हैं और महान इंजीनियर और यांत्रिकी भी होते हैं। लेकिन यह आवश्यक नही है कि यह ऐसे लोगों तक ही सीमित है, ऐसे लोग आम जीवन मे भी मिल जाते हैं।
दार्शनिक हाथ | The Philosophic Hand
ऐसे लोग अपने हाथ की प्रकृति के अनुरुप दार्शनिक प्रकृति के होते है। आमतौर इनके हाथ लंबी और चौड़ी हड्डियों वाली उंगलियों के साथ कोणीय होते हैं। ऐसे हाथ में उंगलियां अति विकसित और नाखून लंबे होते हैं।यह धन के संबंध मे अनुकूल नही हैं, लेकिन ज्ञान प्राप्त करने के लिये ऐसे आकार अनुकूल होते हैं।
इस प्रकार के हाथ वाले लोग अनूठे विषयों के छात्र होते हैं। ये लोग अन्य लोगों से भिन्न रहते हैं और ऐसी स्थिति को बनाए रखने के लिये अभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों के तरीके में रहस्यमय ढंग दिखता है और सामान्य व्यक्ति उन्हें समझ नहीं पाते है। वे मूक, गुप्त, गहरे विचारो वाले, दूरदर्शी होते हैं और खुद पर गर्व करते हैं। वे गोपनीय तरीके से अलग प्रकार के ज्ञान के क्षेत्र का अनुकरण करते है । इस तरह के हाथ सबसे प्रमुखता से याजकों, कवियों, रहस्यवादी प्रचारकों आदि के बीच पाए जाते हैं।