संतान उत्पत्ति तथा संतान से कष्ट का अध्ययन | Analysis of Palmistry for A Child's Birth and Problems Caused by Children
हस्तरेखा शास्त्र में संतान का अध्ययन भी किया जाता है. यदि किसी व्यक्ति के पास अपनी जन्म कुंडली का पूरा विवरण नही है तब वह अपनी हाथ की रेखाओ के माध्यम से संतान प्राप्ति के विषय में जान सकता है कि संतान का सुख उसके हाथ में है या नहीं. हथेली में संतान सुख को देखने के विद्वानों में मतभेद हैं. कुछेक विद्वान बुध पर्वत के नीचे हथेली से अंदर की ओर आने वाली विवाह रेखा के ऊपर की खड़ी रेखाओं को संतान संबंधी रेखा मानते हैं तो कुछ विद्वान शुक्र पर्वत पर खड़ी रेखाओ को संतान रेखा मानते हैं क्योकि शुक्र का संबंध प्रजजन क्षमता से होता है. आज हम हस्त रेखाओ के माध्यम से संतान उत्पत्ति में बाधा और संतान से कष्ट होने के कारण का विश्लेषण करेगें.
हस्तरेखाओ के आधार पर संतान प्राप्ति में बाधा के कारण | Using Palmistry to Analyse Problems in Conceiving a Child
हम संतान प्राप्ति में होने वाली बाधाओं से करेगें कि हाथ में वह कौन से लक्षण होते हैं जिनके कारण पति-पत्नी को संतान सुख से वंचित रहना पड़ता है. यदि हाथ में अंगूठे के पहले पोर से गूंथी हुई प्रभाव रेखा शुक्र पर्वत तक आती है तब ऎसी स्थिति में दंपत्ति जोड़े को संतान प्राप्ति में बाधा का सामना करना पड़ता है.
हथेली में जीवन रेखा दोहरी होकर एक बड़े द्वीप जैसा आकार बना रही हो तब स्त्री का गर्भपात होने की संभावना बनती है. हाथ में जीवनरेखा पर द्वीप बना हो और शुक्र पर्वत का घेरा छोटा हो, शनि रेखा मोटी होने के साथ ह्रदय रेखा पर आकर रुकती हो तो बेटा होने में बाधाएँ आती हैं.
अंगूठे के दो पोरो के मध्य जो एक रेखा होती है जो दोनो पोरो को विभाजित करती है यदि उस पर वी(V) जैसी आकृति बनी है तब संतान प्राप्ति में बाधा आती है. स्त्री के हाथ में मस्तिष्क रेखा और बुध रेखा के जिस भी स्थान पर मिल रही हो और वहाँ स्टार की आकृति बन रही हो तब संतान प्राप्ति में बाधा का सामना व्यक्ति को करना पड़ता है.
हथेली में जीवन रेखा के साथ कुठार रेखा हो बनी हो और शनि क्षेत्र में मस्तिष्क रेखा पर द्वीप बना हो तब संतान प्राप्ति में बाधा का सामना व्यक्ति को करना पड़ता है. यदि हाथ में दोहरी मस्तिष्क रेखा बनी हो और इसके दोनो ओर के सिरे द्वीप का आकार बना रहे हों तब भी संतान प्राप्ति में बाधा का सामना दंपति जोड़े को करना पड़ता है.
ह्रदय रेखा शाखाहीन हो अर्थात सीधी सपाट रेखा हो तब भी संतान प्राप्ति में बाधा होती है. यदि जीवनरेखा सीधी अवस्था में शुक्र पर्वत पर जा रही है तब भी संतान प्राप्ति में बाधा होती है. हथेली के नीचे कलाई के पास का पहला मणिबंध बड़े द्वीपो से मिलकर बना होने पर संतान प्राप्ति में रुकावट देता है. यदि द्वीप छोटे है तब हैं तब यह संतान प्राप्ति के लिए शुभ माने जाते हैं.
पहला मणिबंध गोलाकार लिए हो और गोलाई का मुँह हथेली की ओर हो, तब भी संतान होने में रुकावट का सामना करना पड़ता है. जीवन रेखा सीधी होने के साथ द्वीपयुक्त हो और साथ में कुठार रेखा भी हो तब भी संतान प्राप्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
संतान से कष्ट मिलने के योग | Yogas for Problems Caused by Children
अकसर देखने में आता है कि माता-पिता जितने प्यार व दुलार से बच्चो का लालन पोषण करते हैं उतना प्यार उन्हें बच्चो की ओर से बुढ़ापे में नहीं मिल पाता है. आइए हाथ में मौजूद लक्षणों के आधार पर संतान से होने वाले कष्टो का अध्ययन करने का प्रयास करते हैं. यदि हाथ के अंगूठे के दोनो पोरो के मध्य भाग को बांटने वाली रेखा लहरदार हो तब संतान की ओर से माता-पिता को सुख कम ही मिलता है.
यदि शुक्र पर्वत पर मंगल रेखा के समानांतर कई रेखाएँ टूटी-फूटी अवस्था में मौजूद हों तब व्यक्ति को संतान से सुख में कमी का सामना करना पड़ सकता है. चंद्र पर्वत की प्रभाव रेखा आरंभ में द्वीप युक्त हो और द्वीपयुक्त शनि रेखा से ही इसका मिलन भी हो रहा हो तब संतान की ओर से सुख में कमी होती है.
हाथ में अधूरी जीवनरेखा बनी हो, मोटी शनि रेखा मस्तिष्क रेखा पर ही रुक रही हो तब संतान के कारण माता-पिता को परेशानी बनी रह सकती है. मोटी हृदय रेखा का उदगम स्थल शनि पर्वत से हो तथा मोटी शनि रेखा, हृदय रेखा पर आकर रुके तब भी संतान के कारण माँ-बाप को परेशानी बनी रह सकती है.