मस्तिष्क रेखा एवम् मानसिक विकृति | Insanity as Represented by the Head Line
मस्तिष्क रेखा का आकार और उसका स्थान निर्धारित करता है कि व्यक्ति का मानसिक स्तर सामान्य है या असामान्य। यदि मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर्वत पर मिलती हो तो जातक की कल्पना असामान्य या अप्राकृतिक होती है। यदि मस्तिष्क रेखा एक बच्चे के हाथ में इस असामान्य बिंदु तक पहुँच जाती है, तो बच्चा एक पूरी तरह से समझदार व्यक्ति के रूप में विकसित होता है। लेकिन वह किसी मानसिक आघात के कारण मानसिक संतुलन खो देता है और इसका परिणाम पागलपन हो सकता है्।
मस्तिष्क रेखा के साथ यदि शनि भी असामान्य रूप से उच्च का हो तो जातक घातक कल्पना वाला व्यक्ति होता है। इस तरह व्यक्ति मलिन, उदास और उदासीन होता है, जब यह प्रवृत्ति अनुचित रूप से बढ़ जाती है तब व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देता है। मस्तिष्क रेखा के केंद्र में छोटे छोटे द्वीप हो तो एक अस्थायी मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र से संबंधित विपथन का संकेत मिलता है। यदि अँगूठा पूर्ण विकसित न हो और मस्तिष्क रेखा पर जंज़ीर या द्वीप हो तो यह स्पष्ट करता है कि व्यक्ति जन्मजात मानसिक विकार से ग्रसित है।
मानसिक विकृति के प्रकार | Various Types of Insanity
मानसिक विकृति के रूप में पागलपन के कई प्रकार होते हैं, हस्त रेखा के विभिन्न संकेत द्वारा सनक के मुख्य प्रकार ये है -
- भोतिक पागलपन जैसे कि अतिराष्ट्रीयता, धार्मिक पागलपन, मतिभ्रम
- विकसित पागलपन
- वंशानुगत पागलपन
भौतिक पागलपन | Material Madness
मस्तिष्क रेखा एक तीव्र मोङ के साथ नीचे की ओर झुकती हुई चन्द्र पर्वत पर मिलती हो तो व्यक्ति असामान्य रूप से कल्पनाशील स्वभाव वाला और एक मजबूत कल्पनाशील शक्ति महसूस करता है और इसलिए अपने बचपन के दिनों में यदि उसे मौका मिले तो वह विशेष क्षमता दर्शाता है परन्तु यदि उसका विरोध हो तो वह आक्रामक हो जाता है |
विकसित पागलपन | Evolved Madness
इस तरह की सनक दो प्रकार के हाथो में पाई जाती है| पहली उन्मादिक और दूसरी दार्शनिक | पहले प्रकार के हाथ में मष्तिष्क रेखा का आकार चपटा और पर झुका हुआ होता है। शुरुआत में यह व्यक्ति अकेले अपने विचारों पर काम करता है पर विचारों की तीव्रता और अति उत्साह से उसकी दिमाग की नसे कमजोर हो जाती है।
एक दार्शनिक हाथ में मष्तिष्क रेखा चन्द्र पर्वत पर कोणीय तरीक़े से जाती है तो व्यक्ति की सोच असामान्य विचारों को क्रियान्वित करती है |
वंशानुगत पागलपन | Inherited Madness
इस तरह की मस्तिष्क की कुरूपता के दो कारण होते है : एक निराशाजनक पागलपन और दूसरा विद्वेषपूर्ण पागलपन।
पहली तरह के निराशाजनक पागलपन में मष्तिष्क रेखा विस्तीर्ण होती है एवम् रेखा पर छोटे छोटे द्वीप बने होते है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति का मस्तिष्क अविकसित है और यह मन तथा शरीर के क्रिया - कलापों पर नियंत्रण रखने में असमर्थ है। इस तरह के व्यक्ति को निराशाजनक पागल माना जाता है।
विद्वेषपूर्ण पागलपन प्रकार में मष्तिष्क रेखा पर लघु और लहराती शाखाये दर्शाती है कि व्यक्ति हर स्थिति के अनुसार व्यवहार करता है तथा वह सभी परिस्थितियों में सामान्य बर्ताव करता है, लेकिन झगड़ा और कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में शातिर हो सकता है। वह अपनी गलतियों से कभी नहीं सीखता है और उन स्थितियों में उसी तरह की प्रतिक्रिया का प्रदर्शन करता है।