आज हम हस्तरेखाओं के माध्यम से व्यक्ति के धार्मिक होने व उसकी गुप्त विद्याओं में रुचि होने का जानने का प्रयास करेंगे. साथ ही हम व्यक्ति के हस्त लक्षणों के आधार पर शिक्षा को जानने का प्रयास करेंगे. किसी भी चीज की खोज के लिए जातक के मन में जिज्ञासा का भाव होना बेहद जरुरी है. इसी के साथ व्यक्ति की बौद्धिकता में उस गुढ़ता को समझने की योग्यता भी होनी चाहिए. इन सभी का होना शनि और गुरु ग्रह के मजबूत होने पर ही होता है. हाथों की रेखाओं और पर्वतों का आधार व्यक्ति की आध्यात्मिकता को दर्शाने वाला होता है.
हाथ में शनि का उभरा होना व्यक्ति को एकांत देने वाला होता है. इस के प्रभाव से जातक के मन में विरक्ति का भाव भी उत्पन्न होता है. हाथ में गुरु का उन्नत होना व्यक्ति के ज्ञान को परिष्कृत करता है. जातक भ्रम से आगे निकल कर जल्दी ही चीजों के प्रति सजग होता है.
गुप्त विद्याओं तथा धार्मिक प्रवृति के हस्तलक्षण
आध्यात्म, तंत्र - मंत्र, ज्योतिष अथवा किसी भी प्रकार की अन्य गूढ़ विद्या सीखने के लिए अथवा सन्यास लेने के लिए हाथ में कुछ लक्षण मौजूद होते हैं. हम जिन लक्षणों को आपके सामने बताने वाले हैं उनमें से यदि किसी हाथ में चार या अधिक लक्षण मिलते हैं तब निश्चित रुप से वह अपना फल प्रदान करते हैं. किसी हाथ में मध्यमा अंगुली लंबी हो या शनि पर्वत विकसित हो तब व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है अथवा गूढ़ विद्याओं में रुचि रहती है.
अंतर्दृष्टि रेखा अर्थात चंद्र रेखा हाथ में स्पष्ट रुप से बनने पर भी व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है. हाथ में बनी सभी अंगुलियाँ गठीली अवस्था में स्थित होने पर व्यक्ति गूढ़ विद्याओं का ज्ञाता अथवा धार्मिक प्रवृति का जानकार होता है.
हाथ में बृहत चतुष्कोण में शनि अथवा गुरु पर्वत के नीचे गुप्त क्रॉस बना हो तब भी व्यक्ति धार्मिक रुचि वाला तथा गुप्त विद्याओं को जानने वाला होता है. शनि पर्वत पर यदि त्रिकोण की आकृति बनी हो तब भी व्यक्ति धार्मिक होता है.
हाथ में शुक्र वलय अथवा गुरु मुद्रिका बनी हो तो आदमी गुप्त विद्याओ का जानकार तथा धार्मिक होता है. जीवन रेखा से एक पतली शनि रेखा निकल रही है तब धार्मिक प्रवृति का व्यक्ति तथा गुप्त विद्याओं में रुचि लेने वाला होगा.
बृहत चतुष्कोण में डमरू का चिन्ह बना हो तब भी व्यक्ति धार्मिक होगा. ह्रदय रेखा की एक शाखा तर्जनी अंगुली की ओर जाती है तो गुप्त विद्याओं का जानने वाला तथा धार्मिक प्रवृति का व्यक्ति होता है. ह्रदय रेखा पर अथवा गुरु पर्वत पर त्रिकोण की आकृति बनी हो तो भी व्यक्ति धार्मिक होता है.
सूर्य रेखा यदि चंद्र पर्वत से निकल रही हो व्यक्ति की रुचि गूढ़ विद्याओं में तथा प्रवृति धार्मिक होती है. मस्तिष्क रेखा तथा बुध रेखा मिलकर एक बड़ा सा क्रॉस बना रही हों तो व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है और गुप्त विद्याओं में भी दिलचस्पी रहती है.
हाथ में मौजूद यदि शनि पर्वत पर कोई स्टार का चिन्ह बना हुआ हो तो यह स्थिति जातक को गूढ़ विधाओं की ओर ले जाती है.
शुक्र पर्वत अविकसित हो और चंद्र पर्वत विकसित हो तो भी व्यक्ति की प्रवृति धार्मिक होती है. सूर्य पर्वत पर मछली का चिन्ह बना हो तो भी व्यक्ति धार्मिक होता है. ह्रदय रेखा की एक शाखा अनामिका अंगुली की ओर जा रही हो तो व्यक्ति की धार्मिक प्रवृति होती है और उसे गूढ़ विद्याओं में रुचि होती है.
मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के मध्य में यदि क्रास का चिन्ह बना हुआ हो तो जातक को गूढ़ विधाओं को जानने की इच्छा रहती है और वह इसके लिए प्रयास भी करता है. यह स्थिति जातक को आध्यात्मिक मजबूती भी देती है.
हाथ की उंगलियां ऊपर से नुकीली होने पर व्यक्ति में आध्यात्मिक प्रवृत्ति देखने को मिलती है. इस स्थिति में जातक के हाथ में मौजूद चंदर्मा की स्थिति भी उसे मानसिक रुप से यदि उत्तम मानसिक स्थिति देगी तो जातक आध्यात्मिकता में एक बहुत ही कुशल दृष्टिकोण रखता है.