हस्तरेखाओं की जानकारी एक अथाह सागर के समान है जिसे पूर्ण रुप से कभी शायद ही कोई पा सका हो. बहुत सी बातों का सूक्ष्मता से अध्ययन करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. आज हम हाथों में बनी मुद्रिका की बात करेंगे.
हाथ में गुरु और शनि की स्थिति जातक के जीवन में बहुत गंभीर प्रभाव देने वाली होती है. यह मुद्रिका शुभ फलों को दर्शाने वाली होती है. व्यक्ति को जीवन में ज्ञान और बौद्धिकता के क्षेत्र में सफलता मिलती है. जातक के मन में अहंकार की भावना भी बढ़ सकती है. व्यक्ति में आत्मविश्वास भी अधिक रहता है. यह स्थिति जातक को एक प्रकार से अतिवादी बना सकती है. निरंकुशता की भावना भी जातक के मन में घर कर सकती है.
गुरु मुद्रिका का अध्ययन | Analysis of Jupiter Ring
आज आरंभ गुरु मुद्रिका से करते हैं. हाथ में यह रेखा तर्जनी और गुरु पर्वत के मध्य भाग में गोलाई लिए होती है.
जिस भी हाथ में यह रेखा पाई जाती है तब यह व्यक्ति को बुरे काम में जाने से रोकती है और बुद्धिमानी की सूचना देती है. व्यक्ति बुरे काम की ओर अग्रसर नहीं होता है.
जातक में अधिकार जताने की भावना होती है. उच्च पद प्राप्ति की इच्छा रखता है. अपने नियंत्रण में चीजों को रखने की कोशिश करता है. हाथ में इस मुद्रा के अलावा अगर जातक के गुरु पर्वत भी उभार लिए हो तो यह जातक को कुछ जिद्दी भी बना सकता है.
जिस भी व्यक्ति के हाथ में यह रेखा होती है वह व्यक्ति गुप्त विद्याओं में रुचि रखने के साथ खोजबीन वाले काम करने में ज्यादा रुचि रखते हैं. यदि हाथ में मस्तिष्क रेखा अच्छी हालत में है तब इस गुरु मुद्रिका की शुभता अधिक बढ़ जाती है.
यदि इस मुद्रिका के साथ चंद्र रेखा अर्थात अंतर्दृष्टि रेखा भी हो तब व्यक्ति सिद्ध पुरुष के समान शक्ति वाला होता है. अधिकाँश हाथों में यह रेखा पूर्ण रुप से गोल ना होकर धनुषाकार रुप में होती है. अधिकांशत: यह दो छोटी-छोटी रेखाओं से एक अधूरा धनुष बनाती है. हथेली में अधूरी बनी गुरु मुद्रिका का प्रभाव अपेक्षाकृत कम होता है.
शनि मुद्रिका का अध्ययन | Analysis of Saturn Ring
आइए इस दूसरे भाग में आपको शनि मुद्रिका की विशेषताएँ बताते हैं. इस मुद्रिका को शुभ नहीं माना गया है. हाथ में शनि मुद्रिका, शनि पर्वत व मध्यमा अंगुली के मध्य स्थित होती है. यह आवश्यक नही कि यह मुद्रिका हाथ में पूरी ही बनी हो, यह अधूरी भी हो सकती है और हाथ में लुप्त भी रह सकती है.
जिस व्यक्ति के हाथ में यह शनि मुद्रिका बनी होती है वह स्वभाव से अस्थिर रहता है. शनि मुद्रिका वाला व्यक्ति किसी भी एक काम में मन लगाकर नहीं रखता है, इस कारण परेशान सा रहता है. ऎसे व्यक्ति बार-बार काम में परिवर्तन करते हैं इसलिए किसी एक काम में सफलता भी नहीं मिल पाती है.
शनि मुद्रिका के साथ चंद्र पर्वत पर क्रॉस बना हो या अन्य कोई दोष हो तब व्यक्ति का चिड़चिड़ापन काफी बढ़ सकता है. कई बार-बार यह चिड़चिड़ापन व्यक्ति में आत्मघाती प्रवृति को भी जन्म देता है और वह आत्महत्या जैसे विचार अपने मन में लाता है.
हाथ में बनी अधूरी शनि मुद्रिका, पूरी बनि मुद्रिका से कम अशुभ फल प्रदान करती है. यदि शनि मुद्रिका का आकार हथेली में धनुषाकार ना होकर क्रॉस जैसा हो तब यह अधिक दुर्भाग्यपूर्ण होता है.
इस के प्रभाव से जातक के मन में एकांत निवास की इच्छा भी रहती है. जातक के इस स्थिति के साथ ही शनि पर्वत का उभार व्यक्ति को किसी न किसी रुप में गुरु की खोज कराता है. व्यक्ति में अपना सभी कुछ छोड़ कर गुढ़ ज्ञान को पाने के की लालसा बहुत परेशान करती है.
जातक दूसरों की कम सुनता है और अपने मन की अधिक करने वाला होता है. कई बार यह मुद्रिका सही प्रकार से न बनी होने के कारण जातक का मन में किसी एक वस्तुओ पर स्थिर नहीं हो पाता है. वह भौतिकता और विरक्ति के भाव में द्वंद की स्थिति को पाता है.
व्यक्ति को अपने परिवार की ओर से सहयोग नहीं मिल पाता है. परिवार में मौजूद घर के बढ़े बुजुर्गों के साथ तनाव की स्थिति परेशान करती ही रहती है. जातक खुद को बंधनों में पाता है. वह कई बार परिवार से अलग होकर रहने की कोशिश भी करता है.