अंक शास्त्र में सूर्य तथा चन्द्रमा दो ऎसे ग्रह हैं जिन्हें दो अंक प्राप्त हैं. सूर्य तथा यूरेनस का आपस में परस्पर संबंध माना गया है, इसलिए सूर्य को 1 तथा 4 दो अंक प्राप्त है. वास्तविकता में अंक 1 सूर्य का है और अंक 4
नामांक को सौभाग्य अंक भी कहते हैं. आज लगभग सभी अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी प्राचीन तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ
अंक शास्त्र में दो मूलांक अपना विशेष स्थान रखता है. मूलांक दो का स्वामी ग्रह चंद्रमा को माना गया है. चंद्रमा शितलता का कारक है यही अंतर्मन की भावनाओं का संचालन भी करता है. हमारे भीतर की शितलता उसी का आधार है. अशुभ