नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ अंक को स्थान दिया तो
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. व्यक्ति के नाम के अक्षरों के कुल योग से बनने वाले अंक को नामांक कहा जाता है. नामांक गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा
भाग्यांक, संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है और जो योग प्राप्त होता है वही भाग्यांक कहलाता है जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 6 जून
भाग्यांक जानने के लिये, जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है. भाग्याँक को संयुक्त रूप से अंकों को जोड़ कर प्राप्त किया जाता है. भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है
भाग्यांक जानने के लिये, भाग्यांक में जन्म तिथि, जन्म माह तथा जन्म वर्ष का योग(जोड़) करना होता है, तथा जो योग प्राप्त होता है वही भाग्यांक कहलाता है, जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 6 अप्रैल 1959 है तो उस व्यक्ति का भाग्यांक
अंक शास्त्र में भाग्यांक 1 अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. भाग्यांक द्वारा कोई भी व्यक्ति अपना व्यवसाय व कैरियर तथा अन्य उपयोगी बातों को जान सकता है. अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. मूलांक से
अंक शास्त्र व्यक्ति के बारे में जानने का एक सरल और सुगम माध्यम रहा है. अंक शास्त्र में मौजूद विधियों द्वारा मनुष्य के व्यवहार, जीवन चरित्र इत्यादि के विषय में जाना जा सकता है. इसी क्रम में एक विधि है भाग्यांक, यह एक
मूलांक सात का स्वामी ग्रह केतु है. और इस कारण मूलांक 7 के जातक केतु ग्रह से प्रभावित रहते हैं. किसी भी माह की 7, 16, 25 तारीख को जन्मे व्यक्तियों का मूलांक 7 होता है. पाश्चात्य विद्वान मूलांक 7 का स्वामी नेपच्यून ग्रह