जिस दिन व्यक्ति का जन्म होता है तब उस दिन के अंक की विशेषता उसके व्यक्तित्व में दिखाई देती है. अंक शास्त्र में 1 से 9 अंको तक की ही गणना की जाती है लेकिन आज हम 9 से आगे बढ़कर 10 तारीख के दिन पैदा हुए जातको की विशेषताओं
नामांक को सौभाग्य अंक भी कहते हैं. आज लगभग सभी अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी प्राचीन तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ