अंक ज्योतिष में राशियों, ग्रहों तथा अंकों की घनिष्ठता | Importance of Signs, Planets and Numbers in Ankshastra

अंक शास्त्र में सूर्य तथा चन्द्रमा दो ऎसे ग्रह हैं जिन्हें दो अंक प्राप्त हैं. सूर्य तथा यूरेनस का आपस में परस्पर संबंध माना गया है, इसलिए सूर्य को 1 तथा 4 दो अंक प्राप्त है. वास्तविकता में अंक 1 सूर्य का है और अंक 4 यूरेनस का है. इसी प्रकार चन्द्रमा तथा नेपच्यून का आपस में परस्पर संबंध होता है, इसलिए चन्द्रमा को दो अंक 2 तथा 7 प्राप्त हैं. चन्द्रमा अंक 2 है तथा नेपच्यून अंक 7 है. इन सभी का परस्पर भी संबंध होता है. 1,4,2,7 अंकों वाले जातक एक-दूसरे के साथ परस्पर सहयोग की भावना रखते हैं और परस्पर आकर्षित होते हैं.

अंक 1 तथा 4 जिन तिथियों से बनते हैं उनका संबंध 2 तथा 7 अंक वाली तिथियों से अच्छा होता है. किसी भी महीने की 1,4,10,19,22,28 तथा 31 तारीखों को जन्मे व्यक्तियों का अंक 1 तथा 4 होता है. इन तारीखों में जन्मे व्यक्तियों का आकर्षण, किसी भी माह की 7,11,16,20,25 तथा 29 तारीखों को जन्मे व्यक्ति से होता है. इन तिथियों से 2 तथा 7 अंक बनता है. इनमें परस्पर मधुरता तथा सहानुभूति का भाव रहता है. इन दी तिथियों के अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति सूर्य के माह अर्थात 21 जुलाई से 20 से 27 अगस्त तक के मध्य जन्मा है तो उसका चन्द्र के माह अर्थात 20 जून से 21 से 27 जुलाई तक के मध्य जन्मे व्यक्ति से परस्पर तालमेल तथा घनिष्ठता रहती है.  इनके गुण आपस में और अधिक मेल खाते हैं.

इसके अतिरिक्त सभी अंकों का परस्पर अन्य अंकों तथा ग्रहों से सकारात्मक तथा नकारात्मक संबंध स्थापित होता है. यह संबंध निम्न प्रकार से है :-

  • 21 मार्च से 19 अप्रैल के मध्य का अंक 9 है. इसका सकारात्मक प्रभाव है.
  • 20 अप्रैल से 20 मई के मध्य का अंक 6 है. यह एक सकारात्मक अवधि है.
  • 21 मई से 20 जून के मध्य का अंक 5 है. यह सकारात्मक अवधि है.
  • 21 जून से 20 जुलाई के मध्य का अंक 2 तथा 7 है. यह सकारात्मक अवधि है.
  • 21 जुलाई से 20 अगस्त के मध्य का अंक 1 तथा 7 है. यह सकारात्मक अवधि है.
  • 21 अगस्त से 20 सितम्बर के मध्य का अंक 5 है. यह नकारात्मक प्रभाव लिए होता है.
  • 21 सितम्बर से 20 अक्तूबर के मध्य का अंक 6 है. यह अवधि नकारात्मक प्रभाव लिए है.
  • 21 अक्तूबर से 20 नवम्बर के मध्य का अंक 9 है. यह अवधि नकारात्मक प्रभाव वाली होती है.
  • 21 नवम्बर से 20 दिसम्बर के मध्य का अंक 3 है. यह सकारात्मक फल देने वाली अवधि है.
  • 21 दिसम्बर से 20 जनवरी के मध्य का अंक 8 है. यह सकारात्मक प्रभाव वाली अवधि है.
  • 21 जनवरी से 19 फरवरी के मध्य का अंक 8 है. यह नकारात्मक प्रभाव वाली अवधि है.
  • 19 फरवरी से 20 मार्च के मध्य का अंक 3 है. यह नकारात्मक प्रभाव वाला समय है.

अंक ज्योतिष में भी राशिचक्र के भाग किए गए हैं. राशिचक्र को चार भागों में बाँटा गया है. यह चार भाग निम्नलिखित हैं :-

अग्नि त्रिकोण | Fire Triangle

  • अग्नि त्रिकोण का प्रथम घर 21 मार्च से 19 अप्रैल तक होता है.
  • अग्नि त्रिकोण का द्वित्तीय घर 21 जुलाई से 20 अगस्त तक होता है.
  • अग्नि त्रिकोण का तृत्तीय घर 21 नवम्बर से 20 दिसम्बर तक होता है.
  • वायु त्रिकोण का प्रथम घर 21 मई से 20 जून तक होता है.
  • वायु त्रिकोण का द्वित्तीय घर 21 सितम्बर से 20 अक्तूबर तक होता है.
  • वायु त्रिकोण का तृत्तीय घर 21 जनवरी से 19 फरवरी तक होता है.

जल त्रिकोण | Water Triangle

  • जल त्रिकोण का प्रथम घर 21 जून से 20 जुलाई तक होता है.
  • जल त्रिकोण का द्वित्तीय घर 21 अक्तूबर से 20 नवम्बर तक होता है.
  • जल त्रिकोण का तृत्तीय घर 19 फरवरी से 20 मार्च तक होता है.

भूमि त्रिकोण | Earth Triangle

  • भूमि त्रिकोण का प्रथम घर 20 अप्रैल से 20 मई तक होता है.
  • भूमि त्रिकोण का दूसरा घर 21 अगस्त से 20 सितम्बर तक होता है.
  • भूमि त्रिकोण का तृत्तीय घर 21 दिसम्बर से 20 जनवरी तक होता है.

अंक ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह को एक अंक दिया गया है. यह अंक निम्नलिखित हैं :-

ग्रह अंक

सूर्य           1
चन्द्रमा      2
बृहस्पति    3
यूरेनस      4
बुध            5
शुक्र            6
नेपच्यून     7
शनि           8
मंगल         9

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