त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दूसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही ग्रह हो. इस तथ्य के संदर्भ में यहां इस बात पर भी ध्यान देना होता है कि सूर्य व चंद्रमा की एक-एक राशियां होती हैं उन्हें इन्हीं का अधिपत्य प्राप्त है. इस कारण से सिंह और कर्क राशियों का शोधन नहीं होता है. ऎसे में मंगल, बुध, गुरू, शुक्र और शनि ग्रह को दो राशियों का अधिपत्य प्राप्त है जिस कारण इन्हीं की राशियों में यह शोधन किया जाता है.

नियम | Rules of Ekadhipatya Shodhan

1- सूर्य और चंद्रमा को एक - एक राशि का स्वामित्व होता है सिंह और कर्क का इस कारण सिंह और कर्क राशि का यह शोधन किया जाता है.

2- अगर किसी ग्रह की दोनों राशियों में से किसी एक भी राशि में पहले से ही 0 अंक हों तो उस ग्रह की राशियों का शोधन नहीं होता है.

3- इसी प्रकार यदि किसी ग्रह की दोनों ही राशियों में राहू केतु को छोड़कर यदि अन्य कोई ग्रह बैठा हो तो इन परिस्थितियों में उन राशियों में यह शोधन नहीं होता है. इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि यदि वृष और तुला राशियों का स्वामी शुक्र है और यदि इन दोनों राशियों में ग्रह स्थित हों तो इस स्थिति में इन राशियों में यह एकाधिपति शोधन नहीं किया जाएगा. साथ ही साथ इस बात को भी ध्यान में रखना आवश्यक होगा कि राहू-केतु को ग्रह के रूप में नही माना जाता है. इसलिए अगर राहु केतु स्थित हों तो शोधन होगा.

नोट:- किसी भी राशि में ग्रह का होना उस राशि की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस कारण उक्त राशि बली मानी जाती है. ऎसी स्थिति में उसका बल ही उस राशि के शोधन को रोकता है.

4- अगर किसी ग्रह की दोनों राशियों में से एक भी राशि में कोई ग्रह हो और किसी भी राशि में 0 नहीं हो तो उसके शोधन में तीन बातों को ध्यान में रखना होगा.

(i)- ग्रह रहित राशि के बिन्दु की संख्या, ग्रह युक्त राशि के बिन्दुओं की संख्या से अधिक हो सकती है तो इस स्थिति में ग्रह रहित राशि की संख्या को ग्रहयुत राशि की संख्या के बराबर कर देंगे.

(ii)- ग्रह रहित राशि के बिन्दुओं की संख्या, ग्रह युत राशि के समान हो सकती है.

(iii)- ग्रह सहित राशि के बिन्दुओं की संख्या ग्रह युत राशि से कम हो सकती है.

इन दोनों स्थितियों में ग्रह युत राशि की संख्या में शोधन नहीं होगा. जिससे उस संख्या में कोई भी परिवर्तन नहीं होगा परंतु ग्रहरहित राशि के बिन्दुओं की संख्या 0 हो जाती है.

5- किसी ग्रह की दोनों राशियों में कोई भी ग्रह नहीं हो और किसी भी राशि में बिन्दुओं की संख्या 0 नहीं हो तो यहां पर दो बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

(i)- यदि दोनों राशियों की संख्या समान हो तो दोनों ही 0 हो जाएंगे.

(ii)- दूसरा नियम यह कि यदि दोनों की संख्या समान नहीं है तो जो बडी़ संख्या है उसको छोटी संख्या के बराबर कर देंगे. यानि के दोनों राशियों में समान संख्या हो जाएगी.

यहां पर उदाहरण कुण्डली की सहायता से आपको एकाधिपत्य शोधन करने का तरीका बताया जा रहा है जिसके नियम जो उपर दिर गर हैं उन्हें इस कुण्डली में लगाकर यह शोधन किया जाएगा. इस कुण्डली में सूर्य व चंद्रमा को एक एक राशि का अधिपत्य प्राप्त है अत: इनके अंकों में कोई परिवर्तन किए बिना ही हम इन्हें ऎसी ही लिख लेंगे इनमें कोई शोधन नहीं किया जाएगा.

मंगल की राशियों में मेष राशि में 6 और वृश्चिक राशि में 0 अंक है क्योंकि एक राशि में पहले से ही 0 है इसलिए यहां भी कोई शोधन नहीं होगा.

बुध की राशियों मिथुन और कन्या में से मिथुन राशि में 11 अंक हैं और कन्या में 4 अंक हैं तथा दोनों राशियां ग्रहों से रहित इसलिए मिथुन राशि की संख्या कन्या राशि के बराबर 4 हो जाएगी.

बृहस्पति की राशियां धनु में 8 अंक हैं और मीन में 5 अंक हों साथी साथ धनु राशि में ग्रह स्थित है परंतु मीन में कोई भी ग्रह नहीं है. इसलिए धनु राशि संख्या का शोधन नहीं होगा, पर मीन राशि 0 हो जाएगी.

शुक्र की राशियों में वृष को 0 अंक मिले हैं और तुला को 5. यहां एक राशि में पहले से ही 0 अंक हैं इसलिए कोई शोधन नहीं होगा.

शनि की राशियों में से मकर को 2 और कुंभ को 0 अंक मिले हैं चूंकि एक राशि में यहां भी पहले से 0 अंक हैं इसलिए यहां भी शोधन नहीं किया जाएगा.

इस प्रकार से एकाधिपत्य शोधन करने पर हमें यह अंक प्राप्त होते हैं.