ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है, षडबल में कमजोर है, अन्य अवस्थाओं में निर्बल हो इत्यादि तथ्यों से ग्रह के कमजोर होने कि स्थिति का पता लगाया जा सकता है. ग्रह के कमजोर या बलहीन होने पर उसके शुभत्व में कमी आती है और उक्त ग्रह अपने पूर्ण प्रभाव को देने में सक्षम नहीं हो पाता. इस प्रकार यदि चंद्रमा कृष्ण पक्ष का हो पाप ग्रहों से ग्रस्त हो, खराब स्थान में बैठा हो दिग्बल से हीन हो तो ऎसे स्थिति में होने पर उसका प्रभाव जातक के मानसिक एवं शाररिक स्वरूप पर बिलकुल पडे़गा.

कमजोर चंद्रमा के प्रथम भाव में होने पर जातक का मन विचलित रह सकता है वह भावनाओं में बहने वाला व भावुक प्रकृत्ति का हो सकता है. जातक कार्य बहुत जल्दी से आरंभ करता है किंतु जल्द ही उनसे उकता भी जाता है.

कमजोर चंद्रमा के द्वितीय भाव में होने पर जातक नेत्र रोग से ग्रस्त हो सकता है वाणी प्रभावित हो सकती है, चंचल व अस्थिरता से भरा रह सकता है.

तीसरे भाव में कमजोर चंद्रमा के होने पर जातक मन्द भाषी हो सकता है, भाई को कष्ट हो सकता है, शत्रु के समान आकृति वाला हो सकता है तथा व्यर्थ के भ्रमण में रत रह सकता है.

चौथे भाव में चंद्रमा के बलहीन होने पर जातक को सुख में कमी, माता से दूरी रह सकती है, रोग से ग्रस्त रह सकता है, दुग्ध के व्यापार से हानी हो सकती है. धन का व्यय करता है.

पांचवे भाव में कमजोर चंद्रमा होने के कारण जातक स्त्री तथा पुत्र संतान से वंचित रह सकता है,शि़क्षा में कमजोर हो सकता है.

छठे भाव में बलहीन चंद्रमा होने पर अनिष्टकारी होता है, सुखों से रहित कष्ट का अनुभव करने वाला हो सकता है. बाल अवस्था में व्याधि का डर बना रहता है.

सप्तम में बलहीन चंद्रमा होने के कारण सुख साधन का अभाव रहता जीवन साथी के साथ तनाव रह सकता है. जातक के साथी का स्वास्थ्य भी खराब रह सकता है.

अष्टम में बलहीन चंद्रमा के होने पर जातक के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है. मन विचलित तथा बुरे प्रभाव में जल्द आ सकता है, मृत्यु तुल्य कष्ट पा सकता है. व्यस्नों से ग्रस्त हो सकता है.

नवम भाव में बलहीन चंद्रमा के होने पर भाग्य में कमी रहती है, पिता को तकलीफ रह सकती है. जातक निर्धन, कुमार्ग पर चलने वाला हो सकता है, गुणों से हीन तथा मूर्खता से पूर्ण कार्य करने वाला हो सकता है.

दशम भाव बलहीन चंद्रमा के होने पर रोगों से प्रभावित हो सकता है, श्वास रोग, दमा की शिकायत रह सकती है, दुर्बल काया वाला, कर्म हीन, पिता व पत्नी की संपत्ति से युक्त रहने वाला.

एकादश भाव में कमजोर चंद्रमा के होने पर जातक धन का अपव्यय करने वाला, मूर्खता पूर्ण कार्य वाला, सुख से रहित.

द्वादश भाव में क्षीण चंद्रमा के होने पर जातक दुर्बल, रोग ग्रस्त, माता से दूर, व्याधीयों से पिडी़त, बुरे लोगों की संगती से युक्त रहने वाला रह सकता है.