वैदिक ज्योतिष में स्वास्थ्य से संबंधित बहुत से योगों का वर्णन मिलता है. हर बीमारी के होने की स्थिति के बारे में बताया गया है. हर ग्रह व भाव किसी ना किसी बीमारी से संबंधित होते ही है. आज के इस लेख में हम कान की बीमारी के बारे में बात करेगें कि जन्म कुंडली के वह कौन से भाव व ग्रह हैं जिनके पीड़ित होने से व्यक्ति को कान से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है.

कान की बीमारी से जुड़े ग्रह व भाव | Planets and Houses Related To Ear Diseases

कान की बीमारी से संबंधित भाव तीसरा और एकादश भाव है. तीसरे भाव से दायाँ कान व एकादश भाव से बायाँ कान देखा जाता है. इसके अलावा तीसरे से सप्तम भाव और एकादश से सप्तम भाव का भी आंकलन किया जाता है. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जन्म कुंडली के तीसरे, पांचवें, नवम व एकादश भाव को कान की बीमारी के लिए देखा जाता है.

बुध व बृहस्पति को श्रवण शक्ति का नैसर्गिक कारक ग्रह माना जाता है. आइए अब कान की बीमारी से संबंधित योगों के बारे में जानने का प्रयास करें कि कब यह अपना फल दे सकते हैं.

  • जन्म कुंडली में शुक्र व बुध की स्थिति 12वें भाव में हो तब दाएँ कान से संबंधित रोग हो सकते हैं.
  • पाप ग्रह यदि जन्म कुंडली के तीसरे, पांचवें, नवम व एकादश में स्थित हों और कोई भी शुभ ग्रह देख नहीं रहा हो तब कान से जुड़े रोग हो सकते हैं.
  • जन्म कुंडली में शनि जहाँ स्थित है उससे चतुर्थ भाव में बुध छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो.
  • तृतीयेश, चतुर्थेश व षष्ठेश तीनो एक साथ कुंभ राशि में स्थित हों तब भी कान से संबंधित बीमारी हो सकती है.
  • जन्म कुंडली के लग्न में कुंभ राशि में शुक्र स्थित हो और मंगल ग्रह शनि के साथ छठे भाव में हो.
  • कुंडली में शुक्र, वृष या धनु लग्न में स्थित हो और पीड़ित चंद्रमा शुक्र को देख रहा हो.
  • छठे भाव का स्वामी और बुध दोनो एक साथ छठे भाव में स्थित हों और शनि से दृष्ट भी हों.
  • व्यक्ति का यदि रात्रि का जन्म है, शुक्र पंचम भाव में व बुध छठे भाव में स्थित हो तब कान से जुड़ी बीमारी हो सकती है.
  • बुध व षष्ठेश दोनो चतुर्थ भाव में हो और शनि लग्न में हो तब व्यक्ति को कान के भीतर बीमारी बीमारी हो सकती है.
  • चंद्रमा, मंगल, बुध तीनो ही राहु/केतु अक्ष पर स्थित हों और यह संबंध तीसरे व एकादश भाव में बन रहा हो तब भी व्यक्ति को कान से संबंधित आंतरिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
  • जन्म कुंडली में नीच का शुक्र राहु के साथ तीसरे या एकादश भाव में हो.
  • बुध तीसरे भाव में सूर्य के साथ 10 अंशो के भीतर स्थित हो या छठे भाव में स्थित हो या एकादश भाव में स्थित हो. साथ ही मंगल व शनि का परस्पर दृष्टि संबंध बन रहा हो.