वैदिक ज्योतिष में मेडिकल ज्योतिष का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. इसके द्वारा व्यक्ति की जन्म कुण्डली से उसके स्वास्थ्य का आंकलन बेहतर तरीके से किया जा सकता है.  कई बार चिकित्सक जातक की बीमारी को ढूंढ ही नहीं पाते हैं, ऎसे में एक कुशल ज्योतिषी जन्म कुण्डली का भली-भाँति निरीक्षण कर के बीमारी का अंदाजा लगा सकता है कि शरीर के किस भाग में पीड़ा नजर आती है. आज के इस लेख के माध्यम से हम मधुमेह रोग(डायबिटिज) के बारे में बात करेगें कि जन्म कुण्डली के वह कौण से योग हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी हो सकती है.

बृहस्पति ग्रह को लीवर का कारक माना गया है और शुक्र ग्रह को पैन्क्रियाज का कारक माना गया है. डायबिटिज का संबंध पेट में होने वाली क्रियाओं से है तो पंचम भाव व छठे भाव का भी आंकलन किया जाता है. कुल मिलाकर हम जन्म कुंडली में गुरु,शुक्र, पंचम भाव तथा छठे भाव का अध्ययन करते हैं. यदि यह चारों अथवा एक से अधिक बाते नकारात्मक हो रही हैं तब व्यक्ति को डायबिटिज की बीमारी का सामना करना पड़ सकता है. आइए कुछ इस बीमारी के होने के लिए कुछ योगो पर एक नजर डालते हैं.

डॉ चरक के नियम | Dr. Charak’s Principles

  • जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह 6,8 या 12वें भाव में स्थित हो या अपनी नीच राशि में स्थित हो तब व्यक्ति को डायबिटिज होने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुण्डली में शुक्र छठे भाव में स्थित हो और बृहस्पति 12वें भाव में स्थित हो तब भी मधुमेह रोग हो सकता है.
  • पंचम भाव या पंचमेश का संबंध छष्ठ, षष्ठेश, अष्टम या द्वादश भाव से बन रहा हो तब भी यह बीमारी हो सकती है. यहाँ संबंध से हमारा भाव युति, स्थिति व दृष्टि से है.
  • छठे भाव का स्वामी 12वें भाव में स्थित हो द्वादशेश का संबंध गुरु से बन रहा हो.
  • छठे भाव के स्वामी और बारहवें भाव के स्वामी का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा हो.
  • बृहस्पति ग्रह जन्म कुण्डली में शनि व राहु के प्रभाव में हो.
  • जन्म कुण्डली में बृहस्पति अस्त हो और राहु/केतु अक्ष पर स्थित हो.
  • जन्म कुण्डली में यदि बृहस्पति व शनि की युति बहुत नजदीकी अंशो पर हो रही हो अर्थात दोनो एक ही नवांश में स्थित हो.
  • बृहस्पति जन्म कुण्डली में छठे, आठवे या बारहवें भाव में पीड़ित हो.


डॉ बी.वी. रमण के नियम | Dr. B.V Raman’s Principles

  • जन्म कुण्डली में बली पाप ग्रह जन्म लग्न या आठवें भाव में स्थित हो तथा शुक्र व बृहस्पति या चंद्र बृहस्पति पीड़ित अवस्था में स्थित हैं तब भी मधुमेह रोग की संभावना बनती है.
  • जन्म कुण्डली में शुक्र आठवें भाव में पाप ग्रहों से दृष्ट हो तब भी डायबिटिज की संभावना बनती है.
  • कुण्डली में बृहस्पति ग्रह शनि की राशि - मकर या कुंभ में स्थित हो और अशुभ ग्रह से दृष्ट भी हो तब भी यह बीमारी हो सकती है.
  • बृहस्पति का संबंध अगर शनि से बन रहा हो तब भी यह बीमारी हो सकती है.
  • राहु का संबंध कुण्डली में अष्टमेश से बन रहा हो और यह संबंध आठवें भाव या त्रिकोण में बन रहा हो क्योकि जन्म कुण्डली में जब भी अष्टमेश का संबंध राहु से बनता है तब बीमारी की संभावना बनती है.
  • शनि का संबंध चंद्रमा से हो या कर्क राशि से हो तब भी मधुमेह रोग की संभावना बनती है.
  • मंगल, शनि, राहु या केतु जल राशि (4,8,12) में स्थित हो विशेषकर 6, 8 या 12वें भाव में तब भी मधुमेह रोग होने की संभावना बनती है.
    • बृहस्पति, राहु के नक्षत्र में हो और राहु से ही दृष्ट भी हो तब भी मधुमेह रोग की संभावना बनती है.
    • जन्म कुंडली में अशुभ बृहस्पति पीड़ित होकर छठे भाव में स्थित हो तब भी मधुमेह रोग की संभावना बनती है.
    • बृहस्पति ग्रह आठवें भाव में शनि से दृष्ट हो तब भी यह रोग हो सकता है.
    • लग्न किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित हो रहा है और बृहस्पति भी पाप ग्रह से पीड़ित हो रहा हो तब भी डायबिटिज होने की संभावना बनती है.
    • सूर्य लग्न में स्थित हो और मंगल छठे भाव में हो तब भी यह रोग हो सकता है.