स्फटिक श्री यंत्र देवी लक्ष्मी जी का  अमोघ फलदायक यंत्र है. श्री यंत्र में महालक्ष्मी जी का वास माना जाता है इस यंत्र को अपनाने से समस्त सुख व समृद्धि प्राप्त होती है. निर्धन धनवान बनता है और अयोग्य योग्य बनता है. इसकी उपासना से व्यक्ति कि मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस यंत्र को समस्त यंत्र में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है.

स्फटिक श्री यंत्र ऎश्वर्यदाता और लक्ष्मीप्रदाता है. यह यंत्र आय में वृद्धि कारक व व्यवसाय में सफलता दिलाने वाला होता है. आज के समय में स्थाई धन की अभिलाषा सभी के मन में देखी जा सकती है. अधिकतर व्यक्ति कितना भी कमाएं परंतु धन उनके पास जमा नहीं हो पाता व्यय बने ही रहते हैं. धन का संचय कर पाना कठिन काम हो जाता है.

स्फटिक श्री यंत्र अचूक उपाय | Sphatik Sri Yantra Remedy

स्फटिक श्री यंत्र स्थाई धन प्राप्ति का अचूक उपाय बनता है. इसके साथ देवी लक्ष्मी, शुक्र देव और कुबेर जी की पूजा का विधान तुरंत असरदायक होता है. जहां देवी लक्ष्मी जी ऎश्वर्य देती हैं वहीं शुक्र देव की अनुकूलता से भोगों को भोगने का सामर्थ्य व सुख मिलता है और कुबेर धन का संचय कराते हैं और वैभव प्रदान करते हैं.  इन तीनों की पूजा संयुक्त रुप से श्री यंत्र के समक्ष की जाए तो अवश्य ही संपन्नता व समृद्धि बनी रहती है.

स्फटिक श्री यंत्र साधना | Sphatik Sri Yantra Sadhna

पौराणिक ग्रंथों में भी इन तीनों की उपासना को महत्व पूर्ण रुप से दर्शाया गया है. मां लक्ष्मी  और ऎश्वर्यप्रदाता शुक्र की उपासना के लिए श्री यंत्र की पूजा की जानी चाहिए. स्फटिक यंत्र में धनदात्री माँ लक्ष्मी व शुक्र का आशिर्वाद समाहित होता है. इसकी साधना से भुक्ति, मुक्ति, ऐश्वर्य सभी प्रकार के वैभव की प्राप्ति होती है.

स्फटिक श्री यंत्र पूजा विधि | Sphatik Sri Yantra Worship

इस यंत्र को स्थिर लग्न में यथाविधि द्वारा पूजना चाहिए. इस यंत्र को गंगाजल व पंचामृत से शुद्ध किया जाता है. पांच अकीक लें और उनके उपर स्फटिक श्री यंत्र को रखें. अब यंत्र को विग्रह में चौकी पर लाला वस्त्र बिछाकर स्थापित करें और यथाविधि पंचोपचार व षडोशोपचार पूजन करें व मंत्र जाप करं

सर्वप्रथम श्री गणेश जी का स्मरण करें और फिर माँ लक्ष्मी जी के मंत्र:- “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ॐ महालक्ष्म्यै नम:” का जाप करना चाहिए. लक्ष्मी जी के जाप के उपरांत शुक्र ग्रह के मंत्र:-  ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नम:।  को जपना चाहिए तथा अंत में धनपति कुबेर जी का स्मरण व मंत्र पूजन:- ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा। करना चाहिए.

जाप के पश्चात अकिक सहित स्फटिक श्री यंत्र को विग्रह या व्यवसाय स्थल अथवा तिजोरी में रखा जा सकता है. स्फटिक श्री यंत्र को नित्य धूप व दीप से पूजन व जप करें उपर्युक्त विधि के अनुसार पूजा व जप करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी व आपके पास धन का आगमन बना रहेगा.

स्फटिक श्री यंत्र महत्व | Sphatik Sri Yantra Importance

स्फटिक श्रीयंत्र को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है यह शुद्धता व पवित्रता का प्रतीक होता है. यह यंत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. स्फटिक यंत्र से घर व कार्य स्थल में समृद्धि बनी रहती है यह विकास का मार्ग प्रश्स्त करता है.यह यंत्र त्रिमूर्ति का स्वरुप भी माना जाता है. वास्तु दोषों के निवारण करके शांति व ऎश्वर्य स्थापित करने के लिए यह श्रेष्ठतम है.